Hijab Protest Update: हिजाब एक बार फिर से सुर्खियों में है लेकिन इस बार कर्नाटक में हिजाब पहनने वाली कथित ‘शेरनी’ मुस्कान की वजह से इसकी चर्चा नहीं हो रही है। बल्कि, अब ईरान में हिजाब को लेकर पुरजोर विरोध हो रहा है, ईरान में महिलाएं 9 दिन से सड़कों पर हैं। इसकी शुरुआत हुई थी 16 सितंबर को जब 22 साल की लड़की महसा अमिनी की हिजाब ठीक ढंग से न पहनने पर ‘मॉरेलिटी पुलिस’ द्वारा की गई हत्या से हो गई …. इसके बाद अब एक और महसा जैसी मासूम लड़की जिसका नाम हदीस नजफी भी इन कट्टरपंथियों की भेट चढ़ गई। ईरान में अब तक हिजाब विवाद में 50 से ज्यादा की मौत के साथ ही 750 से ज्यादा घायल… इन नो दिनों के अंदर ईरान में महसा के बाद हदीसी की भी मौत हो गई है।
Hijab Protest Update: यह दरिंदगी की इंतहा नहीं तो और क्या है कि एक 22 साल की युवती को पुलिस सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लेती है, क्योंकि उसने हिजाब नहीं पहन रखा था और उसे हिरासत में ले जाकर पूछताछ करती है। और आखिर में वो लड़की को जान से मार देते है …
लड़की की मौत के बाद जब पुलिसकर्मियों पर सवाल दागे जाते हैं, तो बचाव में दलीलों की दरिया बहा दिया जाती है और खुद को बेकसूर साबित करने की जंग शुरू हो जाती है, लेकिन जिनकी बेटी इस क्रूरता का शिकार हुई है, क्या पुलिसकर्मी उन्हें उनकी बेटी लाकर देगी?
इस्लामिक देश ईरान महिलाओं पर अत्याचार के लिए कुख्यात है। शरिया कानून के चलते वहां महिलाओं से आए दिन भेदभाव किया जाता है। ईरान में लड़कियों और महिलाओं को हिजाब में रखा जाता है।
Hijab Protest Update: हिजाब का ये मामला इतना बिगड़ चुका है की पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किये जा रहे है। महिलाएं अपने हिजाब को पुलिस के सामने उतार रही हैं और अपने बालों को काट रही हैं। प्रदर्शनों से घबराई और दमन पर उतारू ईरान की कट्टरपंथी सरकार ने इंटरनेट पर पाबंदी लगा रखी है।
ईरान में 50 से ज्यादा शहरों में उग्र विरोध-प्रदर्शन चल रहे हैं जिनमें महिलाओं की संख्या कहीं ज्यादा है। महसा अमिनी को श्रद्धांजलि के तौर पर महिलाएं अपने बालों को काट रही हैं और हिजाब को आग के हवाले कर इस्लामिक कट्टरपंथियों को मुंहतोड़ जवाब दे रही हैं।
लेकिन अब एक और महसा की इन कट्टरपंथियों ने जान ले ली, बिना हिजाब के ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शनों की अगुवाई कर रही 20 साल की हदीस नजफी की सुरक्षाबलों ने गोली मारकर हत्या कर दी। हदीस नजफी ईरान की राजधानी तेहरान के पास कराज शहर में हिजाब का विरोध कर रही थीं।
Women of Iran-Saghez removed their headscarves in protest against the murder of Mahsa Amini 22 Yr old woman by hijab police and chanting:
death to dictator!
Removing hijab is a punishable crime in Iran. We call on women and men around the world to show solidarity. #مهسا_امینی pic.twitter.com/ActEYqOr1Q
— Masih Alinejad 🏳️ (@AlinejadMasih) September 17, 2022
Hijab Protest Update: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हदीस नजफी को 6 गोलियाँ मारी गईं हैं। ये गोलियाँ सीने, चेहरे और गर्दन में लगी हैं। हदीस ईरान में हिजाब विरोध प्रदर्शन का प्रतीक बनने वाली लड़कियों में से एक थीं। जब उनका पुलिस से सामना हुआ तो वह बिना हिजाब का विरोध कर रही थीं।
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में हदीस नजफी विरोध प्रदर्शन में शामिल होने से पहले अपने बालों को रबर बैंड से बाँधते हुए दिखाई दे रही हैं। जिसके बाद ही हदीस को मार दिया गया।
ईरान के लगभग हर शहर में महिलाएँ मोरल पुलिसिंग और हिजाब कानून के खिलाफ सड़कों पर उतर गई हैं। ईरान में महिलाएँ सरकार के लिए मुश्किल का सबसे बड़ा सबब बन गई हैं। न तो वो हिजाब पहनने को तैयार हैं और न ही बाल ढँकने को तैयार हैं।
प्रदर्शन से निपटने के लिए सरकार भी पूरी ताकत लगा रही है। निशाने पर महिलाएं ही हैं। प्रदर्शन का चेहरा बन रहीं महिला कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया जा रहा है। वो कहां है, कोई नहीं जानता।
Hijab Protest Update: फायरिंग से अब तक 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। कुर्दिस्तान में ही 15 लोग मारे गए और करीब 750 घायल हैं। एक हजार से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है। राजधानी तेहरान के प्रमुख चौराहों पर महिलाएं निकल आई हैं।
