International: चीन में एक बार फिर मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार का मामला सामने आ रहा है। यहां युन्नान प्रांत में स्थित 13वीं शताब्दी की एक मस्जिद को तोड़ने का मामला सामने आया है. मस्जिद की इमारत का कुछ हिस्सा तोड़ा जा चुका है, जिसके चलते स्थानीय मुसलमानों में काफी गुस्सा है. चीन की शी जिनपिंग सरकार ने उइगर मुस्लिमों के क्रूर दमन के बाद अब देश की मस्जिदों को तोड़ना शुरू कर दिया है। चीन के दक्षिण-पश्चिम इलाके में मुस्लिम बहुल इलाके में एक प्राचीन मस्जिद को तोड़ा जाना है जिसको लेकर बवाल मच गया है।
पुलिस और स्थानीय मुस्लिमों के बीच मस्जिद को लेकर झड़प हुई है और इसका वीडियो अब सोशल मीडिया में वायरल हो गया है। बताया जा रहा है कि यह मस्जिद कई सौ साल पुरानी है। चीन की सरकार इस मस्जिद के गुंबद को तोड़ना चाहती है।
नागू की नाजियिंग मस्जिद एक बड़ा लैंडमार्क है. बीते कुछ सालों में इस मस्जिद का विस्तार किया गया है. इस दौरान नई मीनारें जोड़ी गई हैं और एक नया गुंबद भी बनाया गया है.लेकिन साल 2020 में एक अदालती फ़ैसले में कहा गया कि मस्जिद में किए गए निर्माण अवैध हैं और उन्हें तुरंत हटा दिया जाए इस मस्जिद में हाल ही में मिनार और गुंबद की छत को बनाया गया था। अब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को समयसीमा दी है।
अधिकारियों ने हजारों की तादाद में पुलिसकर्मियों को तैनात किया है। यही नहीं मुस्लिम बाहु्ल्य नागू शहर से कई लोगों को अरेस्ट किया है। पुलिसकर्मी किसी भी हालत में 4 मिनारों को तोड़ना चाहते हैं। इस मस्जिद का निर्माण 13वीं सदी में किया गया था। चीन का यूनान प्रांत मुस्लिमों का गढ़ है जो अब चीन की सरकार के निशाने पर हैं।
मुस्लिम देशों की चुप्पी की वजह एजाज़ वानी बताते हैं, “मुस्लिम देश सत्तावादी हैं और हस्तक्षेपवादी नीतियों के कारण लोकतंत्र से ख़तरा महसूस करते हैं और ख़ासकर के अरब स्प्रिंग के बाद चीन ने इन मौजूदा परिस्थितियों का फ़ायदा उठाया है.साथ ही चीन क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने के लिए एक ग़ैर-हस्तक्षेपवादी नीति पर बल देता है.”
वानी चुप्पी की दूसरी वजह चीन के भारी भरकम क़र्ज़ को बताते हैं. वो कहते हैं कि चीन इन मुस्लिम देशों को बिना किसी शर्त के क़र्ज़ दे रहा है. बीआरआई के इन्फ़्रास्ट्रक्चर के लिए चीन अब तक पाकिस्तान को 62 अरब डॉलर तक का क़र्ज़ दे चुका है.वो लिखते हैं कि चीन अपनी एनर्जी डिप्लोमेसी का भी इस्तेमाल करता है और वो सऊदी अरब, ईरान, कुवैत, ओमान और ईरान जैसे देशों के लिए कच्चे तेल के निर्यात का अहम केंद्र है.
क़तर ने साल 2019 में संयुक्त राष्ट्र के पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए थे लेकिन उसने सीधे तौर पर चीन की निंदा नहीं की. साल 2009 में तुर्की की सरकार ने चीन पर नरसंहार के आरोप लगाए थे लेकिन बाद में उसने भी नरम रवैया अपना लिया क्योंकि तुर्की की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक चीन पर निर्भर है.इसके साथ ही चीनी इस्लामिक एसोसिएशन के ज़रिए चीन इस्लाम को लेकर अपना नैरेटिव सेट कर रहा है.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कम्युनिस्ट पार्टी को निर्देश दिया है कि वह देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों का ‘चीनीकरण’ करे। एक चीनी नागरिक ने कहा कि पुलिसकर्मी जबरन मस्जिद को तोड़ना चाहते थे और इसी वजह से यहां के लोग उन्हें रोक रहे थे। मस्जिद मुस्लिमों के लिए घर की तरह से है। अगर वे इसे तोड़ने की कोशिश करेंगे तो वे इसे होने नहीं देंगे।
उधर, चीन सरकार ने कहा कि इस घटना से सामाजिक प्रबंधन में बाधा आई है। इस बीच चीन जहां मस्जिदों को तोड़ रहा है, वहीं भारत में मुस्लिमों को लेकर छाती पीटने वाले पाकिस्तान, कतर समेत मुस्लिम देशों ने इस घटना पर चुप्पी साध रखी है।
Written By: Poline Barnard
ये भी पढ़ें..