Shri Krishna Janam Bhoomi Vivad: शाही ईदगाह कमेटी अध्यक्ष ने कहा कि “विवाद का समाधान वार्ता से भी किया जा सकता है”

Shri Krishna janam Bhoomi Vivad

Shri Krishna Janam Bhoomi Vivad: यूपी के मथुरा स्थित भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि परिसर में बनी मस्जिद को लेकर वैसी ही सरगर्मी है, जैसी काशी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर है। मथुरा की सिविल कोर्ट ने श्री कृष्ण जन्म स्थान और शाही ईदगाह की विवादित जमीन का सर्वे कराने का आदेश दिया है। इससे बाद मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। कोर्ट ने सर्वे की रिपोर्ट 20 जनवरी तक सौंपने का आदेश दिया है।

आपको बता दें कि कमेटी के अध्यक्ष जेड हसन मंगलवार को लखनऊ में थे। श्रीकृष्ण की जन्मभूमि परिसर मामले में शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के अध्यक्ष डा. जेड हसन ने महत्वपूर्ण बात कही है। उन्होंने कहा कि हम न्यायालय से बाहर भी मंदिर और ईदगाह का मामला हल कर सकते हैं। उन्‍होंने इस मामले में साफ कहा है कि इस केस में अदालत के बाहर भी आपसी बातचीत के आधार पर हल निकाला जा सकता है।

Shri Krishna Janam Bhoomi Vivad: अध्यक्ष डा. जेड हसन ने कहा कि वो सेवा संस्‍थान व ईदगाह कमेटी के पदाधिकारियों से इस विषय में बात करेंगे कि किस प्रकार से बीच का रास्‍ता निकाला जा सके। उन्‍होंने इस दौरान नई दुनिया के सहयोगी प्रकाशन दैनिक जागरण से फोन पर बात की थी।

देवबंद के रहने वाले जेड हसन ने कहा कि मथुरा प्रेम की नगरी है, हम इसका माहौल बिगाड़ने नहीं देंगे। बीच का रास्ता क्या हो सकता है, इस पर वह बोले, हम दोनों पक्षों से वार्ता करने के बाद ही कुछ कह सकते हैं। ईदगाह कमेटी और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के पदाधिकारियों से राय-मशविरा लेंगे। उनके साथ बैठक कर सोचेंगे कि बीच का रास्ता क्या हो सकता है?

Shri Krishna Janam Bhoomi Vivad: जेड हसन ने आगे कहा कि वो मथुरा में 55 वर्षों से रह रहे हैं। 1992 से वह ईदगाह कमेटी के अध्यक्ष हैं और साथ ही ये भी कहा कि इतने सालों में मथुरा में कभी धर्म को लेकर हिंदू- मुस्लमानों के बीच कभी विवाद नहीं हुआ है। न्यायालय में वाद चल रहा हैं, इससे विवाद की स्थिति बन रही है। हम चाहते हैं कि विवाद न हो। इसके लिए न्यायालय के बाहर हम बैठकर बीच का रास्ता निकाल सकते हैं।

जब उनसे पूछा गया कि अब आप इस मामले में क्या करेंगे तब इस सवाल पर उन्होंने कहा कि हम दो दिन बाद मथुरा पहुंचेंगे। उसके बाद ईदगाह कमेटी और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के पदाधिकारियों से राय-मशविरा लेंगे। उनके साथ बैठक कर सोचेंगे कि बीच का रास्ता क्या हो सकता है?  उन्होंने कहा कि मथुरा प्रेम की नगरी है, हम इसका माहौल बिगड़ने नहीं देंगे। बीच का रास्ता क्या हो सकता है, इस पर वह बोले, हम दोनों पक्षों से वार्ता करने के बाद ही कुछ कह सकते हैं।

Shri Krishna Janam Bhoomi Vivad: उन्होंने कहा कि इसमें रास्ता सोचंगे की पूरे प्रकरण का क्या हल हो सकता है। उन्होंने कहा कि मथुरा प्रेम की नगरी है, हम इसकम महोल बिगड़ने नही देंगे, बrच का रास्ता क्या हो सकता है, जवाब में उन्होंने कहा दोनों पक्षों से वार्ता करने के बाद ही वो इस पर कुछ कह सकते है। अगर वार्ता से बात नही बनी तो फिर जो न्यायालय का आदेश होगा वहीं माना जाएगा।

अधिवक्ता गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि तथ्य क्या है ज़ेड हसन को अच्छे से पता है। उन्हें जानकारी भी है की यह पहले मंदिर था और उसे तोड़ कर मस्जिद बनाई गई थी। बता दें कि इसका स्वामित्व श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट पर है।

ओरंगजेब की परम्परा को ख़त्म करने के लिए अगर को हमारे साथ बात करना चाहता है तो इसका स्वागत है। इसे ध्यान में रखना होगा की ईदगाह किसी भी दूसरे जगह बनाई जा सकती है, लेकिन भगवान का जन्म्स्थान तो नहीं बदला नही जा सकता।

Shri Krishna Janam Bhoomi Vivad: महेंद्र प्रताप सिंह, वादी अधवक्ता ने बताया की अगर इस विवाद का हल न्यायालय के बाहर निकल जाए  तो इससे अच्छी बात क्या होगी?  हमने पहले भी न्यायलय में प्रथना पत्र देकर कहा था कि हम ईदगाह के बदले ढाई गुना जमीन ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा के लिए देने को तैयार है।

बता दें कि मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर विवाद दशकों पुराना है। मथुरा का ये विवाद कुल 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा है। गौरतलब है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है जबकि ढाई एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है।

हिंदू पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाया गया ढांचा बताता है और इस जमीन पर भी दावा किया है। हिंदू पक्ष की और से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और विवादित सारी जमीन को श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर को देने की मांग की गई है।

Shri Krishna Janam Bhoomi Vivad: हालही में, जिला कोर्ट की तरफ से जाँच का आदेश आया है। हिंदू पक्ष इस फैसले को अपनी बहुत बड़ी जीत बता रहा है तो, वहीं मुस्लिम पक्ष ने इसे असंवैधानिक बताकर इसका विरोध किया है। ‘शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी’ के सचिव तनवीर अहमद ने कहा है कि हम इस आदेश को निरस्त करने की मांग अदालत से करेंगे, क्योंकि यह असंवैधानिक है?एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने इस निरीक्षण का विरोध करते हुए कहा है कि मंदिर और मस्जिद के लिखित समाधान के बावजूद यह आदेश दिया गया है।

वहीं विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार का मानना है कि जिस किसी भी व्यक्ति के पास सत्य का सामना करने की हिम्मत है और उसके पास छुपाने को कुछ नहीं है, वह निरीक्षण का विरोध नहीं करेगा, क्योंकि निरीक्षण से वर्तमान परिस्थिति का सत्य सामने आएगा। हम उत्सुकता से इस आदेश के पूरा होने की प्रतीक्षा करेंगे। लेकिन, अब ये समय ही बताएगा कि इस मामले पर न्यायालय क्या निर्णय देगा?

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।