पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम बनते ही शाहबाज शरीफ ने कश्मीर का राग अलापना शुरू कर दिया। अमूमन होता भी ये ही कोई राष्ट्रपति बने या बने प्रधानमंत्री, उसकी राजनीति की रोटी सबसे पहले कश्मीर के तवे पर ही सिकती है। बात करे तो फेहरिस्त बहुत लंबी है जिया-उल-हक से लेकर परवेज मुशरफ हो या नवाज शरीफ से लेकर अभी हाल ही में अपदस्त हुए इमरान खान हो, सबने ही सत्ता संभालते ही कश्मीर का रोना रोया था। ऐसा वे करें भी क्यूं न? पाकिस्तान में जितने भी हुकमरान रहे हो सबको ये ही लगता है कि पाकिस्तान की आवाम का प्यार और ध्यान अपनी सरकार की तरफ खीचने का सबसे अच्छा और आसान तरीका कश्मीर ही है।
उनको ये लगता है कि कश्मीर के लोगों के दुख-दर्द के ऊपर घड़ियाली आंसू बहाकर पाकिस्तान की आवाम को खुश कर पाएंगे और वो ऐसा करने में सफल भी हो जाते है। लेकिन वो शायद ये भूल जाते है कि पाकिस्तान के लोग कुछ समय के लिए अपनी गुरवत को भूल सकते है ।
पाकिस्तान के नए नबेले प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने कहा कि हम भारत से बेहतर संबंध चाहते हैं लेकिन मसला-ए-कश्मीर को हल किए बिना अमन कायम नहीं हो सकता और साथ ही उन्होंने कहा कि कश्मीरियों के लिए हर फोरम पर आवाज उठाएंगे। राजनयिक स्तर पर काम करेंगे। उन्हें सपोर्ट देंगे। वे हमारे लोग हैं।
उन्होंने कहा कि अगस्त 2019 में कश्मीर के साथ जो हुआ, आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया गया। हमने कोई कदम उठाए? मसले को अंतररष्ट्रीय स्तर पर उठाया कि कश्मीरियों के साथ क्या हश्र हो रहा है? कश्मीर की वादी में कश्मीरियों का खून बह रहा है। वहां की वादी कश्मीरियों के खून से सुर्ख हो गई है।
हद तो तब हो गई जब उन्होंने पीएम मोदी को ही सलाह दे डाली और समझाते हुए कहा कि आप समझें कि दोनों ओर गरीबी है, बेरोजगारी है। हम अपना और अपने आने वाले नस्लों का नुकसान क्यों करना चाहते हैं? आइए कश्मीर मसले को कश्मीरियों के उमंगों के मुताबिक तय करें। भारत और पाकिस्तान खुशहाली लेकर आएं।
पीएम मोदी कहा चुप रहने वाले थे उन्होंने भी शरीफ को उनके ही अंदाज में ही बधाई देते हुए कहा कि भारत आतंकवाद मुक्त क्षेत्र में शांति और स्थिरता चाहता है। ताकि, हम अपनी विकास चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित कर सकें और अपने लोगों की भलाई और समृद्धि सुनिश्चित कर सकें।
Congratulations to H. E. Mian Muhammad Shehbaz Sharif on his election as the Prime Minister of Pakistan. India desires peace and stability in a region free of terror, so that we can focus on our development challenges and ensure the well-being and prosperity of our people.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 11, 2022
शाहबाज शरीफ ने कहा है कि हम बदकिस्मती से भारत से बेहतर संबंध नहीं बना सके। नवाज शरीफ ने भारत से बेहतर संबंध चाहा था। शरीफ ने कश्मीर को हथियार बनाकर इमरान खान उर्फ नियाजी खान पर जमकर हमला बोला और राजनीति कि पिच पर क्लीन बोल्ड कर दिया। इमरान खान के साथ हमारी पूरी सहानुभूति है कि उनकी रूखसति इस अंदाज में हुई। उनकी हालत कुछ ऐसी हो गई कि उनके लिए किसी शायर की ये लाईन बिलकुल सटीक बैठती है- बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
आप को बता दे कि शरीफ केवल नाम के ही शरीफ है भारत के खिलाफ तो अक्सर बदमाशी और छल ही करते है। वो जब पंजाब प्रांत के सीएम थे। तब भी केवल भारत के खिलाफ जंहर ही उगलते थे। आपको यकीन नहीं आ रहा न लेकिन ये सच है उनके कुछ पहले के बयानों के बारे में बताते है।
साल 2010 मे शाहबाज शरीफ का मानना था कि यूनाइटेड नेशंस के प्रस्तावों के जरिए कश्मीर का समाधान संभव है और तो और भारत के अंदरूनी मामलों मे टांग अड़ाने की बीमारी 2010 से अब तक बदस्तूर जारी है।
2012 में उन्होंने कहा था कि कश्मीर मुद्दे को कश्मीरियों की आकांक्षाओं के अनुसार सुलझाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि सार्थक और व्यावहारिक बातचीत के जरिए मसले को सुलझाया जा सकता है। 2019 में भारत द्वारा आर्टिकल 370 को निरस्त किए जाने के बाद शाहबाज ने इसकी निंदा करते हुए कहा था कि भारत का यह स्टैंड यूनाइटेड नेशंस के खिलाफ युद्ध की घोषणा है।