PFI Ban: लालू यादव ने RSS पर कसा तंज,कहा- ‘पीएफआई की तरह इसको भी कर दो बैन’

PFI Ban

PFI Ban: लालू यादव ने RSS पर तंज कसते हुए कहा कि “PFI की तरह जितने भी नफ़रत और द्वेष फैलाने वाले संगठन हैं सभी पर प्रतिबंध लगाना चाहिए जिसमें RSS भी शामिल है। सबसे पहले RSS को बैन करिए, ये उससे भी बदतर संगठन है। आरएसएस पर दो बार पहले भी बैन लग चुका है। सनद रहे, सबसे पहले RSS पर प्रतिबंध लौह पुरुष सरदार पटेल ने लगाया था।”

PFI Ban: वही मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए PFI और उसके अनुषांगिक संगठनों पर लगाया गया प्रतिबंध सराहनीय एवं स्वागत योग्य बताया है। उन्होंने कहा की यह ‘नया भारत’ है, यहां आतंकी, आपराधिक और राष्ट्र की एकता व अखंडता तथा सुरक्षा के लिए खतरा बने संगठन एवं व्यक्ति स्वीकार्य नहीं।’

आप को बता दें कि टेरर लिंक के सबूत मिलने के बाद पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर सरकार ने बड़ा एक्शन लेते हुए इस आतंकी संगठन पर 5 साल तक के लिए बैन लगा दिया है। केंद्र सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, पीएफआई के अलावा 8 सहयोगी संगठनों को भी पांच साल के लिए बैन कर दिया गया है।

PFI Ban: एनआईए की कार्रवाई के दौरान केरल और तमिलनाडु में पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने आगजनी और तोड़-फोड़ की घटनाओं को अंजाम दिया था। पीएफआई पर एनआईए की इस ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद इस संगठन पर बैन लगाए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी थी।

जिसके बाद आखिरकार इस पर बन लग गया क्योंकि pfi के कुकर्मों की लिस्ट ही लम्बी चौड़ी थी की सरकार ने इसे सबक सिखाने का प्लान बना लिया था, आज तक देश में कई जगह आतंक के अड्डे बनाना हो या फिर भारत देश को इस्लामिक राष्ट्र में तब्दील करना हो पीएफआई ने अपनी घटिया और देश विरोधी गतिविधियों की वजह से पीएफआई NIA और ED के राडार पर था।

PFI Ban: देश में कई हिंसा, दंगा और हत्याओं में पीएफआई का नाम आता रहा है. उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक जब भी कोई बड़ा कांड होता है, शुरू से ही विवादित इस संगठन पीएफआई को जिम्मेदार ठहराया जाता है।

नागरिकता संशोधन कानून के दौरान शाहीनबाग हिंसा, जहांगीरपुरी हिंसा से लेकर यूपी में कानपुर हिंसा, राजस्थान के करौली में हिंसा, मध्य प्रदेश के खरगौन में हिंसा और कर्नाटक में भाजपा नेता की हत्या, इन सबके साथ देशभर में कई हिंसा और हत्याओं में इस पीएफआई संगठन का नाम आ चुका है।

इतना ही नहीं, इसके ऊपर भारत विरोधी एजेंडा चलाने का भी आरोप लगा है, जिसके सबूत भी जांच एजेंसियों को मिले हैं और साथ ही इस पर  गैर-कानूनी तरीके से फंड लेने और कट्टरपंथ फैलाने का भी आरोप है……

अब तक के सबसे बड़े अभियान में पीएफआई के खिलाफ दो बार देशव्यापी छापेमारी हो चुकी है। पहली छापेमारी 22 सितंबर को हुई थी, जब 15 राज्यों में 96 जगहों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की गई थी और इस संगठन से जुड़े करीब 100 छोटे-बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया गया था।

दूसरे राउंड की छापेमारी 27 सितंबर यानी मंगलवार को हुई थी और यह छापेमारी देश के 8 राज्यों में हुई थी। इस दौरान 200 से अधिक कैडर्स को हिरासत में लिया गया…लेकिन वही अब कुछ लोगो ने इसके सहायक संगठन SDPI को बैन करने की भी बात कही है।

आखिरकार PFI बैन को लेकर क्यों उठी थी मांग

बात करें दिल्ली के शाहीनबाग में हुए सीएए विरोधी प्रदर्शन की या कर्नाटक में हुए हिजाब विवाद की। सीएए विरोधी दंगों की हो या पैगंबर टिप्पणी विवाद की।

अगर बात ‘सिर तन से जुदा’ के नारे की हो या रैली में हिंदुओं के खात्मे का नारा… इन तमाम मामलों को एक-दूसरे से जोड़ने वाली जो कड़ी है, वो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई ही है।

