Today’s Trends: वो भी क्या दिन थे, जब बच्चों की टोली प्ले ग्राउंड में क्रिकेट, बॉलीबॉल, फुटबॉल आदि खेलकर अपना समय व्यतीत करती थीं। जिससे शारीरिक, मानसिक रूप से एक दम तंदरुस्त रहते थे। लेकिन आज के दौर में ये आज की पीढ़ी सोशल मीडिया और स्मार्ट फोन में कैद होकर रह गई है। स्मार्ट फोन की वजह से बच्चों में बढ़ता स्क्रीन टाइम खतरनाक लेवल तक पहुंच चुका है।
रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। बढ़ते स्क्रीन टाइम के चलते बच्चों में चिड़चिड़ापन और कई तरह की बीमारियां घर कर रही हैं। आज के युवा दंपतियों में एक बच्चा रखने का प्रचलन बढ़ा है। ऐसे में बच्चों में अकेलापन भी मोबाइल की ओर धकेलने का एक बड़ा कारण है। साथ ही माता-पिता की इसकी बड़ी वजह हैं, बच्चों को बाहर खेलने न ले जाने की जगह घर में ही फोन पकड़ा देते हैं।
आज के दौर में हमारा बच्चा मोबाइल और सोशल मीडिया की दुनिया में कैद है। उसके पास खेलने-कूदने के लिए भी समय नहीं है। सुबह आंखें खुलते ही पहली नजर सिरहाने पर रखा स्मार्ट फोन पर ही पड़ती है। बात करें स्कूल, कॉलेज जाने की तो माँ जूतों के फीते बांध रही होती है और बच्चा सिर गढ़ाये फोन में लगा होता है। आज हर घर में यही हो रहा है, स्मार्ट फोन ने बच्चों का बचपन छीन लिया है।
स्क्रीन टाइम कितना है खतरनाक?
Today’s Trends: रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन बच्चों का स्क्रीन टाइम ज्यादा है उनमें से 41 फीसदी बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। जबकि स्वास्थ्य की बात करें तो ज्यादा स्क्रीन टाइम बिताने वाले करीब 30 फीसदी बच्चे ओबेसिटी के शिकार हो रहे हैं। जबकि करीब 25 फीसदी बच्चे अंडरवेट और करीब 14 फीसदी बच्चे ओवरवेट के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में हमें इस बात पर गौर करने की जरूरत है कि बच्चों का स्क्रीन टाइम इतना क्यों बढ़ रहा है। क्या आज के माता-पिता अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में कहीं चूक रहे हैं।