Mp News: आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी लोग आज भी गुलामी से बद्दतर जिंदगी जी रहे हैं। बड़े-बड़े नेताओं द्वारा देश को विश्व गुरू बनाये जाने के सपने जनता को दिखाये जा रहे हैं। देश की आजादी के 75 वें अमृत महोत्सव की धूमधाम आसमान चूम रही है। लेकिन अफसोस उसी देश के लोग आज भी गरीबी की दास्तां से आजादी नहीं पा सके हैं।
जिस देश में रिक्शा को छोड़कर ई-रिक्शा, साईकिल को छोड़कर मोटरसाईकिल जैसे तमाम परंपरागत साधन नई तकनीकी के चलते दिन रोज बदलते जा रहे हैं। लेकिन देश के लिए शर्म की बात है, कि एक बेबस विधवा महिला बैल बनकर बैलगाड़ी को 15 किमी. तक खींचती है। हैरत की बात उस महिला को कोई सहारा नहीं बनता। जब एक राहगीर वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डालता है, तो चर्चा का विषय बन जाती है।
महिला ने 15 किमी. तक क्यों खींची बैलगाड़ी?
मध्य प्रदेश के जिला राजगढ़ के फोरलेन पर पचोर से करीब 15 किलोमीटर दूर बेबस महिला सारंगपुर जा रही थी। जो बैलों की जगह खुद बैलगाड़ी खींचती हुई जा रही थी। तभी किसी ने उसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। बैलगाड़ी में एक बच्ची भी बैठी थी और कुछ सामान रखा था। वीडियो वायरल होने के बाद जांच में सामने आया है कि महिला सारंगपुर की रहने वाली बताई जा रही है।
महिला लोहकूटा समाज से आती है। उसके पति का निधन हो चुका है। कुछ दिन पहले उसके बैलों की भी मौत हो गई थी। जिसके कारण वह स्वयं बैलगाड़ी खींच रही थी। महिला के 4 बच्चे हैं, जिनके भरण-पोषण के लिए वह 12 सितंबर को फोरलेन पर पचोर से करीब 15 किलोमीटर दूर सहारनपुर जा रही थी।
प्रशासन में मचा हड़कंप
15 किमी. तक खुद बैल बनकर बैलगाड़ी खींचने वाली महिला का वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शासन प्रशासन के खिलाफ सवाल खड़े हो रहे थे। जिसके बाद राजगढ़ कलेक्टर ने महिला को ढूंढने के निर्देश दिए हैं। महिला को जन्मे ढूंढ कर उसको शासन की मूलभूत योजनाओं का लाभ दिलाया जाएगा। जिससे उसके जीवन को सरल किया जा सके।
Mp News: सारंगपुर एसडीएम ने बताया कि बैलगाड़ी खींच रही महिला की जांच की गई है। उसका मूल निवास प्रमाण पत्र जरूर यहां का है, जो उसने पहले बनवा लिया होगा। लेकिन वह उज्जैन में रहती है। यहां पर अपने भाई के यहां आई थी। जिन बच्चों के पेट भरने की बात महिला बोल रही थी, वे सब वयस्क हैं।