Pakistan: परवेज मुशर्रफ दुबई में गिन रहा अंतिम सांसे, सेना ने दी वतन लौटने की मंजूरी

Parvez Musharraf

Pakistan: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और तानाशाह परवेज मुशर्रफ की तबीयत बेहद खराब बताई जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक उनके शरीर के कई अंग काम करना बंद कर चुके हैं, जो कि अब वह दुबई में अपन इलाज कराते हुए अंतिम सांसे गिन रहे हैं। इस बीच पाकिस्तान मीडिया की मांने तो वह पाकिस्तान लौटना चाहते हैं।वहीं इसका संज्ञान लेते हुए पाकिस्तानी सेना ने परवेज को वतन लौटने की बात कही है।

मामले को लेकर पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने कहा है कि सैन्य नेतृत्व का मानना है कि पूर्व सेना प्रमुख को पाकिस्तान लौट जाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि ऐसी स्थिति में संस्था और नेतृत्व का रुख है कि परवेज मुशर्रफ वापस लौट आएं। पाकिस्तान लौटने का उनका फैसला उनके परिवार द्वारा ली जानी है।

Pakistan: उससे पहले परवेज मुशर्रफ के परिवार के सदस्य ने जानकारी देते हुए कहा था कि वह वेंटिलेटर पर नहीं है। अपनी बीमारी (एमाइलॉयडोसिस) की जटिलता के कारण पिछले 3 सप्ताह से अस्पताल में भर्ती हैं। एक कठिन चरण से गुजरना जहां वसूली संभव नहीं है और अंग खराब हो रहे हैं। उसके दैनिक जीवन में आसानी के लिए प्रार्थना करें।

दरअसल इससे पहले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने भी पिछले हफ्ते कहा था कि उनका मानना है कि अगर मुशर्रफ पाकिस्तान वापस आना चाहते हैं तो इसमें किसी तरह की कोई नहीं  दिक्कत होनी चाहिए।

Pakistan: राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का विवादों से चोली दामन का साथ

पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का विवादों से चोली दामन का साथ रहा।आपको बता दें कि परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान के जनरल रहने के साथ ही पाकिस्तान के राष्ट्रपति भी रह चुके है।लेकिन उनका राष्ट्रपति का कार्यकाल विवादित रहा था।

पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का विवादों से चोली दामन का साथ रहा है। आप को बता दें कि परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान के जनरल रहने के साथ ही पाकिस्तान के राष्ट्रपति भी रह चुके है। लेकिन उनका राष्ट्रपति का कार्यकाल विवादित रहा था। इन्होंने साल 1999 में नवाज शरीफ का तख्तापलट करके पाकिस्तान की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी।

20 जून 2001 से 18 अगस्त 2008 तक राष्ट्रपति के पद पर मुशर्रफ रहे। राष्ट्रपति रहते हुए वो विवादों में भी रहे। उन पर बेनेजीर भुट्टों की हत्या का आरोप भी उन पर लगा था। कहा ये भी जाता है कि साजिश में वो भी शामिल थे। उनके ही कार्यकाल में साल 2007 में लाल मस्जिद पर सैन्य कार्यवाही हुई थी, जिसमें करीब 90 छात्रों की हत्या हो गयी थी।

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कहा तो ये भी जाता है कि जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भारत दौरे पर भारत से मैत्री के उद्धेश्य से आए थे तभी मुशर्रफ ने कारगिल युद्ध की पटकथा लिखते हुए कारगिल युद्ध का आगाज कर दिया था। कारगिल में मुशर्रफ की कारगुजारी का ही नतीजा थी कि पाकिस्तान को कारगिल में मूँह की खानी पड़ी थी। मुशर्रफ ही थे जिनकी वजह से पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ को भारत के सामने शर्मिंदा होना पड़ा था। जानकार मानते है कि कारगिल की साजिश मुशर्रफ ने अकेले ही बुनी थी।इस साजिश से नवाज शरीफ पूरी तरह अंजान थे।

साल 2000 में तानाशाही का एक और नमूना पेश करते हुए पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार मोहम्मद चौधरी को जबरन पद से हटा दिया था। उन के इस कृत्य के बाद वकीलों ने परवेज मुशर्रफ के खिलाफ आंदोलन ही कर दिया था।

आपातकाल लगाने के अपराध में फांसी की सजा

अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद मुशर्रफ के समर्थकों ने देश के विभिन्न हिस्सों में उनके समर्थन में छोटी रैलियां निकाली गई थीं। मुशर्रफ को संविधान को निष्प्रभावी बनाने और पाकिस्तान में नवम्बर 2007 में संविधान के खिलाफ जाकर देश में आपातकाल लगाने के लिए अदालत ने दोषी करार दिया था। यह मामला 2013 से लंबित था, जिसके बाद मुशर्रफ को राजद्रोह का दोषी करार देते हुए फांसी की सजा दी गई थी।

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।