जम्मू-कश्मीर: राहुल भट्ट की गोली मारकर हत्या, विरोध में कश्मीरी पंडित सड़कों पर उतरे, लगाए पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे    

Rahul Bhatt

जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर कश्मीरी पंडितों या फिर उनकी आवाज बनने वाले लोगों को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है। बीते दिन आतंकियों ने कश्मीर के बड़गाम में कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की गोली मारकर हत्या कर दी। राहुल की हत्या के बाद इलाके में हड़कंप मच गया। सूचना के बाद सेना के जवान आतंकियों की खोज में जुट गए तो वहीं घटना से गुस्साए कश्मीरी पंडित सकड़ों पर उतर आए।

इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के खूब नारे लगाए। हालांकि राहुल भट्ट की हत्या के बाद से इलाके में माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। हालांकि घटना के 24 घंटे के भीतर ही सेना के जवानों ने राहुल की हत्या करने वाले दोनों आतंकियों को 72 हूरों के पास पहुंचा दिया।  घटना बीते गुरुवार की है। जानकारी के मुताबिक जम्मू कश्मीर के बड़गाम में एक तहसील के दफ्तर में अंदर घुसकर आतंकियों ने राजस्व अधिकारी राहुल भट्ट को गोली मार दी।

गोली लगने से राहुल भट्ट गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया लेकिन इलाज के दौरान राहुल भट्ट ने दम तोड़ दिया। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन कश्मीर टाइगर्स ने ली है। इस घटना से गुस्साए कश्मीरी पंडित सड़कों पर आ गए और श्रीनगर हाइवे को जाम कर दिया। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में देखा गया कि रोड जाम करने और प्रदर्शन करने वालों में बड़ी संख्या में पुरुषों के साथ महिलाएं भी शामिल हैं।

ये सभी प्रदर्शनकारी लोग प्रशासन से न्याय और अपनी सुरक्षा की मांग कर रहे थे। इस भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा लेकिन इसके बाद भी प्रदर्नकारियों ने सड़क को नहीं छोड़ा। प्रदर्शनकारी कश्मीरी पंडितों का कहना था कि घाटी में लगातार कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन इसके बाद भी उनकी सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं।

प्रदर्शन के दौरान कश्मीरी पंडितों मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम कश्मीर में अपने लिए सरकार से सुरक्षा चाहते हैं। इस सुरक्षा में वे अपनी रक्षा के लिए बंदूक भी चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि अगर सरकार हमें सुरक्षा नहीं दे पाती है तो कश्मीरी पंडित वापस जम्मू जाना चाहते हैं क्यों कि हम खुद को घाटी में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। इसके लिए केन्द्र सरकार जिम्मेदार है।

प्रदर्शनकारियों ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार कश्मीरी पंडितों से किए गए वादों को पूरा नहीं कर पाई है। वहीं सड़क पर प्रदर्शन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ नारेबाजी होती दिखी। इसके अलावा पाकिस्तान जिंदाबाद के भी नारे लगाए गए। वहीं घटना के विरोध में 350 सरकारी कर्मचारियों ने राज्यपाल मनोज सिन्हा को अपना इस्तीफा सौंप दिया और सुरक्षा की मांग की।

इस बीच जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केन्द्र की भाजपा सरकार पर हिंदू मुस्लिम करने का आरोप लगातए हुए कहा है कि भाजपा एक दूसरे को आपस में लड़ाना चाहती है और जम्मू कश्मीर में आज भी हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सब भाई-भाई की तरह रहते हैं। किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं है अब सवाल यह उठता है कि अगर सब भाई-भाई की तरह बहुत प्यार से रहते हैं तो इन हिंदुओं और पंडितों का कत्लेआम कौन कर रहा है?

वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला ने इस घटना पर नाराजगी जताई है फारूक अब्दुल्ला ने आज तक से फोन पर बातचीत करते हुए बताया कि मैं एक कश्मीरी पंडित की हत्या के बारे में सुनकर बहुत दु:खी हूं। यह वारदात दूसरे लोगों में भी डर पैदा करेगी। सरकार विशेष रूप से अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करने में पूरी तरह विफल रही है। पूर्व मुख्यमंत्री ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कश्मीर घाटी में सुरक्षा की स्थिति बिगड़ती जा रही है और सरकार कश्मीर की नकली गुलाबी तस्वीर पेश करने में लगी है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में हालात ठीक नहीं हैं।

मृत राहुल भट्ट के पिता ने बताया कि उन्होंने परिवार सहित 1990 के दशक में ही घाटी को छोड़ दिया था। जब कश्मीरी पंडितों के खिलाफ बड़े स्तर पर हिंसा हो रही थी। तब उसका परिवार भी अपना आशियाना छोड़ घाटी से जाने को मजबूर हो गया था। राहुल के पिता भावुक होते हुए कहते हैं कि राहुल को वापस घाटी भेजना भारी पड़ गया।

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By Keshav Malan

यह कलम दिल, दिमाग से नहीं सिर्फ भाव से लिखती है, इस 'भाव' का न कोई 'तोल' है न कोई 'मोल'