Delhi: दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश, डूब क्षेत्र की झुग्गियों को 3 दिनों में करें खाली या 50 हजार का करें भुगतान

उच्च न्यायालय, दिल्ली

Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को यमुना डूब क्षेत्र में रह रहे झुग्गीवासियों को तीन दिन में खाली करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि ऐसी नहीं करने पर प्रत्येक झुग्गीवासियों को डूसिब को 50 हजार रुपये का भुगतान करना होगा। साथ ही दिल्ली विकास प्राधिकरण को झुग्गियों को गिराने की प्रक्रिया शुरू करने की इजाजत प्रदान कर दी।

अदालत ने यह आदेश तब पारित किया जब उसे सूचित किया गया कि उपराज्यपाल की अध्यक्षता वाली एक समिति ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण के 9 जनवरी के निर्देशों के मद्देनजर यमुना को साफ करने के निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने झुग्गी निवासियों की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा, पुलिस को सख्त कार्रवाई की अनुमति दी जा सकती है।

झुग्गी खाली कराने की मिली थी धमकी

Delhi: अदालत बेला एस्टेट, राजघाट में यमुना बाढ़ के मैदान में स्थित मूलचंद बस्ती के निवासियों की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें दावा किया गया है, कि डीडीए और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने अगस्त 2022 में उनसे मुलाकात की थी और उन्हें अपनी झुग्गियां खाली करने की धमकी दी थी, अन्यथा उन्हें ध्वस्त कर दिया जाएगा। डीडीए के वकील ने अदालत को बताया कि निवासियों ने अवमानना याचिका भी दायर की थी लेकिन अधिकारियों के खिलाफ कोई अवमानना का मामला नहीं बनाया गया।

खाली करने के बाद दोबारा कर लिया था अतिक्रमण

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह को बताया कि एनजीटी ने यमुना के प्रदूषण से संबंधित मामले को पुनर्जीवित किया था। इसके बाद 27 जनवरी को एक उच्चस्तरीय समिति ने नदी के प्रदूषण को नियंत्रित करने और वहां से अतिक्रमण हटाने के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए थे।

Delhi: डीडीए की ओर से पेश अधिवक्ता प्रभासहाय कौर ने कहा, कि अतिक्रमण हटाने के बाद निवासी फिर उसी स्थान पर वापस आ गए हैं। डीडीए के वकील की दलीलों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने उपस्थित लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से पूछा, कि आप यमुना नदी पर कब्जा कर रहे हैं? क्या आप जानते हैं कि इससे कितना नुकसान हो रहा है?

तीन दिनों के बाद विध्वंस करने के निर्देश

Delhi: उन्होंने दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) को एक हलफनामे में कहा कि निवासी पुनर्वास के हकदार नहीं थे, क्योंकि उनकी ‘बस्ती’ अधिसूचित सूची में नहीं थी। अदालत ने डीडीए को तीन दिनों के बाद विध्वंस के साथ आगे बढ़ने का निर्देश दिया और कहा कि याचिकाकर्ताओं या उनके परिवारों को और कोई ढिलाई नहीं दिखाई जाएगी। इसने यह कहते हुए अवमानना याचिका का भी निस्तारण कर दिया कि कोई अवमानना नहीं बनती है और कहा आप अधिकारियों को धमकाने के लिए अवमानना कार्यवाही का उपयोग नहीं कर सकते हैं।

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।