Aligarh Muslim University: हिंदू छात्र को मिली धमकी, कहा -“लगाओं पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे नहीं तो तमंचे से उड़ा देंगे तुम्हारा भेजा”

Aligarh Muslim University

Aligarh Muslim University: परिवर्तन संसार का नियम है पर ऐसा परिवर्तन जो सोच से परे हो अगर वो कल्पना को पीछे छोड़ते हुए वास्तविकता में परिवर्तित हो जाए तो उसे किसी चमत्कार से कम नहीं आंका जा सकता है। लेकिन होता तो ऐसा भी है कि कुछ लोगों को सकारात्मक परिवर्तन से भी चिढ़ होती है। कुछ ऐसा ही अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी यानी AMU में हुआ है या इसे आतंकवादियों को जन्म देने वाली युनिवेर्सिटी कहना गलत नहीं होगा…

जी हां, वही AMU जिसका विवादों से बहुत गहरा नाता है पर अब उसी AMU की एक और नयी तस्वीर ने सबको विचलित कर दिया है। AMU एक बार फिर से अपने हिन्दू विरोधी रवैये को लेकर चर्चा में है। आमतौर पर यह विश्वविद्यालय देश-दुनिया के लिए लाभकारी शोध की अपेक्षा अपनी सांप्रदायिक और रूढ़िवादी मानसिकता के लिए बदनाम रहता है।

Aligarh Muslim University: अब अलीगढ में एमटेक के हिंदू छात्र का मानसिक उत्पीड़न, समुदाय विशेष के छात्र ने तमंचे के बल पर हिंदू छात्र से पाकिस्तान जिंदाबाद नारे लगवाने के साथ ही हाथ से कलावा दबाव बनाया था, पीड़ित छात्र का कहना है की उसकी बहन को भी हिजाब पहनाने की धमकी दी थी।

ऐसा ही एक साल पहले भी धमकी दे चुका है। आरोपी छात्र हिंदू छात्रा को सोशल मीडिया पर हिजाब पहनाने की धमकी, विरोध करने पर छात्र के साथ की गई मारपीट, छात्र नेता पुलिस ने मेरी तहरीर नॉर्मल धाराओं में लिखवाई है, सिविल लाइन थाना इलाके के एएमयू सुलेमान होल की घटना।

Aligarh Muslim University: इसी शिकायत को लेकर हिंदूवादी संगठन से जुड़े लोगों के साथ पीड़ित छात्र सिविल लाइंस थाने पहुंचा, पुलिस ने छात्र को कार्यवाही का आश्वासन दिया है। आपको बता दें हिंदू छात्र के साथ मारपीट करने वाला यह वही मुस्लिम छात्र है जिसने लगभग 1 साल पहले एएमयू की एक हिंदू छात्रा को सोशल मीडिया के माध्यम से हिजाब पहनाने की धमकी दी थी, मामला सुर्खियों में आने के बाद आरोपी के खिलाफ पुलिस ने कार्यवाही भी की थी।

कभी वहां जिन्ना की फोटो को लेकर विवाद होता है तो कभी हिंदू-मुस्लिम मुद्दों पर बहस छिड़ जाती है,,,, CAA-NRC के वक्त में AMU में खूब आंदोलन हुए और इसके अलावा AMU में पीएम मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आने का भी खूब विरोध किया गया था।

वैसे यह कोई पहला वाकया नहीं है जब AMU में इस तरह की आतंकवादी गतिविधिया हुई हो, या देश विरोधी नारे लगे हो, बल्कि हिंदुओं से नफरत करने वालों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है। यूं तो इस प्रोपेगंडा पर पलने वाले लोगों की देश में कभी कमी महसूस नहीं हुई है जो हिन्दू धर्म पर अपशब्द न बोले,

Aligarh Muslim University: विवादों की लिस्ट है कितनी लम्बी….

एएमयू से पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर हटाने पर कैंपस में बवाल हुआ। छात्र धरने पर बैठ गए, छात्रों ने पत्रकारों को बुलाकर मारपीट की। घटना के एक वीडियो में दो बार फायरिंग होती भी दिखी थी,। विवाद बढ़ता देख शहर में धारा-144 भी लागू कर दी गई थी।

दरअसल, धरना दे रहे छात्रों की मांग थी कि जिन्ना की तस्वीर हटाने के लिए कैंपस में घुसे हिंदू युवा वाहिनी के लोगों को गिरफ्तार किया जाए और मामले की न्यायिक जांच हो। तब कांग्रेस, वामपंथी और जिन्ना समर्थकों ने कहा था कि जिन्ना की एक तस्वीर से कोई फर्क नहीं पड़ता।

Aligarh Muslim University: अब इसी यूनिवर्सिटी में आतंकवादी के समर्थन में आवाज उठती है और मुस्लिम छात्र उसके लिए शोक सभा रखते हैं। जब कार्रवाई होती है तो यूनिवर्सिटी प्रशासन को ही धमकी दी जाती है। इन्हें भारत से आजादी के नारे लगाने की इजाजत चाहिए और भारत के टुकड़े करने की आजादी चाहिए। जाहिर है ये जिन्नावादी सोच का ही साइड इफेक्ट है।

