Al-Qaeda: पढ़िए इंजीनियर ओसामा बिन लादेन से लेकर आई सर्जन यमन अल-जवाहिरी के खात्मा तक की कहानी

ओसामा बिन लादेन व अल-जवाहिरी

Al-Qaeda: आतंकवाद का हमेशा से ही हिंदुस्तान विरोध करता आया है। लेकिन कुछ देशों ने आतंकवाद को खूब बढ़ावा दिया है। बढ़ावा भी कब तक जब तक खुद पर न गुजरी हो। हुआ ऐसा कि जिस देश ने दुनिया पर अपना साम्राज्य स्थापित करने की कोशिश की हो, वो भी आतंकवाद का सहारा लेकर। उसी को ही मुँह की खानी पड़ी। आतंकवाद की स्थापना कर उसी को अपना हथियार बनाना चाहा औऱ उसी हथियार का पहिया घूमा और उसका मुँह उल्टा हो गया।

जैसे ही अल-कायदा का सरगना रहा ओसामा बिन लादेन के किए वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में सन 2001 के बम धमाकों ने संयुक्त राष्ट्र अमेरिका को हिला के रख दिया जिसमें 3000 हजार लोगों की मौत हो गयी, अमेरिका बिलबिला उठा। आतंकी को पनाह दे रहा पाकिस्तान के इस्लामाबाद में लादेन को अमेरिकी फौज ने 2011 में ढ़ेर कर दिया। तमाम तरह की अफवाह फैंली कि अभी लादेन की मौत नहीं हुई है, लेकिन ये सच था कि खूंखार आतंकी दुनिया से जा चुका था। ये आतंकी लादेन बेसक ढ़ेर हो गया हो, लेकिन नहीं खत्म हुआ आतंकवाद औऱ ना ही खत्म हुआ अल-कायदा।

फिर पैदा हुआ अल-कायदा का सरगना अयमन अल-जवाहिरी जिसे लादेन का उत्तराधिकारी माना गया और आतंकवाद फैलाने में लादेन का भी गुरू निकला औऱ ऐसा ही किया अमेरिका को अपना दुश्मन मानने वाला अल-कायदा ने फिर हमला कर दिया। अयमन अल जवाहिरी को आप अदना सा आदमी समझने की भूल न करिए साहब वो कोई अनपढ़ शख्स नहीं था। आप उसके बारे में जानेंगे तो आपके होश उड़ जाएंगे। वो एक बहुत बड़ा आई सर्जन था। 14 साल की उम्र में ही वो जिहाद की तरफ आकर्षित होने लगा था। कट्टरता का जहर उसके अंदर धीरे -धीरे असर करने लगा था।

Al-Qaeda: वो जिहाद के रंग में इतना रंग गया कि उसने फैसला कर लिया था कि वो मुस्लिम ब्रदरहुड में शामिल होगा। उसके बाद उसने इस्लामिक जिहादी संगठन EIG का गठन कर लिया। उसकी जिहादी सोच का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हो साहब कि वो मिश्र में शरिया कानून लागू करना चाहता था। लेकिन अफसोस वो ऐसा कर न सका।
साल था 1981 जब मिस्त्र के राष्ट्रपति अनवर सादात की हत्या हो जाती है और जवाहिरी पर जुल्मों सितम शुरू हो जाता है। 3 साल तक उसको प्रताड़ित किया जाता है और वो सऊदी अरब भाग जाता है।

फिर शुरू होती है छोटे से आतंकी से खौफनाक आतंकी बनने की दास्तान जब उसकी मुलाकत पाकिस्तान के पेशावर में अलकायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन से होती है। दोनो के हाथ मिलते है और मिल जाते दिल भी वो साल था 1985… जब दोनो एक दूजे से मिलकर मजबूत होने लगे थे तभी जवाहिरी ने फैसला लेते हुए अपने संगठन का विलय हमेशा के लिए अलकायदा में कर दिया था। 1985 से 2011 तक दोनों ने मिलकर कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया था जिससे कई देश हिल गए थे उनमें अमेरिका भी शामिल था।

साल था 2011 जब अमेरिका ने पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था उसके बाद जवाहिरी ही था जिसने अपने दोस्त लादेन की जगह अलकायदा में सर्वेसर्वा बन गया था और उसने अलकायदा का मुख्यालय अफगानिस्तान की दुर्गम पहाड़ियों के बीच बनाया था। सुरक्षा ऐसी थी कि परिंदा भी पर न मार पाए। अमेरिका की खुफिया एजेंसी उस पर 6 महिने से नजर रख रही थी उसकी रेकी की जा रही थी वो कब क्या करता है। जैसे ही सीआईए को उसकी सटीक लोकेशन मिली तो कर दिया उसका काम तमाम… रविवार की सुबह थी और समय हो रहा था 6 बजकर 18 मिनट जवाहिरी अपनी मौत से अंजान था।

Al-Qaeda: उसको लग रहा था कि सबकुछ उसके मनमुताबिक चल रहा था कि तभी तेज आवाज होती है जवाहिरी के सुरक्षागार्ड को कुछ समझ नहीं आता। दूर दूर तक धुएं का गुबार दिखाई देता है और जब धूआं छटता है तो दिखाई देता है जवाहिरी लेकिन वो जिंदा नही था। उसको अमेरिका की खुफिया ऐजेंसी ने भेज दिया था 72 हूरों के पास इस बात की तस्दीक हम तो नहीं कर सकते कि 72 हुंरे होती है कि नहीं लेकिन इसकी तस्दीक या तो वो मौलाना कर सकते है या फिर वो आतंकी जो कि मासूम बच्चों को आतंकी बनाने के लिए सब्जबाग दिखाते है कि जो जिहाद के लिए कुर्वान होगा उसको जन्नत नसीब होगी और अय्याशी करने के लिए मिलेंगी 72 हुंरे..

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।