RSS: केंद्रीयमंत्री गिरीराज सिंह ने RSS मामले में राजद के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री लालू य़ादव पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि ” हमे आरएसएस का स्वयंसेवक होने पर गर्व है,क्या लालू यादव कह सकते हैं कि वह PFI के सदस्य हैं? बिहार में उनकी सरकार है, हिम्मत है तो बिहार में आरएसएस को बैन कर दो।”
RSS: उन्होंने ये भी कहा कि ” लालू यादव जी की याददाश्त कमजोर हो गई है, 1990 में जब वे पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, तब वे इस आरएसएस और बीजेपी का गुणगान कर रहे थे, आज वोट बैंक की जरूरत है तो पीएफआई की तारीफ कर रहे हैं।”
लालू यादव जी की याददाश्त कमजोर हो गई है, 1990 में जब वे पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, तब वे इस आरएसएस और बीजेपी का गुणगान कर रहे थे, आज वोट बैंक की जरूरत है तो पीएफआई की तारीफ कर रहे हैं।
— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) September 28, 2022
RSS: गौरतलब है कि इससे पहले लालू यादव ने RSS पर तंज कसते हुए कहा कि “PFI की तरह जितने भी नफ़रत और द्वेष फैलाने वाले संगठन हैं सभी पर प्रतिबंध लगाना चाहिए जिसमें RSS भी शामिल है। सबसे पहले RSS को बैन करिए, ये उससे भी बदतर संगठन है। आरएसएस पर दो बार पहले भी बैन लग चुका है। सनद रहे, सबसे पहले RSS पर प्रतिबंध लौह पुरुष सरदार पटेल ने लगाया था।”
आप को बता दें कि टेरर लिंक के सबूत मिलने के बाद पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर सरकार ने बड़ा एक्शन लेते हुए इस आतंकी संगठन पर 5 साल तक के लिए बैन लगा दिया है। केंद्र सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, पीएफआई के अलावा 8 सहयोगी संगठनों को भी पांच साल के लिए बैन कर दिया गया है।
एनआईए की कार्रवाई के दौरान केरल और तमिलनाडु में पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने आगजनी और तोड़-फोड़ की घटनाओं को अंजाम दिया था। पीएफआई पर एनआईए की इस ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद इस संगठन पर बैन लगाए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी थी।
देश में कई हिंसा, दंगा और हत्याओं में पीएफआई का नाम आता रहा है. उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक जब भी कोई बड़ा कांड होता है, शुरू से ही विवादित इस संगठन पीएफआई को जिम्मेदार ठहराया जाता है।
नागरिकता संशोधन कानून के दौरान शाहीनबाग हिंसा, जहांगीरपुरी हिंसा से लेकर यूपी में कानपुर हिंसा, राजस्थान के करौली में हिंसा, मध्य प्रदेश के खरगौन में हिंसा और कर्नाटक में भाजपा नेता की हत्या, इन सबके साथ देशभर में कई हिंसा और हत्याओं में इस पीएफआई संगठन का नाम आ चुका है।
इतना ही नहीं, इसके ऊपर भारत विरोधी एजेंडा चलाने का भी आरोप लगा है, जिसके सबूत भी जांच एजेंसियों को मिले हैं और साथ ही इस पर गैर-कानूनी तरीके से फंड लेने और कट्टरपंथ फैलाने का भी आरोप लगता रहा है……
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