पुरुष भी साथ हैं और इसका असर देश के सभी 31 प्रांतों तक पहुंच गया है। महिलाओं ने हिजाब तो उतारे ही हैं, ईरान की सत्ता को चुनौती देते हुए बाल तक काट दिए। प्रदर्शनों से घबराई और दमन पर उतारू ईरान की कट्टरपंथी सरकार ने इंटरनेट पर पाबंदी लगा रखी है। लिहाजा वहां से काफी कम जानकारी सामने आ रही है।
ईरान में इंटरनेट पर पाबंदी के बाद एलन मस्क ने ईरान के लिए स्टारलिंक सैटेलाइट सर्विस शुरू कर दी है। लेकिन इससे इंटरनेट चलाने में ईरानी नागरिकों को काफी समस्या हो रही है और इसकी वजह टेक्निकल है।
दरअसल, स्टारलिंक से इंटरनेट एक्सेस के लिए टर्मिनल बनाने होंगे। इस बात की उम्मीद काफी कम है कि ईरान सरकार इन्हें लगाने की मंजूरी देगी। हालांकि अगर कोई टर्मिनल लगा लेता है तो वो स्टारलिंक के जरिए बाहरी दुनिया से कनेक्ट हो सकता है।
Hijab Protest Update: दूसरी तरफ, कार्नेगी एंडाउमेंट सेंटर से जुड़े ईरान मामलों के विश्लेषक करीम सादजादपोर के मुताबिक ईरान का इंटरनेट बंद करना खतरनाक संकेत है। पिछली बार जब ईरान ने इंटरनेट बंद किया था, तब 1500 लोग मारे गए थे।
इस तरह के विरोध-प्रदर्शन पहले भी ईरान में इस्लामिक कट्टरपंथियों ने पूरी ताकत के साथ खत्म किए हैं। फिर चाहे इसके लिए कितने ही लोगों की बलि क्यों न चढ़ जाए। लेकिन, इन तमाम चीजों के बीच एक वर्ग है, जो ये साबित करने में तुला हुआ है कि ईरान में हो रहा प्रदर्शन सिर्फ कुर्द समुदाय का प्रदर्शन भर है और, सिर्फ कुर्दिस्तान तक ही सीमित है।
महसा अमिनी ईरान के इस्लामिक कानूनों के खिलाफ एंटी हिजाब मूवमेंट की अगुआ के तौर पर काम करती थी। यहीं बुद्धिजीवी लोग भारत में मुस्कान के हिजाब पहनने को ‘निजी पसंद और कपड़े चुनने की आजादी’ बता रहे हैं और अब ईरान में महसा अमिनी की हत्या पर ‘चुप्पी’ साधे हुए हैं।
हिजाब की मांग तकरीबन सभी इस्लामिक देशों के साथ नॉन-इस्लामिक देशों में भी एक जैसी ही है। लेकिन, ये मांग पूरी तरह से देश, काल और परस्थिति पर निर्भर करती है। वैसे, भारत फिलहाल इस्लामिक देश नहीं है। लेकिन, यहां भी कुछ इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों ने मुस्लिमों में हिजाब जैसी चीजों को लेकर कट्टरता भरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है।
ईरान में हिजाब की होली जलायी जा रही है, महिलाएं अपने बाल काट रही हैं, महिलाएं सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रही हैं। मुस्लिम औरतें खुद आगे बढ़कर गुलामी के इस प्रतीक को स्वाहा कर रही हैं।
Hijab Protest Update: ऐसे में हमारे जहन में मलाला यूसुफजई का नाम सबसे पहले आ रहा है. मलाला यूसुफजई तो खुद को महिलाओं का हमदर्द बताती हैं. वे तो हमेशा महिलाओं के अधिकारों को लेकर आवाज उठाती रही हैं, फिर ईरान की महसा अमिनी की मौत पर उन्हें सांप क्यों सूंघ गया है? जो मलाला कर्नाटक की हिजाब गर्ल मुस्कान के लिए इतनी मुखर थी आखिर महसा के मामले में इतनी लंबी चुप्पी क्यों?
क्या मलाला को ईरान की लड़कियों की चीखें नहीं सुनाई दे रही हैं? क्या उन्हें ये मालूम नहीं कि सिर्फ हिजाब ना पहनने की वजह से महसा अमिनी को इतना मारा गया कि उसकी मौत हो गई? सोशल मीडिया पर ट्रोल होने के बाद आखिरकार एक बार मलाला सोशल मीडिया पर आईं, और एक ट्वीट कर गायब हो गईं।
इस्लामिक कट्टरपंथी रिवाजों के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं का ये सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन है और दुनियाभर से ईरानी महिलाओं के समर्थन में आवाज उठाई जा रही है लेकिन, मलाला को ईरानी महिलाओं के हिजाब विरोध के मामले पर मानो सांप सूंघ गया है ।
जो इस्लामिक कट्टरपंथी मुस्कान का साथ देते हुए भारत में हंगामा कर रहे थे उन्होंने महसा की मौत पर एक शब्द बोलना भी मुनासिब नहीं समझा. दरअसल कट्टरपंथ का उद्देश्य ही है महिलाओं को हिजाब के नाम पर धार्मिक चादर में लपेटकर घर की चाहरदीवारी में कैद करना।
इसीलिए हिजाब को पहनने वाली मुस्कान उनके लिए पोस्टर गर्ल बन गई जबकि ईरान की महसा अमिनी कट्टरपंथियों के लिए खतरा बन गई और मुस्कान को लेकर जो लोग ‘फ्रीडम ऑफ चॉइस’ की बात कर रहे थे उन्होंने महसा अमीनी की मौत से मुंह मोड़ लिया है।
लेकिन सवाल यही है क्या किसी भी देश के लिए एक महिला की जान से भी ज्यादा मायने उसका ड्रेस कोड रखता है और यही सवाल अब ईरानी महिलाओं का भी सरकार से है ऐसी बर्बरता महिलाओं के साथ ही क्यों होती है। आखिरकार कब तक महसा और हदीस जैसी लड़कियों को हिजाब के नाम पर बलि का बकर बनाया जाएगा ?
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