Up news: एक इंसान अपने बुढ़ापे के सहारे या यूं कहूँ बुढ़ापे की लाठी को मजबूत करने के लिए जीवन भर दौड़ता रहता है। जी तोड़ मेहनत करता है, लेकिन आप उस माँ से पुछिए जिसने खुद अपने बेटे को मुखाग्नि दी हो, तो क्या बीत रही होगी? शब्दों में हम दुख को लिख नहीं सकते।
माँ की ममता तो देखिए साहब! जिसने सारे सामाजिक बंधनों को तोड़ अपने बेटे को गोमती नदी के राम घाट ले जाकर मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार में मौजूद लोगों ने जब ये दृश्य देखा तो मानों सांसे थम सी गई हों सभी की आंखों आंसू थे।
लंबे समय से चल रहा था ईलाज
यूपी के जौनपुर में रहने वाली अंजू पाठक के 30 वर्षीय इकलौते बेटे हिमांशु पाठक के लीवर में ज्यादा समस्या आ गई थी, जिसके बाद बीएचयू में इलाज चलने लगा। इलाज के दौरान बनारस अस्पताल में मौत के बाद घर लाया गया। क्योंकि उनके घर में अब कोई नहीं बचा था, इसलिए माँ ने ही अपने केलेजे के टुकड़े को मुखाग्नि देना उचित समझा।
10 वर्ष पहले हो गया था पति का निधन
अंजू पाठक के पति राज नारायण पाठक की 10 साल पहले मौत हो चुकी थी और अब लंबी बीमारी के चलते उनके इकलौते बेटे की मौत से मानो उनके ऊपर गम का पहाड़ टूट पड़ा हो। पति की मौत के बाद अब इकलौता पुत्र भी दुनिया से चला गया। घर में केवल वह और 3 साल के बच्चे के साथ उनकी बहू बची हैं।
Up news: दरअसल, अंजू पाठक जिला जौनपुर की बीजेपी की स्थानीय महिला नेता हैं। जब अंजू पाठक अपने जिगर के टुकड़े को मुखाग्नि दे रहीं थी, तो मौके पर मौजूद लोग आँखों में आंसू लिए गमगीन थे। मुखाग्नि देते समय की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जो कि हर किसी को झकझोर रही है।
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