Kargil Vijay Divas: भारतीय सेना ने पाकिस्तान को चटाई थी धूल, इतिहास के सुनहरे अक्षरों में दर्ज है शहीद सपूतों की कहानी

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Kargil Vijay Divas: दुश्मन देश पाकिस्तान से कारगिल यूद्ध हुए आज 23 वर्ष हो गये हैं। 1999 में 60 दिन तक चले इस युद्ध का हिस्सा बने जवानों के दिल में आज भी यादें ताजा हैं। अपने साथियों से बिछड़ने का दुख है, तो वहीं दुश्मनों को अपने घर से खदेड़ने पर गर्व भी है।

युद्ध के दौरान शहीद हुए भारतीय जवानों के शव खून में लथपथ होने की जब भी तस्वीरें दिखाई पड़ती हैं, तो दिल भर आता है। भारतीय सेना ने युद्ध में दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब देकर कारगिल में भारत का झंड़ा फहराया था। कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के 527 योद्धा शहीद और 1300 से ज्यादा घायल हो गए थे।

कारगिल युद्ध में वीरभूमि उत्तराखंड के 75 जवान हुए थे शहीद

1999 के कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के जांबाज सबसे आगे खड़े मिले। कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 जवानों ने देश रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहूति दी थी। इनमें 37 जवान ऐसे थे, जिन्हें युद्ध के बाद उनकी बहादुरी के लिए पुरस्कार मिला था।

आजादी के बाद से अब तक राज्य के डेढ़ हजार से अधिक सैनिकों ने देश की रक्षा के लिए अपनी शहादत दी है। किसी माँ ने अपना बेटा खोया तो किसी पत्नी ने अपना पति और कई घर उजड़ गए। फिर भी न तो देशभक्ति का जज्बा कम हुआ और न ही दुश्मन को उखाड़ फेंकने का दम।

राजस्थान भी पीछे नहीं रहा..

राजस्थानी जवान इस कारगिल युद्ध में 52 जवान वीर गति को प्राप्त हुए थे। इसमें सबसे ज्यादा शेखावाटी के वीर हैं। सीकर, झुंझुनूं और चूरू के 33 जवानों ने जान गंवाई थी। 60 दिन तक चले इस युद्ध का हिस्सा बने जवानों के दिल में आज भी यादें ताजा हैं। सीकर के भी योद्धाओं को इसका साक्षी बनने का मौका मिला था।

राजस्थान सीकर क्षेत्र से आने वाले रिटायर नायक जयराम बताते हैं, कि कारगिल वॉर के समय भूखे-प्यासे चोटियों पर चढ़े। हालत ऐसी कि, प्यास लगने पर बर्फ को पिघलाकर पीते थे। पीठ पर बैग लदा होता था। जिसमें ड्राई फ्रूट रखते थे। उसे खाकर ही पेट भरते थे। पूरी लड़ाई में उनके 4 अधिकारी, 2 जेसीओ और 18 जवान शहीद हुए थे।

आगे बताते हैं, कि दुश्मनों की एक गोली ने उनके पैर को भी जख्मी कर दिया था। उसका निशान आज भी पैर पर है। भारतीय सेना ने युद्ध में दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब देकर कारगिल में तिरंगा फहराया था। उन्होंने बताया कि सरकार ने उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया था।

क्यों हुआ था कारगिल युद्ध?

अक्टूबर 1998 में उस समय के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कारगिल प्लान को मंजूरी दी थी। कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर पाकिस्तान के सैनिकों ने कब्जा कर लिया था। नियंत्रण रेखा के जरिये घुसपैठ करने की साजिश थी। भारतीय नियंत्रण रेखा (एलओसी) से पाकिस्तानी सैनिकों को हटाने के लिए ये युद्ध हुआ था।

मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित हुए थे कैप्टन विक्रम बत्रा

26 जुलाई 1999 को सेना ने मिशन को सफल घोषित किया। लेकिन जीत की कीमत बहुत ज्यादा देनी पड़ी थी। कैप्टन विक्रम बत्रा कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए वीर जवानों में से एक थे। बत्रा को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। हाल ही में विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित शेरशाह नाम की एक फिल्म बनी थी।

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।