पूरी दुनिया की बात करें तो सबसे अधिक फतवे दारुल उलूम देवबंद से ही जारी होते है। दारुल उलूम का कहना है कि फतवे शरीयत की रोशनी में मुसलमानों की रहनुमाई करते है।दारुल उलूम देवबंद ने एक देश विरोधी फतवा जारी करके देश का शोहार्द बिगाड़ने का काम किया है। दारूल उलूम ने ‘गजवा-ए-हिंद’ समर्थन में एक फतवा जारी कर दिया। बता दें कि कि दारूल उलूम एक इस्लामिक संस्था है जो पाकिस्तान,भारत और बंग्लादेश में मदरसे संचालित करती हैं जिनमें लाखों बच्चे दीन की शिक्षा प्राप्त करते हैं।
दारुल उलूम देवबंद वेबसाईट गजवा-ए -हिंद का किया समर्थन
दारुल उलूम देवबंद ने अपनी वेबसाईट के माध्यम से एक फतवा जारी किया है जिसमें गजवा-ए -हिंद को इस्लामिक दृष्टिकोण से वैध बताते हुए महिमामंडित किया गया है।राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने इस फतवे को देश विरोधी बताते हुए सहारनपुर डीएम और एसएसपी से एफआइआर दर्ज कराने को कहा है।
मैं इसमें लडूंगा और अपनी सभी धन संपदा को इसमें कर दूंगा कुर्बान…
इसमें हजरत अबू हुरैरा (पैगंबर मोहम्मद साहब के करीबी रहे) से एक हदीस सुनाई गई है। इसमें उन्होंने गजवा-ए-हिंद पर कहा कि “मैं इसमें लडूंगा और अपनी सभी धन संपदा को इसमें कुर्बान कर दूंगा। मर गया तो महान बलिदानी बनूंगा। जिंदा रहा तो गाजी कहलाऊंगा। हजरत मोहम्मद साहब ने इस संबंध में भविष्यवाणी भी की थी। फतवे में किताब को प्रिंट करने वाली कंपनी का भी नाम है।
दारुल उलूम देवबंद ने अब तक दस लाख फतवे किए है जारी…
दारुल उलूम देवबंद की स्थापना 1866 में हुई। संस्था की स्थापना के 27 साल बाद 1893 में दारुल उलूम देवबंद में फतवा विभाग की स्थापना कि गई थी। जानकार तो ये भी बताते है कि अब तक करीब 10 लाख से ज्यादा फतवे जारी हो चुके हैं। बता दें कि अमूमन एक साल में देवबंद करीब 8 हजार से ज्यादा फतवे जारी करता है।
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