आसान शब्दों में कहें, तो कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पीएफआई का एजेंडा देश में शरिया कानून लागू कराने से शुरू होकर गजवा-ए-हिंद तक जाता है। ‘मिशन 2047’ के एक प्रिंट डॉक्यूमेंट जरिये पीएफआई ने बाकायदा इसका रोडमैप बनाया है। जो कुछ समय पहले बिहार में हुई छापेमारी के दौरान सामने आया था।

इस संगठन पर धर्मांतरण के लिए मुस्लिम युवकों को पैसा, आवास, रोजगार भी उपलब्ध कराने की बातें सामने आई हैं। लव जिहाद करने के लिए मुस्लिम युवकों को बाकायदा ट्रेनिंग दी जाती थी कि हिंदू युवतियों से वो किस तरह से अपनी पहचान छुपा कर उनसे धर्म बदलवाया जाये।

वैसे, एनआईए की हाल में की गई छापेमारी में पीएफआई नेताओं के ऑफिस और आवासों से बड़ी मात्रा में कैश, डिजिटल डिवाइस, देश विरोधी-आपत्तिजनक-भड़काऊ दस्तावेज और हथियार भी बरामद किए गए हैं।

इस कार्रवाई में ये बात भी सामने आई है कि पीएफआई के निशाने पर पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह समेत भाजपा और आरएसएस के कई नेता रडार पर थे। पीएफआई पर हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने के लिए कैंप लगाने के भी आरोप हैं। इसके अलावा पीएफआई पर जिहादी आतंकियों से संबंध होने और इस्लामिक कट्टरवाद को बढ़ावा देने के आरोप भी लगे हैं.

PFI Ban:अब तक कितने देश विरोधी कामों को PFI ने दिया है अंजाम

PFI और इसके कैडरों के खिलाफ कई राज्यों में 1300 से ज्यादा आपराधिक केस दर्ज हैं और इसके संबंध अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से भी रहे हैं। इसके कैडर (खासकर केरल से) ISIS की तरफ से लड़ने के लिए सीरिया, इराक, अफगानिस्तान तक गए हैं।

PFI खुद को सामाजिक संगठन कहता है लेकिन RSS कार्यकर्ताओं की हत्या तक में PFI कैडरों का हाथ रहा है। इन लोगों ने केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु में कई हत्याएँ की हैं।

केरल के जंगलों में PFI कैडरों ने मिलिट्री ट्रेनिंग कैंप तक बना रखा था

खतरनाक हथियार और गोला-बारूद रखने के मामले में PFI के 41 कैडरों को कोर्ट ने सजा भी सुनाई है। आप को बता दें कि भारत के कई राज्यों और विदेशों से PFI को फंडिंग होती है। केरल के जंगलों जैसा मिलिट्री ट्रेनिंग कैंप तेलंगाना में भी। गरीब और मध्यम आय वर्ग के मुस्लिम लड़कों को हिंदू-विरोधी मानसिकता के साथ PFI ट्रेनिंग देता है।

लेकिन विपक्ष को न जाने ये बात रास क्यों नहीं आ रही है और कांग्रेस ने अब आरएसएस को बैन करने की मांग उठा दी है… वहीं, कांग्रेस की तरफ से अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS पर बैन की मांग उठने लगी है।

बता दें कि दो दिन पहले ही कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने आरएसएस पर बैन की मांग की थी। आज पीएफआई पर बैन लगने के बाद कांग्रेस के एक और बड़े नेता कोड्डिकुनिल सुरेश ने ये मांग रख दी है।

कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर जैसे ही बैन की खबर आई तो यहां यूपी के संभल से सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क भड़क गए हैं। बर्क ने एक टीवी चैनल से बातचीत में पीएफआई पर बैन को मुसलमानों से जोड़ दिया। बर्क ने पीएफआई को मुसलमानों का हितेषी बता दिया और बर्क यहीं नहीं रुके।

उन्होंने पीएफआई को गैरकानूनी संगठन की जगह राजनीतिक दल भी बता दिया। उनके अनुसार सरकार को तो मौका चाहिए और ऐसे संगठनों पर बैन लगाया जाता रहता है। उन्होंने ये भी कहा कि मुसलमानों की बात तो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम AIMIM भी करती है। बर्क ने कहा कि ऐसी पार्टियों पर हरगिज बैन नहीं लगना चाहिए।

अब सवाल ये उठता है की इस बैन से आखिर क्या फायदा होगा ?

इस बैन से अब पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया अब एक्टिव नहीं हो सकेगा और न ही वह किसी प्रकार की गतिवधि को अंजाम नहीं दे सकता है। सरकार के एक्शन के बाद वह न तो अब कोई कार्यक्रम आयोजित कर सकता है और न ही उसका कोई ठिकाना यानी दफ्तर होगा।

वह न तो किसी से फंड ले सकता है और न वह अपने नेटवर्क को मजबूत करने के लिए कोई सदस्यता अभियान चला सकता है कुल मिलाकर पीएफआई अब किसी भी तरह की गतिविधि में शामिल नहीं हो सकता है और इससे उसके टेरर लिंक कमजोर पड़ जाएंगे।

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।