PFI: पीएफआई इन दिनों सुर्खियों में है, जो कि एनआईए की रडार पर है। लगातार छापेमारी में पीएफआई के 15 राज्यों से करीब 100 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। इंटेलिजेंस एजेसिंयों का आरोप है, कि पीएफआई का कई देशविरोधी गतिविधियों में संलिप्तता पाई गई है। संगठन का काम दो समुदायों में तनाव पैदा करना ही नहीं बल्कि आतंकी संगठनों के साथ मिलकर खुद का वर्चस्व स्थापित करने की योजना है। यूएपीए व टेरर फंडिंग करने के भी आरोप लगे हैं। एजेसिंयों की मानें तो पीएफआई की निगाहें कई आरएसएस के नेताओं पर भी थीं।
केरल के कन्नूर में आरएसएस के दफ्तर पर भी पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने पेट्रोल बम फेंककर हमला किया गया है। एनआईए की छापेमारी के बाद से पीएफआई के कार्यकर्ता हिंसक प्रदर्शन किया गया है। सरकारी बसों के साथ तमाम सरकारी संम्पत्ति के साथ तोड़फोड़ की गई है। पीएफआई तब औऱ सुर्खियों में आई जब बिहार पुलिस ने फुलवारी शरीफ में एक टेरर मॉड्यूल का पर्दाफाश किया। इस छापेमारी से पीएफआई के नापाक मंसूबों का खुलासा हुआ, जिसके तहत संगठन की योजना साल 2047 तक भारत को एक इस्लामिक देश बनाना था।
केरल: कन्नूर मट्टनूर में आरएसएस कार्यालय पर पेट्रोल बम फेंका गया। मौके पर पुलिस मौजूद है और मामले की जांच कर रही है। pic.twitter.com/MFKatyMz3c
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 23, 2022
2047 तक भारत को बनाना था इस्लामिक राष्ट्र
PFI: पिछले कुछ दिनों से PFI गलत गतिविधियों के कारण सुर्खियों में है, चाहे मामला कर्नाटक में हिजाब प्रकरण का हो, हाथरस रेप एंड मर्डर केस का हो या फिर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन का, सभी मामलों में पीएफआई सुर्खियों में रही। हाल ही में पीएफआई तक सुर्खियों में आई जब बिहार पुलिस ने फुलवारी शरीफ में एक टेरर मॉड्यूल का पर्दाफाश किया। इस छापेमारी से पीएफआई के नापाक मंसूबों का खुलासा हुआ, जिसके तहत संगठन की योजना साल 2047 तक भारत को एक इस्लामिक देश बनाना था।
PFI का जासूसी संगठन थहलील का क्या था टारगेट?
पीएफआई के जासूसी संगठन थहलील को बहुत ही खास टारगेट दिया गया था और ये टारगेट था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के नेताओं और उनके कार्यों के बारे में जानकारी जुटाना। थहलील की जिम्मेदारी आरएसएस नेताओं के दफ्तर, परिवार, कार और उनकी सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मियों के बारे में जानकारी जुटाना था।
PFI: इसी तरह थहलील को बाबरी मस्जिद विध्वंस में कथित तौर पर शामिल नेताओं के बारे में भी जानकारी जुटाने का काम दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक इनका काम हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव पैदा करना साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छवि को धूमिल करना था।