Mohan Bhagwat: संघ प्रमुख ने जातिगत व्यवस्था को लेकर कहा कि -‘वर्ण और जाति व्यवस्था अतीत की बात, भुला देना चाहिए’

Mohan Bhagwat

Mohan Bhagwat: शुक्रवार 7 अक्टूबर को महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित पुस्तक विमोचन के एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शिरकत की है। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान कहा कि वर्ण  और जाति व्यवस्था अतीत की बात हो गई है, जिसे भुला देना चाहिए।

संघ प्रमुख  ने कहा, ”वर्ण और जाति व्यवस्था की अवधारणा को भुला देना चाहिए। आज अगर कोई इस बारे में पूछता है तो समाज के हित में सोचने वाले सभी लोगों को बता देना चाहिए कि वर्ण और जाति व्यवस्था अतीत की बात है और इसे भुला देना चाहिए।”

इससे पहले आरएसएस के भाईचारे के पक्ष में खड़े होने के संकल्प को दोहराते हुए भागवत ने कहा था कि अल्पसंख्यकों को संकट में डालना न तो संघ का स्वभाव है और न ही हिंदुओं का विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस आरएसएस पर समाज को बांटने की कोशिश करने और लोगों को आपस में लड़ाने का आरोप लगाती आई है।

 संघ प्रमुख ने अल्पसंख्यकों को लेकर भी दिया है बयान

आप को बता दें कि विजयदशमी के दिन आयोजित किए गए कार्यक्रम में पर्वतारोही संतोष यादव मुख्य अतिथि थी। इस मौके पर संघ प्रमुख ने आगे कहा, ”अल्पसंख्यकों के बीच अफवाह फैलाई जाती है कि उन्हें हमसे और हिंदुओं से खतरा है। यह अतीत में नहीं हुआ और न ही भविष्य में होगा। यह न तो संघ का स्वभाव है और न ही हिंदुओं का।”

भागवत- हिंदू समाज ऐसा होना चाहिए

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इस प्रकार के हिंदू समाज की आवश्यकता है कि न तो धमकाया जाए और न ही धमकी में आया जाए। उन्होंने कहा कि “आत्मरक्षा और हमारी खुद की रक्षा उन सभी लोगों का कर्तव्य बन जाती है जो नफरत फैलाने वाले, अन्याय और अत्याचार करने वाले और समाज के प्रति उपद्रव और शत्रुता रखने वालों के खिलाफ हैं। संघ भाईचारे, मेल-जोल और शांति के पक्ष में खड़ा होने का संकल्प लेता है।”

संघ प्रमुख:जनसंख्या नियंत्रण पर भी दे चुके नसीहत

मोहन भागवत ने ये भी कहा कि “भारत को सभी सामाजिक समूहों पर समान रूप से लागू एक सुविचारित, व्यापक जनसंख्या नियंत्रण नीति तैयार करनी चाहिए। साथ ही उन्होंने जनसांख्यिकीयअसंतुलनके मुद्दे को उठाया और कहा कि जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है।

उन्होंने कहा कि समुदाय आधारितजनसंख्या असंतुलन एक महत्वपूर्ण विषय है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और साथ ही ये भी  कहा कि जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है।

भागवत ने कहा, ‘पचहत्तर साल पहले, हमने अपने देश में इसका अनुभव किया। 21 वीं सदी में, तीन नए देश जो अस्तित्व में आए हैंपूर्वी तिमोर, दक्षिण सूडान और कोसोवोवे इंडोनेशिया, सूडान और सर्बिया के कुछ क्षेत्रों में जनसंख्या असंतुलन के परिणाम हैं।

उन्होंने कहा कि संतुलन बनाने के लिए नई जनसंख्या नीति सभी समुदायों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए और साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि ‘इस देश में समुदायों के बीच संतुलन बनाना ही होगा।

उन्होंने कहा, ‘जन्म दर में अंतर के साथसाथ लालच देकर या बलपूर्वक धर्मांतरण,और घुसपैठ भी बड़े कारण हैं और इन सभी बिंदूओं पर विचार करना चाहिए।

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।