Kisan Divas: बिना हल चलाए चौधरी चरण सिंह बन गये थे किसानों के सबसे बड़े मसीहा, पढ़िए रोचक किस्से

chaudhary charan singh

Kisan Divas: किसान दिवस के अवसर पर आज आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताएंगे जिसने जन्म भले ही एक गरीब परिवार में लिया हो लेकिन उस व्यक्ति ने अपनी सादगी, वफादारी और किसानों का सच्चा हितेशी बनकर लोगों के दिलों पर ऐसी छाप छोड़ी कि निधन के 35 साल बाद भी लोग उन्हें भुला नहीं पाते।

आश्चर्य की बात ये कि आज भी लोग उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री से कम किसानों के मसीहा के रूप में ज्यादा जानते हैं। आज ऐसे ही सादगीपूर्ण जीवन की प्रतिमूर्ति देश के पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें आपको बतायेंगे जिसे सुन आप भी उनके दीवाने हो जायेंगे।

हालांकि उनके जीवन से जुड़े हजारों किस्से ऐसे है, जिन्हें सुन आप भी हैरान रह जाएंगे, लेकिन कुछ चुनिंदा किस्से हम आपको बताते हैं। बात वर्ष 1979 की है चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री थे। उनके पास एक थाने की शिकायत थी कि थाने में घूसखोरी ज्यादा चलती है और पीड़ितों की बात नहीं सुनी जाती। इस बात से परेशान चौधरी चरण सिंह थाने में तैनात पुलिस अधिकारियों का इलाज करने के लिए निकल पड़े।

Kisan Divas: चरण सिंह गंदे कपड़े पहने एक गरीब किसान के रूप में फरियादी बनकर उत्तर प्रदेश के जिला इटावा के ऊसराहार थाने में पहुंच गए और पुलिस वालों से कहा कि वो किसान हैं और मेरठ से यहां बैल खरीदने आया था। किसी ने रास्ते में जेब काट ली है।

जेब में कुछ सौ रुपए थे। हुजूर रपट लिख लीजिए। थाने में बैठे हेड कॉन्‍स्‍टेबल ने दस बातें पूछीं लेकिन रिपोर्ट लिखने की हामी नहीं भरी। किसान को उदास देख एक सिपाही आया और बोला, खर्चे-पानी का इंतजाम कर दें, तो रपट लिख जाएगी। खैर 35 रुपए में रपट लिखना तय हो गया।

इस दौरान चौधरी चरण सिंह ने किसी को भी अपने पीएम होने का आभास तक नहीं होने दिया। रपट लिखवाने के बाद फरियादी के रूप में चरण सिंह ने दस्तखत नहीं किए और जेब से मुहर निकाली और ठोक दी, जिस पर लिखा था प्रधानमंत्री भारत सरकार साथ में लिख दिया चौधरी चरण सिंह, जिसे देख थानेदार को पसीना आ गया और पैरों में गिर गया। इसके बाद भ्रष्टाचारियों को सबक सिखाने के लिए पूरे थाने को सस्‍पेंड कर दिया गया। फिलहाल ऊसराहार थाना जिला औरैया में पड़ता है।

Kisan Divas: चौधरी चरण सिंह अपने उसूलों के इतने पक्के थे कि जिसका विरोध करना है तो कर दिया चाहे वो फैसला अपनों के ही खिलाफ क्यों न हो। बात 1984 की है देश में लोकसभा चुनाव होने थे, उस समय लोकदल से उत्तर प्रदेश के प्रदेशाध्यक्ष मुलायम सिंह यादव हुआ करते थे। लोकसभा चुनाव की दिल्ली की खान मार्केट में बैठक चल रही थी, जिसमें चौधरी चरण सिंह, ताऊ देवीलाल के साथ लोकदल के अन्य बड़े नेता मौजूद थे।

मुलायम सिंह यादव के प्रदेशाध्यक्ष होने के नाते चौधरी साहब ने पूछा कि लोकसभा चुनाव के लिए किसका नाम कहां से नामित किया है। मुलायम सिंह यादव रजिस्टर खोलकर नाम गिनाने शुरू किए तो बात मथुरा पर आ पहुंची। मुलायम सिंह ने मथुरा से नाम चौधरी अजीत सिंह का नाम बताया, तो चौधरी साहब ने रोक दिया और कहा, कि ये अजीत कौन है, जिसको मैं जानता तक नहीं, तभी ताऊ देवीलाल ने बोला यू थारा छोरा है.. इतना सुनते ही आगबबूला हुए चौधरी साहब बोले, कि इसका नाम काटो, जिस परिवारवाद के लिए मैंने नेहरू से लड़ाई लड़ी, मैं अब अपने ऊपर परिवाद का आरोप लगने दूंगा।

कुछ चर्चा चौधरी साहब के खर्चों पर करें..

तो चौधरी साहब कम खर्चीले और सादगी पसंद थे। बात 1967 है चौधरी साहब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उनके पास एक ही गर्म शेरवानी थी। एक ही शेरवानी लगातार पहनने के कारण वो फटने लगी थी। एक दो जगह सूराख हो गए तो चौधरी साहब ने रफू के लिए उसे दर्जी के पास भेज दिया। मजेदार बात ये हुई कि चौधरी साहब की शेरवानी दर्जी से खो गई।

Kisan Divas: स्टाफ को ये पता चला तो सब घबरा गए। जब ये बात चौधरी साहब को बताई तो उन्होंने कहा कि दर्जी पर गुस्सा करना ठीक नहीं दूसरी सिलवा लेते हैं। ये शेरवानी जो 1967 में सिली उसको उन्होंने 1978 तक पहना।

चौधरी चरण सिंह करीब 5 महीने ही देश के प्रधानमंत्री रहे, लेकिन एक भी दिन वह सदन का सामना नहीं कर सके। बात उस समय की है, जब इंदिरा गांधी ने एक महीने के भीतर ही चरण सिंह के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले लिया यह राजनीति की हैरान करने वाली घटना थी। चौधरी साहब की राजनीति का अंत तो हुआ, लेकिन उनकी यादों ने लोगों के दिलों पर ऐसे घर बनाया, कि आज भी सबकुछ नया सा लगता है।

Kisan Divas: उनकी जीवन यात्रा का रथ 29 मई 1987 को थम गया। 84 वर्ष से अधिक उम्र पाने वाला वह किसान नेता मृत्यु के आग़ोश में चला गया। उनमें देश के प्रति वफ़ादारी का भाव था। वह किसानों के सच्चे शुभचिन्तक थे। किसानों के मसीहा व धरती पुत्र थे। इतिहास में इनका नाम प्रधानमंत्री से ज़्यादा एक किसान नेता के रूप में जाना जाएगा। आज चौधरी साहब की जयंती पर खबर इंडिया की तरफ से कोटि-कोटि नमन।

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।