Taj Mahal: याचिकाकर्ता को कोर्ट ने लगाई फटकार, कहा पहले इतिहास पढ़ो-रिसर्च करो तब आना

ताजमहल

Taj Mahal: ताज महल को लेकर लोग वर्षों से संशय में हैं जिसकी हक़ीक़त जानने के लिए लोग लगातार प्रयास कर रहे हैं यहाँ तक की कोर्ट के चक्कर तक लगा रहे हैं। लोग बताते हैं कि यह ताज महल नहीं भगवान शिव का मंदिर है, जिसकी गहनता से जाँच हो तो पता चले। साथ ही लोग ये भी कहते हैं, कि मुग़लों के शासन काल में हिंदुओं के मंदिरों को तोड़ कर मस्जिदें बनाई गईं तो वहीं तेजो महलय को नष्ट कर ताज महल बनाया गया था।

कुछ इतिहासकारों की मानें तो वह ताज महल के नीचे प्राचीन शिव मंदिर होने का दावा करते हैं, इतिहासकार पीएन ओक का इस बात पर दृढ़ विश्वास है कि उन लॉक रूम में भगवान शिव का एक मंदिर भी मौजूद है। बात ये भी खूब विवादों में है कि ताज महल में जब नमाज़ पर प्रतिबंध नहीं तो हिंदुओं के पूजा करने पर विरोध क्यों होता है?

Taj Mahal: बीते दिनों जगतगुरु परमहंसाचार्य ने भी ताजमहल को तेजोमहल होने का दावा करते हुए अंदर शिव पूजा करने की बात पर बुरी तरह से अड़ गए थे और उनके प्रवेश को लेकर भी काफी बड़ा विवाद हुआ था। जिसके चलते आगरा पुलिस को भी उनसे माफ़ी मांगनी पड़ी थी। हिंदूवादी संगठन ताजमहल को लंबे समय सेतेजोमहलहोने का दावा कर रहे हैं। वहीं कई हिंदूवादी संगठनों की ओर से सावन में ताजमहल में शिव आरती करने का प्रयास भी किया जा चुका है।

लेकिन जब ताज महल के 22 कमरों को खोलने की याचिका दी गई तो जस्टिस उपाध्याय ने याचिकाकर्ता को फटकार लगा डाली और कहा जनहित व्यवस्था का दुरुपयोग न करें आज आप कमरों को खोलने की याचिका दायर कर रहे हो जो कि सुरक्षा की दृष्टि से बंद किए गये हैं, कल को आप माननीय जज के चेंबर में जाने की अनुमति माँगेंगे।

हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपको जिस टॉपिक की पता नहीं है, उस पर रिसर्च कीजिए, जाइए एम ए कीजिए, पीएचडी कीजिए। अगर कोई संस्थान रिसर्च नहीं करने देता है, तो तब हमारे पास आइये।

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By खबर इंडिया स्टाफ