Bihar: सरकार में शिक्षा मंत्री ने रामचरित मानस को नफरती ग्रंथ बता दिया। इस एक बयान से देश की राजनीति का महौल गर्म कर दिया है। एक तरफ जहां संतों ने शिक्षा मंत्री के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है तो वहीं दूसरी ओर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बयान को लेकर अनभिज्ञता जताई है। इससे हिंदुओं में नाराजगी है। वहीं भाजपा ने बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि ये सब वोट बैंक की राजनीति का फंडा है।
ये बिहार का शिक्षा मंत्री है। सुनिए और कपार धुनिए। pic.twitter.com/2UZHRvU4Cl
— अ स अजीत (@JhaAjitk) January 11, 2023
बिहार की सियासी फिजा में रामचरित मानस गूंज रहा है। बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव ने नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा रामचरित मानस, मनुस्मृति और गोलवरकर की किताब नफरत फैलाने वाले ग्रंथ हैं। चन्द्रशेखर का बयान राजनीतिक तौर पर क्या असर डालेगा यह तो समय के गर्भ में है, लेकिन इतना तो तय है कि हिन्दुओं की आस्था पर उन्होंने कड़ा प्रहार किया है। सवाल उठता है कि पर हित सरिस धरम नहिं भाई… दूसरे की भलाई जैसा धर्म कोई नहीं है की सीख देने वाले रामचरित मानस को नफरती कहना कितना उचित है।
मनुस्मृति के बहाने आरएसएस पर निशाना
Bihar: शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि नफरत देश को महान राष्ट्र नहीं बना सकती है। प्रेम से ही देश महान बनेगा। मनुस्मृति नफरत फैलाती है। मनुस्मृति में 85 प्रतिशत लोगों को गाली दी गयी है। इसीलिए अतीत में इसे जलाया गया है। रामचरित मानस में कहा गया है कि निचली जातियों के लोगों को शिक्षा का अधिकार नहीं है। निचली जाति के लोग शिक्षा पाकर सांप के समान जहरीले हो जाते हैं। दूध पीने के बाद उनका जहर और बढ़ जाता है।
शिक्षा मंत्री ने बाबा भीमराव अंबेडकर के हवाले से आगे कहा कि ये पुस्तकें नफरत फैलाती हैं। पहले युग में मनुस्मृति ने यह काम किया, दूसरे युग में रामचरित मानस और तीसरे युग में गोलवरकर के बंच आफ थाट्स ने नफरत फैलाने का काम किया। हालांकि इससे पहले जीतन राम माझी ने भी इसी तरह की टिप्पणी की थी। उन्होंने रामचरित मानस को काल्पनिक कथाओं की किताब कहा था, लेकिन मांझी को तो कम से कम रामचरित मानस में अच्छी बातें भी दिखती हैं, लेकिन चंद्रशेखर को यह नफरती ग्रंथ लगता है। चंद्रशेखर के बयान पर अब विवाद शुरू हो गया है।
सोशल मीडिया पर यूजर्स ने लगाई शिक्षा मंत्री की क्लास
Bihar: शिक्षा मंत्री के बयान को लेकर सोशल मीडिया यूजर भी तरह-तरह के कमेंट कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा… पूजही विप्र सकल गुण हीना, शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा। मतलब कि ब्राम्हण चाहे कितना भी ज्ञान गुण से रहित हो, उसकी पूजा करनी ही चाहिए और शूद्र चाहे कितना भी गुणज्ञानी हो वो कभी पूज्यनीय नहीं हो सकता। दूसरे यूजर ने लिखा… इसको 50 जूते मारो लेकिन गिनना मत। एक और यूजर ने लिखा… गला कटने का डर नहीं है इसलिए तो सोनी टीवी से लेकर पीके वाले बॉलिवुड वाले सस्ते नेता और रद्दी सुधारक कुछ भी बोल लेते हैं दूसरे धर्म का इतना डर है कि सत्य घटना बोलने दिखाने में भी रूह कांपती है इनकी।