फिर आया CAA वाला मामला जब पूरे देश में बवाल मचा हुआ था तब दंगे भड़काने वालो में से एक हाथ AMU का भी था। आप को बता दें कि एक बार अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष फैजुल हसन ने देश विरोधी बयान देते हुए कहा था कि मुसलमान देश बर्बाद करने पर आएंगे तो किसी को नही छोड़ेंगे, देश टूट जाएगा।

2 अक्टूबर, 1945 को विश्वविद्यालय के कुछ मुस्लिम छात्रों ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि पाकिस्तान के गठन के लिए वे कुछ भी कुर्बान करने के लिए तैयार है। जिन्ना को अलीगढ़ के रहने वाले मोहम्मद शाहजहाँ का एक पत्र मिला जिसमें उन्होंने लिखा कि इस विश्वविद्यालय के छात्र भारत के मुस्लिमों के ‘हथियार’ है। दरअसल, ऐसे एक नहीं बल्कि हजारों उदाहरण है जो कि इस तथ्य की पुष्टि करते है कि भारत के सांप्रदायिक विभाजन में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की एक बहुत बड़ी भूमिका थी।

1947 में जब पाकिस्तान बन गया, उसके बाद के सालों में भी वहाँ से भारत एवं हिन्दू-विरोधी गतिविधियाँ उजागर होती रहीं। साल 1956 में एक खबर आई थी कि विश्वविद्यालय के छात्रों ने श्रीमद्भागवतगीता की प्रतियाँ फाड़कर जला दी।

कुछ सालों बाद, 12 मार्च 1959 को केंद्रीय शिक्षा मंत्री, के. एल. माली ने बताया कि विश्वविद्यालय को फोर्ड फाउंडेशन की ओर से 22,14,268 रुपए की सहायता मिली है। जबकि उस दौर में फोर्ड फाउंडेशन अपनी भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए हमेशा सुर्ख़ियों में बना रहता था।

Aligarh Muslim University: बुरहान वानी जब कश्मीर में मारा गया, तब भी AMU में प्रदर्शन किया गया था। डॉ. कफील गोरखपुर में गिरफ्तार हुआ, तब भी एएमयू में नारेबाजी हुई। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर एएमयू के कुलपति ने जब श्रद्धांजलि दी तो कुलपति के विरोध में पोस्टर लगाए गए और जब प्रयागराज में हिंसा के मुख्य आरोपी और इस केस का मास्टरमाइंड जावेद उर्फ़ पम्प का घर गिराया गया तो इस पर भी विरोध प्रदर्शन किया गया। सिर्फ इसलिए कि जावेद की बेटी आफरीन फातिमा एएमयू की पूर्व छात्रा रही हैं।

एएमयू में देशद्रोही नारों की गूंज सुनाई दी जब आतंकवादी मन्नान वानी कश्मीरी छात्रों ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में नमाज ए जनाजा पढ़ना चाहा। जिसके बाद दो नामजद और एक अज्ञात छात्र के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज हुआ।

यूनिवर्सिटी ने भी 9 छात्रों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा और इसी के विरोध में यहां पढ़ने वाले 1200 कश्मीरी छात्रों ने यूनिवर्सिटी छोड़ने की धमकी दी। उस वक्त पूर्व छात्रसंघ नेता सज्जाद सुभान ने एक चिट्ठी लिखकर एएमयू प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं सुनी गईं तो 1200 कश्मीरी छात्र अपनी डिग्री छोड़कर कश्मीर वापस चले जाएंगे।

Aligarh Muslim University: संसद पर हमले की साजिश रचने वाले अफजल गुरु की फांसी पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में भी विरोध-प्रदर्शन का सिलसिला चल पड़ा है। नमाज-ए-जनाजा के दो दिन बाद सोमवार को कश्मीरी छात्रों ने अफजल को शहीद का दर्जा देते हुए शांति मार्च निकाला। जमकर नारेबाजी की।

अफजल की फांसी को कश्मीरियों पर अत्याचार बताया। केंद्र सरकार को बहरा कहा और सुप्रीम कोर्ट पर भी टिप्पणी की। अफजल के केस की तुलना गुजरात दंगे से करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फांसी की सजा देने की मांग की। अफजल का शव उसके परिजनों को देने की मांग उठाई। इतना सब सरेआम हुआ, मगर पुलिस-प्रशासन मूकदर्शक बना रहा।

हिन्दू धर्म को गरियाने और उसके आराध्यों को टारगेट करने या देश में रह कर देशविरोधी नारे लगाने से किसी का भी भला नहीं होगा यह सब जानते हैं पर बेवकूफों को एजेंडा चलाने की ऐसी सनक है कि मार भी खा लेंगे, गाली खाने के तो खैर आदि हो गए हैं। और तो और बाहरी दुश्मनों की भांजी लाठियां भी सहर्ष स्वीकार कर लेंगे पर बिना हिन्दू धर्म को दुष्प्रचारित करे न उनके पेट का पानी पचता है और न ही पचता खाना।

ऐसे में एक ही इलाज है ऐसे लोगों का जैसे रासूका लाकर दंगाइयों और उपद्रवियों की दुर्दशा हुई है, इन पर ऐसे ही सख्त प्रावधानों के अंतर्गत कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि इसके बिना यह लोग न ही सुधरेंगे और न ही चुप होंगे।

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।