RSS: राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने विजयदशमी के मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए मातृभाषा औऱ नई शिक्षा नीति पर कहा, कि अच्छे करियर के लिए इंग्लिश एजुकेशन जरूरी नहीं, यह सिर्फ एक मिथक है। जब तक अभिभावक बच्चों को यह बताते रहेंगे कि उनकी जिंदगी का मकसद पढ़ना और अच्छा पैसा कमाना है, भले उन्हें यह पसंद हो या नहीं.. तब तक हमें देश में संस्कारवान और जिम्मेदार नागरिक नहीं मिलेंगे। वह केवल पैसा बनाने वाली मशीनें रहेंगे। इससे हटकर भी उन्होंने तेज गति से देश की बढ़ती जनसंख्या पर भी चिंता जाहिर की।
अच्छे करियर के लिए इंग्लिश जरूरी, यह सत्य नहीं
भागवत ने कहा, कि हम हमेशा रोना रोते रहते हैं कि हमारी मातृभाषा के साथ अन्याय हो रहा है। अब नई शिक्षा पॉलिसी में ऐसी मातृभाषाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। लेकिन क्या हम अपने बच्चों को ऐसे संस्थानों में पढ़ने के लिए भेज रहे हैं जो मातृ भाषा में शिक्षा मुहैया कराता है? एक मिथक है कि अच्छा करियर के लिए इंग्लिश एजुकेशन जरूरी है। यह सत्य नहीं है। अगर हम देश के बड़े लोगों को देखें तो करीब 80 फीसदी ऐसे हैं, जिन्होंने ऐसे संस्थानों से मैट्रिक तक पढ़ाई की है, जो उनकी मातृभाषा में शिक्षा मुहैया कराते हैं।
इस फैक्ट और नई शिक्षा नीति के बावजूद अगर हम अपने बच्चों को मातृ भाषा में शिक्षा देने वाले संस्थानों में नहीं भेजेंगे तो क्या ये पॉलिसी कभी सफल होगी? जब तक अभिभावक बच्चों को यह बताते रहेंगे कि उनकी जिंदगी का मकसद पढ़ना और अच्छा पैसा कमाना है, भले उन्हें यह पसंद हो या नहीं.. तब तक हमें देश में संस्कारवान और जिम्मेदार नागरिक नहीं मिलेंगे। वह केवल पैसा बनाने वाली मशीनें रहेंगे।
जबरदस्ती धर्मपरिवर्तन व जनसंख्या असंतुलन पर नजर रखने की जरूरत
RSS: जनसंख्या में असमानता भौगोलिक सीमाओं में बदलाव लाती है। जनसंख्या नियंत्रण और धर्म आधारित जनसंख्या संतुलन ऐसे अहम मुद्दे हैं, जिन्हें लंबे समय तक नजंरदाज नहीं किया जा सकता है। एक संपूर्ण जनसंख्या पॉलिसी लाई जानी चाहिए और ये सभी पर बराबरी से लागू हो। धर्म आधारित असंतुलन और जबरदस्ती धर्मपरिवर्तन देश को तोड़ देते हैं। ईस्ट टिमोर, कोसोवो और साउथ सूडान जैसे नए देश धार्मिक आधार पर हुए असंतुलन का उदाहरण हैं।