Target Killing: कश्मीर में फिर एक पंडित को उतारा मौत के घाट, आखिर क्या है इसका समाधान?

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Target Killing: कब खत्म होगा कश्मीरी पंडितों का दर्द, कोई भी आतंकी आता है नाम पूछता है और गोली मार देता है क्या इस पीड़ा का कोई अंत है? एक बार फिर जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाते हुए एक बेगुनाह य़ुवक को गाली मार दी गई उसे लोग अस्पलात लेकर तो गए पर डॉक्टर्स उसे बचा न सके लगातार कश्मीर में टार्गेट कीलिंग की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।

एक बार फिर ऐसा ही हुआ के एक बेकसूर को बेवजह सिर्फ इसलिए उसे मौत के घाट उतार दिया गया क्योकि वह पंडित था। क्या पंड़ित होना कश्मिरियों के लिए एक सजा सी बन गई है या उनका पंडित होना ही गुनाह है? घाटी में आतंकियों ने एक बार फिर टारगेट किलिंग को अंजाम दिया है। दक्षिण कश्मीर के जिला शोपियां में आंतकियों ने कश्मीरी पंडित को गोली मार कर घायल कर दिया। व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। सूचना मिलते ही पुलिस और सुरक्षाबलों की टीम मौके पर पहुंच गई है। इलाके को घेर लिया गया है। आतंकियों की तलाश की जा रही है।

Target Killing: जानकारी के अनुसार, जिला शोपियां के चौधरी गुंड इलाके में आतंकियों ने कश्मीरी पंडित पूरण कृष्ण भट को उस समय गोली मार कर लहूलुहान कर दिया जब वह अपने बाग की ओर जा रहे थे। हमले को अंजाम देकर आतंकी फरार हो गए। वहीं, घायल पूरण भट को तुरंत पास के अस्पताल ले जाया गया है, लेकिन उन्होंने दम तोड़ दिया। प्रशासन के अनुसार, पूरण कृष्ण भट शोपियां के चौधरी गुंड इलाके के स्थायी निवासी थे और 1989 से लेकर अब तक कश्मीरी पंडितों पर कहर बरपाया जा रहा है।

इसी आतंक के चलते न जाने कितने कश्मीरी पंडित और हिंदुओं ने अपनी जान गवा दी और कितने लोग अपनी जन्भ़ुमि को छोड़ वहां से पलायन कर गए लेकिन जो बचे कुचे कुछ लोगों ने हिम्मत जुटाकर और आतंकियों से डरे बिना वहां रहने का साहस किया उन्हें अब भी इन आतंकियों की ओर लगातार निशाना बनाया जा रहा है। गौरतलब है कि धारा 370 हटने के बाद लोगों में एक उम्मीद जगी थी कि शायद अब कश्मीरी पंडितों के एक नया सबेरा होगा। लेकिन जिस तहर से अब भी वहां बसे पंडित हिंदू को टार्गेट किया जा रहा है उससे तो यही लगता है कि अब भी 1989 और अब के हालात में कुछ खास सुधार नहीं हैं और आतंकी एक बार फिर 1989 दशक जैसे हालात पैदा करना चाहते हैं।

Target Killing: खैर अब भी घाटी के लोगों को बहुत उम्मीदें है सरकार से और उनके सवाल भी हैं कि आखिर कबतक बेगुनाहों को इसी तरह मौत के घाट उतारा जाऐगा और अब इसके लिए सरकार को इस पर कठोर कदम उठाने की जरूरत है। आपको बता दें, कि जम्मू कश्मीर में अक्टूबर का महीना इस साल का सबसे कातिल महीना साबित हुआ है। एक ही महीने में आतंकी मुठभेड़ों में कुल 44 मौतें हुई हैं। आतंकियों ने दुस्साहस करते हुए अक्टूबर में 12 सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाया। इसके अलावा 13 आम नागरिकों की जान भी आतंकियों ने ली है। हालांकि, सुरक्षा बलों ने 19 आतंकियों को एकाउंटर में ढेर भी किया है।

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।