Agra: उत्तर प्रदेश के जिला आगरा में तुलसी पीठाधीश्वर जगदगुरु रामभद्राचार्य की कथा चल रही है। कथा के दौरान उन्होंने लव जिहाद पर बयान दिया है। आगरा में रामकथा सुनाने के दौरान उन्होंने कहा, लव जिहाद के नाम पर हिंदू लड़कियों को विधर्मी फंसा रहे हैं। बहनों, जो तुम्हारी ओर गलत दृष्टि से देखे, उसकी आंख निकाल लो। फिर जो मुकदमा होगा मैं देख लूंगा। उन्होंने आगे कहा, कि हिंदू लड़कियां अपनी इज्जत स्वयं बचाएं। हाथ में कड़ा पहनने के साथ-साथ कटार चलाने का अभ्यास करो और बन जाओ लक्ष्मीबाई।
जातिवाद कुर्सी के भेड़िए नेताओं ने फैलाया
रामभद्राचार्य ने नेताओं से जातिवाद के नाम पर आरक्षण को खत्म करने की मांग की। उन्होंने कहा ,”कहा जा रहा है कि ब्राह्मणों ने जातिवाद को जन्म दिया। हमने जातिवाद को जन्म नहीं दिया। जातिवाद कुर्सी के भेड़िए नेताओं ने फैलाया है। अगर सभी जातियां समान हैं, तो क्यों जातिवाद के नाम पर आरक्षण किया? नेताओं से मैं कह रहा हूं, मेरी चुनौती है, मां का दूध पिया है असली, तो तुम जातिवाद के आधार पर आरक्षण खत्म करवाओ।
Agra: इसके बाद जिसके यहां कहो मैं रोटी खाने को तैयार हूं। इन बेईमानों ने केवल वोट की राजनीति के लिए देश को बांटा। अगर हमने जातिवाद फैलाया होता तो शबरी माता के झूठे बेर राम क्यों खाते। रामभद्राचार्य ने कहा, कि जब रामचरितमानस राष्ट्रीय ग्रंथ बनेगी, तभी समाज का सुधार हो सकेगा।’ उन्होंने रामकथा में मौजूद भाजपा सांसद रामशंकर कठेरिया से इस मुद्दे को संसद में उठाने की मांग की।
2015 में जगदगुरु रामभद्राचार्य को मिल चुका है पद्मविभूषण
जगदगुरु रामभद्राचार्य का वास्तविक नाम गिरधर मिश्रा है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ। वे रामानन्द सम्प्रदाय के 4 जगदगुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं। इस पद पर साल 1988 से हैं। बताया जाता है कि 2 माह की उम्र में उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी।
Agra: रामभद्राचार्य 22 भाषाओं के जानकार हैं। अब तक 80 पुस्तकों और ग्रंथों की रचना कर चुके हैं। वे सुनकर सीखते हैं और बोलकर अपनी रचनाएं लिखवाते हैं। चित्रकूट स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ के संस्थापक हैं। साल 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया था। सिर्फ यही नहीं, रामभद्राचार्य ने ही सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में वेद पुराण के संदर्भ के साथ गवाही दी थी।