Hamid Ansari: भारत विश्वगुरू बनने के सपने देख रहा है, लेकिन जिसको जनता ने देश के दूसरे सिहांसन पर बिठाया उसी ने ही देश की विरोध में चलने वाली गतिविधियों में साथ दिया। पाकिस्तानी पत्रकार 5 बार भारत आया वो क्या ऐसी जानकारी लेकर गया जिससे हर रोज भारतीय सेना पर हमले होते रहे, जवान शहीद होते रहे ये बात तो जांच के बाद ही पता चलेगी।
बड़ा आश्चर्य होता है साहब! जब कोई देश में उप राष्ट्रपति के पद पर रहा हो और गुप्त गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है तो देश के लिए मर मिटने वाले देशभक्तों को कुंठा होती है, दर्द होता है, अफसोस होता है। क्योंकि जिस जनता के भरोसे पर चुनकर देश के सर्वोच्च पद पर बिठाया हो और वही व्यक्ति ऐसी गतिविधि में लिप्त होता है, जो देश के लिए घातक हो।

हम उसी की बात कर रहे हैं, जो हिंदुस्तान के उपराष्ट्रपति रहे हैं। वही हामिद अंसारी जो उपराष्ट्रपति के पद से हटने के बाद बोलता है मुझे हिंदुस्तान में डर लगता है। डरे हुए हामिद अंसारी हिंदुस्तान को क्षति पहुंचाने के लिए दिन रात कार्य कर रहे आतंकवादी संगठनों के लिए गुप्त तरीखे से हिंदुस्तान में जासूसी करने वाले पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा के अजीज दोस्त थे।
Hamid Ansari: ये वही हामिद अंसारी जिसने हिंदुस्तान की सेना के शौर्य और वीरता पर सबाल उठाये थे, हम तब की बात कर रहे हैं, जब भारतीय सेना पाकिस्तान पर स्ट्राइक करती है, तो ये सेना से स्ट्राइक के सबूत मांगते हैं।

जब जवान अभिनंदन सिंह भारत वापिस लौटते हैं तो देश में जश्न मनाया जाता है। लेकिन हामिद अंसारी सेना पर सवाल उठाते हुए ऐसा फुहड़ता भरा बयान देते जिससे देश की गरिमा को ठेस पहुंचती है जब वो बोलते हैं, कि अगर मैंने शेर मारा है, तो उस मरे हुए शेर को सभी को दिखाऊंगा।
हामिद अंसारी का हमेशा विवादों से नाता रहा है। कांग्रेस को पूछना चाहिए सोनिया गांधी, राहुल गांधी को पूछना चाहिए कि आखिर जिसको 10 साल से लगातार सर्वोच्च पद पर बिठाये रखा। और वही व्यक्ति देश के खिलाफ रचने एजेसियों का साथ लिप्त रहा। जब पद से हटा तो ये बोलने में भी तनिक देर नहीं की और बोल दिया कि मुझे भारत में डर लगता है।
Hamid Ansari: भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी जब मंत्री पद से इस्तीफा देते हैं, तो उनके भी स्वर बदल जाते हैं। उन्हें भी अपना धर्म याद आने लगता है। बहरहाल! उन्होंने भारत में डर लगने जैसी बातें तो नहीं करी अभी तक। लेकिन जनसंख्या को लेकर अपना धर्म जरूर याद आ गया। मुख्तार अब्बास नकवी हो, नसरुद्दीन शाह हो या हामिद आखिर ये लोग क्यों उसी देश के प्रति जहर उगलने लगते हैं, जिसने इनको पहचान दी।