Republic Day Special: अलीगढ़ जिले के टप्पल क्षेत्र के गांव शादीपुर में वेश बदलकर करीब 18 महीने रहे शहीद भगत सिंह ने इलाके के लोगों को देशभक्ति का पाठ पढ़ाने के साथ-साथ उन्हें कुश्ती के दांव पेच भी सिखाए थे। इतना ही नहीं यहां पर उन्होंने अंग्रेज सैनिकों से मोर्चा लेने के लिए लोगों को बम बनाना भी सिखाया करते थे, लेकिन आज भी गांव के लोग इस बात पर गर्व तो करते हैं, लेकिन भगत सिंह के प्रति उदासीनता रखने पर सरकार से नाराजगी भी व्यक्त करते हैं। यही कारण है कि वह जमीन आज खंडहर पड़ी हुई है और भगत सिंह पार्क बदहाल पड़ा रहता है।
#अलीगढ़ जिले के गांव #शादीपुर में जहां #शहीद_भगत_सिंह 18 महीने वेश बदलकर रहे और देशभक्ति का पाठ पढाया। आज वह स्थान खंडहर में तब्दील है और पार्क में गोबर के ढेर लगे हैं। @myogiadityanath @narendramodi सरकार भी भगत सिंह की यादों को संजो नहीं सकी। @Dm_Aligarh @anooppradhanbjp pic.twitter.com/RJoxWv2w7L
— Keshavmalan (@Keshavmalan93) January 26, 2023
गांव के बुजुर्ग लक्ष्मण सिंह बताते हैं कि सरदार भगत सिंह सन् 1928 में गणेश शंकर विद्यार्थी के पास कानपुर पहुंचे थे। कानपुर क्रांतिकारियों का गढ़ था। शादीपुर गांव के निवासी स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर टोडर सिंह भी कानपुर गए थे जहां उनकी मुलाकात भगत सिंह से हुई। ठाकुर टोडर सिंह भगत सिंह को अपने साथ अलीगढ़ और फिर तकीपुर रजवाहा के रास्ते अपने गांव शादीपुर ले आए।
बलवंत सिंह के नाम से कराया था भगत सिंह का ग्रामीणों से परिचय
Republic Day Special: यहां भगत सिंह ने दाढ़ी, बाल कटवा लिया था और टोडर सिंह ने भगत सिंह का बलवंत सिंह के रूप में ग्रामीणों से उनका परिचय कराया। भगत सिंह के बारे में अंग्रेजों को कोई भनक न लगे इसलिए ठाकुर टोडर सिंह ने भगत सिंह को गांव से करीब 800 मीटर दूर अपने एक बगीचे में उनकी रहने की व्यवस्था की और यहां एक स्कूल खुलवाया, जिसका नाम नेशनल स्कूल रखा गया। यहां भगत सिंह बच्चों को देशभक्ति का पाठ पढ़ाते थे और हर शाम को कुश्ती के दांव पेच लोगों को सिखाते थे।
बुजुर्ग लक्ष्मण सिंह बताते हैं कि इस बीच भगत सिंह के मन में भारत मां को आजाद कराने का खयाल लगातार कोंध रहा था। इसीलिए भगत सिंह ने शादीपुर से जाने का प्लान बनाया और इसके लिए उन्होंने अपनी बीमार मां को देखने और फिर वापस आने की बात कही। इसे सुन ठाकुर टोडर सिंह ने भगत सिंह को खुर्जा स्टेशन छुड़वा दिया। भगत सिंह ने शादीपुर से जाते समय कहा था कि मेरी मां बीमार नहीं हैं, बल्कि भारत माता को आजाद कराने जा रहा हूं और अब मैं भारत माता को आजाद कराकर ही लौटूंगा।
23 मार्च 1931 को जब भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु, सुखदेव को फांसी दी गई तो शादीपुर गांव स्तब्ध रह गया।तब से आज तक गांव में 23 मार्च को शहीदी दिवस मनाया जाता है। ग्राम प्रधान बिजेन्द्र सिंह कहते हैं कि हमने ग्रामीणों के साथ कई बार जनप्रतिनिधियों से भगत सिंह ने नाम पर गांव में विकास कार्य करने की बात कही है, लेकिन किसी ने भी आज तक ध्यान नहीं दिया। हम चाहते हैं कि भगत सिंह ने लोगों को कुश्ती सिखाई थी तो गांव में एक अखाड़ा बनाया जाए।
सरकार की उदासीनता पर छलका ठा. टोडर सिंह के नाती का दर्द
Republic Day Special: शहीद भगत सिंह के प्रति योगी-मोदी सरकार की उदासीनता पर भगत सिंह को गांव शादीपुर लाने वाले स्वतंत्रता सेनानी ठा. टोडर सिंह के नाती राजेंद्र सिंह का दर्द छलक गया। उन्होंने कहा राष्ट्रवादी सरकार होने के नाते हमें योगी-मोदी से बहुत उम्मीदें थीं कि वह शहीद भगत सिंह की यादों को संजोने के लिए गांव में कुछ कराएंगे, लेकिन दु:खद ऐसा कुछ नहीं हुआ।हम चाहतें हैं कि सरकार ध्यान दे और गांव में शहीद भगत सिंह के नाम पर कन्या इंटर कॉलेज अथवा गोशाला खोले तो वहां पर मौजूद करीब तीन एकड़ जमीन हम दान कर देंगे।अन्यथा उस जमीन का ऐसे ही दुरुपयोग होता रहेगा।
गांव शादीपुर निवासी डॉ. योगेश कुमार कहते हैं कि सांसद सतीश गौतम ने पहले भगत सिंह पार्क का सौंदर्यीकरण और गांव में उनके नाम से एक पुस्तकालय खोलने की घोषणा की थी, लेकिन ऐसा आज तक नहीं हो सका। हम चाहते हैं कि योगी सरकार में मंत्री अनूप प्रधान गांव को गोद लेकर यहां का सर्वांगीण विकास करायें।
योगी सरकार में राज्यमंत्री अनूप प्रधान ने खबर इंडिया से बात करते हुए बताया कि मेरी खैर विधानसभा के गांव शादीपुर में शहीद भगत सिंह कई महीने रहे यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है। इसे ध्यान में रखते हुए ग्राम प्रधान के माध्यम से भगत सिंह पार्क की बाउंड्रीवाल के साथ उसका सौंदर्यीकरण कराया जाएगा। ग्रामीणों की मांग के मुताबिक गांव में उनके नाम पर एक कन्या इंटर कॉलिज खोलने पर भी विचार किया जाएगा।
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