Brahmos Misile: दुनिया की सबसे घातक और सबसे तेज उड़ने वाली बाह्मोस मिसाइल का उत्पादन योगी के उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 80 एकड़ जमीन पर डीआरडीओ और रूसी कंपनी एनपीओएम के बीच एमयू भी साइन हो चुका। बता दें कि तीन साल में 100 से ज्यादा बाह्मोस मिसाइल बनाने का लक्ष्य रखा गया हैं। मिसाइल के निर्माण में दोनों संस्थाए पहले 300 करोड़ रू की निवेश करेंगी।
अमृत महोत्सव के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने डिफेंस काॅरिडोर बनाने का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि इस काॅरिडोर के विकास से यूपी देश की सुरक्षा व्यवस्था और रक्षा उपकरणों के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और इसकी शुरूआत भी हो चुकी है।
उन्होंने ये भी कहा कि दूसरे डिफेंस काॅरिडोर में अगले तीन साल में 2025 तक अत्याधुनिक बाह्मोस मिसाइल की निर्माण होने लगेगा। शुरू में 300 मिसाइलों के साथ ही सात साल के अंदर 900 करोड़ की लागत से करीब 300 मिसाइल बनाने का लक्ष्य हैं।
Brahmos Misile: बाह्मोस मिसाइल जल,थल, वायु से दागी जा सकती है
आपको बता दें कि देश की सबसे आधुनिक और दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल है। यह क्रूज मिसाइल पहाड़ों की छाया में छुपे दुश्मनों के ठिकानों को निशाना बना सकती है।
Brahmos Misile: यह एक ऐसी खुफिया सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या जमीन से प्रक्षेपित किया जा सकता है। इसे तीनों सेनाओं में शामिल किया जा चुका है।
इसकी गति की बात की जाए तो 2.8 मैक या 3,700 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से हमला कर सकती है और इसकी मारक क्षमता की बात की जाए तो 290 किमी से लेकर 300 किमी तक दुश्मनों को नेस्तनाबूद कर सकती हैं।
Brahmos Misile: ब्रह्मोस का नाम दो नदियों भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा से मिलकर बना है। इसे भारत–रूस का साझा प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया है। यह कंपनी भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिया का साझा उद्यम है।
इसकी विशेषता जान कर आप भी दांतो तले उंगली दबा लेने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
– मिसाइल पनडुब्बी, जहाज, एयरक्राफ्ट या जमीन से भी लांच की जा सकती है।
– ब्रह्मोस की रफ्तार अमेरिकी सेना की मिसाइल टॉमहॉक से चार गुनी तेज है।
– जहाज और जमीन से लांच होने पर यह मिसाइल 200 किलो युद्धसामग्री ले जा सकती है।
– वहीं एयरक्राफ्ट से लांच होने पर 300 किलो के युद्धसामग्री ले जाने में सक्षम।
– मेनुवरेबल तकनीक से लैस होने के करण दागे जाने के बाद यदि लक्ष्य रास्ता बदल ले तो यह भी अपना रास्ता बदल लेती है और हर हाल में उसे निशाना बनाती है।
इसकी पहली बार लांचिंग की बात की जाए तो 7 अक्टूबर 2012 को भारते ने आईएनएस तेज से ब्रह्मोस को लांच किया था।
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