Gyanvapi Case: वाराणसी जिला कोर्ट ने कार्बन डेटिंग याचिका को किया खारिज

Gyanvapi Case:

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी जिला कोर्ट ने मस्जिद परिसर में कार्बन डेटिंग और ‘शिवलिंग’ की वैज्ञानिक जांच की मांग वाली हिंदू पक्ष की मांग को खारिज कर दिया।

आपको बता दें कि हिंदू पक्ष की तरफ से ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच की मांग की गई थी। जिसको कोर्ट ने आज खारिज करते हुए कहा कि विवादित स्थल की कार्बन डेटिंग नहीं की जा सकती।

कार्बन डेटिंग में होता क्या है?

आप को बता दें कि किसी वस्तु की उम्र और समय निर्धारण की विधि को कार्बन डेटिंग कहते हैं। कार्बन डेटिंग से 20 हजार साल पुरानी वस्तुओं की उम्र का पता लगाया जा सकता है। साल 1949 में पहली बार कार्बन डेटिंग विधि की खोज की गई थी।

यहीं कारण था कि  हिंदू पक्ष शिवलिंग की उम्र का पता लगवाने के पक्ष में था लेकिन बता दें कि यह पूरा मामला मस्जिद की दीवार से सटी श्रृंगार गौरी की पूजा अर्चना की इजाजत की मांग से शुरू हुआ था, जो शिवलिंग के दावे तक पहुंचा गया था।

गौरतलब है कि जिला जज की अदालत में सुनवाई से पहले इस मामले में सिविल जज सीनियर डिविजन के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे किया गया था। सर्वे के बाद मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग होने का दावा किया गया था जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था। विवाद के बीचसर्वे के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट चली गई।  

बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में हिंदू पक्ष की ओर से माँ श्रृंगार गौरी में पूजा अर्चना की अनुमति माँगी थी अनुमति वाली याचिका पर कोर्ट सुनवाई कर रहा है। हालांकिमुस्लिमपक्ष ने इस याचिका पर अपना विरोध दर्ज करवाया था।

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।