Nepal News: नेपाल में रविवार सुबह हुए बड़े विमान हादसे में यति एयरलाइंस का विमान काठमांडू से 205 किमी दूर पोखरा में क्रैश हो गया। जिसमें 68 यात्री और चार क्रू मेंबर सवार थे। पोखरा के जिला अधिकारी टेक बहादुर केसी के मुताबिक विमान के मलबे से 68 शव निकाले जा चुके हैं। हालांकि चश्मदीदों का कहना है, कि हादसे में कोई भी जिंदा नहीं बचा।
कुछ विशेषज्ञों की मानें, तो दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र, खराब मौसम, पुराने विमान और अनुभवहीन पायलट नेपाल को उड़ानों के लिए सबसे खतरनाक देश बनाते हैं। नेपाल के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण की 2019 की सुरक्षा रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल के पहाड़ पायलटों के सामने ‘बड़ी चुनौती’ हैं।
नेपाल एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स के अशोक पोखरियाल बताते हैं कि पुराने विमानों में मॉडर्न वेदर रडार नहीं होते हैं। इस वजह से पायलट को रियल टाइम में मौसम की जानकारी नहीं मिल पाती है। नेपाल में जो विमान ATR 72-500 हादसे का शिकार हुआ, वो ATR एयरक्राफ्ट सीरीज का हिस्सा है।
Nepal News: इस विमान के नाम में लगा 72 इसकी पैसेंजर कैपेसिटी को बताता है। इस मॉडल का पहला विमान 1981 में बना था। यानी इस विमान का मॉडल 42 साल पुराना है। इस हादसे के बाद नेपाल में उड़ानों के जोखिम पर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है। पिछले 30 साल में नेपाल में यह 28वां विमान हादसा है।
प्राकृतिक बनावट के कारण नेपाल में उड़ानें भरना खतरनाक
नेपाल में उड़ान भरना मुश्किल और खतरनाक होने के कई कारण हैं। जैसे- नेपाल की प्राकृतिक बनावट यानी पहाड़, पुअर रेगुलेशन यानी खराब नियमन और नए विमानों की कमी विमानों के उड़ान के लिए नेपाल को सबसे खतरनाक देश बनाती है।
Nepal News: आपको बता दें, कि विमान के मलबे से 68 शव निकाले जा चुके हैं। हालांकि चश्मदीदों का कहना है, कि हादसे में कोई भी जिंदा नहीं बचा। अभी तक सिर्फ पांच शवों की पहचान हो पाई है। बाकी शवों को पहचानना मुश्किल है। फ्लाइट में सवार चार अन्य लोगों का पता नहीं चल पा रहा है।
इनकी तलाश में गोताखोरों को नदी में उतारा गया है। विमान में पांच भारतीय यात्री भी सवार थे। घटनास्थल से दो लोगों को जीवित निकाला गया, दोनों मछुआरे थे। अब तक 20 शवों की पहचान हो गई है। पहचान नहीं हुए शवों को डीएनए परीक्षण के लिए हेलिकॉप्टर के जरिए काठमांडू भेजा गया है।