इलाहाबाद हाईकोर्ट: योगी आदित्यानाथ व अजय बिष्ट के नामों में संशय पर याचिका देने वाले पर कोर्ट ने ठोका जुर्माना, याची खुद को दिल्ली का रहने वाला बता रहा था। जब जाँच हुई तो पता चला याची दिल्ली का नहीं बल्कि यूपी के शहर उसी गोरखपुर का है, जो योगी का गढ़ माना जाता है। यूपी का सिहांसन संभालने से पहले योगी जी की कर्मभूमि गोरखपुर ही थी। जहाँ से लगातार 5 बार सांसद व 1 बार के विधायक हैं।
आपको बता दें कि बीते दिन गोरखपुर जिले के एक व्यक्ति ने याचिका दाखिल कर कहा था, कि मुख्यमंत्री के कई नाम होने के चलते प्रदेश के करोड़ाें लोगों के बीच संशय की स्थिति बनी रहती है। इसी पर कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याची 1 से 2 लाख रुपये का हर्जाना 6 सप्ताह के अंदर विकलांग आश्रम प्रयागराज में जमा करे।
यह आदेश चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने गोरखपुर जिले के नामह नामक व्यक्ति की तरफ से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है। बड़ी बात यह थी कि याची ने स्वयं को दिल्ली निवासी बताया था और कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कई नाम लिखे जाते हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट: अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने भी बोल दिया कि याची ने सस्ती लोकप्रियता बटोरने के लिए जनहित याचिका दाखिल की है। इस कारण भी यह खारिज किए जाने योग्य है। सरकार की तरफ से कहा गया कि जनहित याचिका पोषणीय नहीं है। आदित्यनाथ को प्राइवेट कैपेसिटी से पक्षकार बनाया गया है। इस कारण किसी प्राइवेट व्यक्ति के खिलाफ याचिका पोषणीय नहीं है। हाईकोर्ट रूल्स के मुताबिक याची ने अपना क्रेडेंशियल स्पष्ट नहीं किया है इस कारण भी याचिका खारिज किए जाने योग्य है। याचिका में योगी आदित्यनाथ के अलावा भारतीय चुनाव आयोग,भारत संघ, चीफ सेक्रेट्री उत्तर प्रदेश को भी पक्षकार बनाया गया था।
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