Pakistan: बकरे की कुर्बानी देने के जुर्म में तीन मुसलमानों को किया गिरफ्तार,शिकायतकर्ताओं ने धार्मिक भावना को आहत करने का लगाया आरोप

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Pakistan: बकरे की कुर्बानी देने के जुर्म में तीन मुसलमानों को गिरफ्तार कर लिया। जी हा आप को विश्वास नहीं आ रहा न हमने भी सुना हमको भी विशवास नहीं आया लेकिन ये खबर 100 फीसदी सही है। क्या कभी किसी मुसलमान को बकरीद के मौके पर बकरे की बलि देने पर गिरफ्तार कर लिया गया हो?

ऐसा हमारे देश में संभव है शायद नहीं, लेकिन ये संभव हुआ है इस्लामिक देशों का तथाकथित रहनुमा समझने वाले पाकिस्तान के फैसलाबाद से आयी है। हमारे यहाँ की सरकारों की बात करें  तो ईद पर क्या गाइडलाइन रहेंगी उसकी हिम्मत भी बड़ी मुश्किल से जुटा पाती है और बात करें तो तथाकथित बुद्धिजीवियों की तो वो तो केवल होली, दीपावली पर ही ज्ञान बाँटते फिरते है लेकिन ईद पर कोई ज्ञान बाँटने कि हिमाकत भी नहीं कर पाता। 

गत रविवार को पाकिस्तान के फैसलाबाद के प्रांत में तीन मुसलमानों को बकरीद के मौके पर बकरे की कुर्बानी देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। आप को बता दें कि रविवार को मुस्लिम समाज का प्रमुख त्योहार बकरीद  थी। बकरीद पर जानवरों की कुर्बानी देने का रिवाज है। इन तीनों मुसलामानों का संबंध अहमदिया सुमदाय से हैं। आपको लग रहा होगा कि अहमदिया समुदाय से है तो इन्होंने ऐसा क्या जुर्म कर दिया जो कि पुलिस ने उनको गिरफ्तार कर लिया और उनके खिलाफ FIR तक दर्ज करवा दी गई।

आप को बता दें कि कि किसी ने उन तीनों अहमदी मुसलमानों का बकरीद के मौके पर बकरे की बलि देते हुए वीडियों बना लिया और पुलिस से शिकायत भी कर दी और पुलिस ने आनन-फानन में गिरफ्तार करते हुए उनके खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कर दी।

 पुलिस में दर्ज करायी गयी एफआईआर के अनुसार शिकायतकर्ताओं को बकरीद की नमाज पढ़ने के बाद पता चला कि अहमदी लोग बकरीद पर पशु बलि दे रहे हैं। सलीमुद्दीन ने कहा कि जिन लोगों पर कुर्बानी देने का आरोप है वे किसी सार्वजनिक स्थान पर नहीं बल्कि अपने घर के अन्दर बकरे की कुर्बानी दे रहे थे।

गौरतलब है कि शिकायतकर्ताओं ने घटना का वीडियो बनाया और फैसलाबाद थाने में पांच लोगों के खिलाफ पाकिस्तानी दण्ड संहिता (पीपीसी) के अनुच्छेद 298-सी के तहत शिकायत दर्ज करायी।

शिकायतकर्ता ने रिपोर्ट दर्ज करवाते हुए पुलिस को दलील देते हुए कहा कि ” ईद के मौके पर बकरे की बलि देने से उनकी और उनके जैसे कई सच्चे मुसलमानों की धार्मिक भावना को ठेस पहुँची है।”

इसलिए शिकायतकर्ताओं ने पुलिस से गुहार लगाते हुए कहा कि  “देश के  मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं के अनुसार कार्यवाही करने की माँग की।” पुलिस ने बाताया चक 89 रतन गाँव में रहने वाले एक व्यक्ति की शिकायत पर कार्यवाही करते हुए तीनों अहमदियों मुसलमानों के खिलाफ आपराधिक संहिता की धारा 298 सी के तहत माला दर्ज कर लिया है।

दरअसल पाकिस्तान के संविधान के अनुछेद 260(3) के अनुसार अहमदिया समुदाय खुद को मुसलामान की तरह पेश नहीं कर सकता और न ही इस्लामी मजहब का पालन और प्रचार-प्रसार कर सकता है। 

इस्लामी धर्मगुरू मिर्जा गुलाम अहमद की विचारधारा को मानने वाले मुसलमानों को अहमदिया मुसलमान कहा जाता है। धर्मगुरू मिर्जा गुलाम अहमद का जन्म कादियान में 1835 में हुआ था और उनकी मृत्यु 1908 में हुई थी। अहमदिया समुदाय को पाकिस्तान में कादियान मुसलमान भी कहा जाता है। 

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।