Gyanvapi Maszid Case: इलाहबाद हाई कोर्ट ने 21 जनवरी के आदेश पर फैसला रखा सुरक्षित, मांगी गई थी ‘व्यास तहखाना’ में नमाज अदा…

Gyanvapi Maszid Case

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी कोर्ट के 21 जनवरी के आदेश को चुनौती देने वाली ज्ञानवापी मस्जिद समिति की अपील पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जो मस्जिद के ‘व्यास तहखाना’ में नमाज अदा करने की अनुमति देता है।

 आपको बता दें कि ज्ञानवापी तहखाने में पूजापाठ के खिलाफ दायर याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने मस्जिद के भीतर पूजापाठ पर रोक लगाने की अपील की थी। और इसके साथ ही मुस्लिम पक्ष के वकील ने ‘व्यास तहखाना’ के अंदर नमाज करने की इजाजत मांगी थी।

गौरतलब है कि गुरुवार 15 फरवरी को सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वकील सीएस वैद्यनाथन कहा कि “ज्ञानवापी के दाहिने हिस्से में तहखाना स्थित है और यहां 1993 तक हिंदू पूजा कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि वाराणसी कोर्ट ने हमें पूजा का आदेश दिया कि ज्ञानवापी तहखाने में पूजापाठ किसी तरह से मुस्लिमों के अधिकारों को प्रभावित नहीं करता है। हिंदू पक्ष के वकील कोर्ट के सामने दलील देते हुए आगे कहा कि मुसलमानों ने कभी भी तहखाने में नमाज नहीं पढ़ी है।”

वहीं, मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील सैयद फरमान अहमद नकवी ने कोर्ट के समक्ष दलील देते हुए कहा कि “हिंदू पक्ष ने CPC की धारा 151, 152 को सही ढंग से पेश नहीं किया। जिला जज के आदेश में बड़ी खामी है। उन्हें (वाराणसी कोर्ट को) सोचसमझकर अपना फैसला देना चाहिए था। जब व्यास परिवार ने अपने पूजा के अधिकार को काशी विश्वनाथ ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दिया था, तो उन्हें अर्जी दाखिल करने का कोई हक नहीं था।

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।