Salman Rushdi: 12 अगस्त की वो रात जब अंग्रेजी के मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमला हुआ, काले कपड़ों में आए हादी मतार ने चाकू लगातार एक के बाद एक कई हमले कर दिया। ये जानलेवा हमला तब हुआ जब सलामन रुश्दी अमेरिका के न्यूयॉर्क में एक लेक्चर दे रहे थे।
हमलावार ने चाक़ू से रुश्दी की गरदन काटने की कोशिश की, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया है और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। हमले के संदिग्ध को हिरासत में ले लिया गया है।
आपको बता दें कि आज से 33 साल पहले उनकी किताब को लेकर धमकी दी गई थी, और अब ये मुद्दा एक बार फिर जिंदा हो गया है… जिसकी वजह से रुश्दी पर ये हमला हुआ, 1980 के दशक से ही सलमान रुश्दी को आतंकियों की तरफ से जान से मारने की धमकी मिलती रही है…
Sir Salman Rushdie was taken to hospital after he was stabbed several times while waiting to give a lecture in upstate New York. In 2017 the Booker-prizewinning novelist told “The Economist Asks” podcast about his experience of life under a fatwa https://t.co/FjrIyFsZ86 pic.twitter.com/R0d4u2Le7i
— The Economist (@TheEconomist) August 13, 2022
Salman Rushdi: सलमान रुश्दी जिनका साहित्य की दुनिया में बहुत बड़ा नाम है। साल था 1947 भारत को आजादी मिली, उसी साल भारत में पैदा हुए सलमान रूश्दी बाद में इंग्लैंड में जा कर बस गए और उसके बाद वो अमेरिका चले गए और वहाँ जाकर बस गए।
Salman Rushdi: हम आपको बता दें कि असल में इस हमले के पीछे एक कहानी है जो काफी पुरानी है। दरसअल, मुंबई के एक सफल मुस्लिम व्यवसायी के घर जन्मे रुश्दी ने एक किताब लिखकर दुनिया में सनसनी मचा दी थी। साल था 1988 जब उन्होंने एक और किताब लिखी थी। उस किताब का नाम था ‘सेटेनिक वर्सेस’…
जब किताब पब्लिक डोमेन आयी तो खूब बवाल मचा था। ये विवाद इतना बढ़ा कि लोग खून-खराबे पे उतर आए। भारत में यह किताब बैन की जा चुकी थी। 1989 में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खुमैनी ने रुश्दी के ख़िलाफ़ मौत का फ़तवा जारी कर दिया था।
खुमैनी के फ़तवे के बाद दुनिया में कूटनीतिक संकट पैदा हो गया था और पूरी दुनिया में विरोध प्रदर्शन होने लगे और इस किताब पर प्रतिबंध लगाने की मांग होने लगी थी।
कुछ ही दिन बाद मुंबई में हुए एक दंगे में 12 लोगों की मौत हो गई। ब्रिटेन की सड़कों पर रुश्दी के पुतले फूंके गए, किताबें जला दी गईं। इसके बाद रुश्दी करीब एक दशक तक सेफ हाउस में रहने को मजबूर हो गए हालांकि, लिखना उन्होंने तब भी बंद नहीं किया।
अब उस किताब में आखिर ऐसा क्या था? जिसकी इतना बवाल मचाया गया था, तो आपको बता दे की रुश्दी की चौथे नॉवेल ‘सेटेनिक वर्सेस’ का विषय इस्लाम धर्म के खिलाफ है।
Salman Rushdi: उन्होंने अपनी इस किताब में पैगंबर मुहम्मद को झूठा, पाखंडी कहा था, जबकि उनकी 12 बीवियों के लिए भी आपत्तिजनक शब्द इस्तेमाल किए थे। रुश्दी खुद को नास्तिक भी और गैर मुस्लिम बताते हैं।
उनके इस नॉवेल के चलते ही उन्हें 1988 के बाद से ही जान से मारने की धमकियां मिलनी शुरू हो गई थी और उनके खिलाफ फतवे जारी हो गए थे जिसकी वजह से उनकी भारत वापसी मुश्किल हो गई और यहां तक कि लिटरेरी फेस्टिवल यानी साहित्योत्सव में भी वो चाह कर भी भारत नहीं आ सके थे।
इस किताब के प्रकाशन के बाद हुए विरोध प्रदर्शन में पूरी दुनिया में 59 लोग मारे गए। मृतकों की इस संख्या में उपन्यास के अनुवादकों की संख्या भी शामिल हैं।
इस्लामवादियों का कहना था कि इस पुस्तक में इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद का अपमान किया गया है। इसके बाद उन्हें दुनिया भर में कई जगहों से हत्या की धमकी मिली। उनकी किताब को भी कई देशों ने प्रतिबंधित कर दिया। इनमें से एक देश भारत भी था।
अभी कुछ साल पहले आपको याद होगा की किस तरह से बंगला देशी लेखिका तसलीमा नसरीन के विरुद्ध भी इसी तरह का फतवा जारी किया जा चुका है। इस्लाम धर्म में धार्मिक मामलों को लेकर बहस और आलोचना की कोई गुंजाइश नहीं है।
इस्लाम धर्म इस विषय पर सहिष्णुता का कोई प्रदर्शन नहीं करना चाहता। इसीलिए ईश-निंदा अथवा पैगंबरों के विरुद्ध किसी प्रकार की टीका-टिप्पणी करने वालों के विरुद्ध अक्सर ऐसे फतवे आते रहते हैं।
अभी कुछ वर्ष पूर्व अफगानिस्तान में अब्दुल रहमान नामक एक मुस्लिम युवक द्वारा ईसाई धर्म स्वीकार कर लेने के चलते उसके विरुद्ध भी मौत का फरमान जारी कर दिया गया था। जिसे भारी अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बाद बचाया जा सका था।
अपने सिर पर फतवे के कारण रूश्दी को करीब 10 साल तक दुनिया से छिपकर रहना पड़ा था , इस दौरान कई गंभीर घटनाएं भी हुईं। रूश्दी की किताब के ट्रांसलेटर्स पर हमला किया गया और किताब बेचने वाले बुकस्टोर्स पर भी हमले किए गए।
सलमान रूश्दी को मिल चुकी है नाइट की उपाधि
1983 में रुश्दी को रॉयल सोसाइटी ऑफ लिटरेचर का फेलो चुना गया। उन्हें 1999 में फ्रांस के कमांडर डी ल’ऑर्ड्रे डेस आर्ट्स एट डेस लेट्रेस नियुक्त किया गया था। 2007 में, साहित्य के लिए उनकी सेवाओं को देखते हुए ब्रिटिश महारानी क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय ने नाइट की उपाधि से सम्मानित किया । 2008 में, द टाइम्स ने उन्हें 1945 के बाद से 50 महानतम ब्रिटिश लेखकों की सूची में तेरहवें स्थान पर रखा था।
लेकिन कुछ कट्टरपंथियों ने फ़तवा जारी कर कई लोगो को धमकाने और सर तन से जुड़ा करने की धमकिया भी दी है, हाल के दिनों में भारत में भी कई लोगो पर इसी तरह से फ़तवा जारी कर देश में खौफ पैदा किया गया है।
ताज़ा मामला सिंगर फ़रमानी नाज़ के खिलाफ भी भजन ‘हर-हर शंभू’ गाने पर फतवा जारी हुआ था, नूपुर शर्मा को अपने कथित टिप्पणी के लिए फतवा जारी हुआ था, लेकिन जिस तरह से फतवे के बाद देश में माहौल बनाया जाता है उससे क्या इस्लाम को आप सही ठहरता सकते है ?
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