Independence Day: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 76 वें स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगे की धारियों वाला सफेद रंग का साफा पहना। पारंपरिक कुर्ता और चूड़ीदार पायजामे के ऊपर नीले रंग का जैकेट तथा काले रंग के जूते पहने, प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराया और लगातार नौवीं बार देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी गई। 83 मिनट के अपने भाषण में उन्होंने देश के सामने 5 संकल्प रखे। भ्रष्टाचार, परिवारवाद, भाषा और लोकतंत्र का जिक्र किया। गांधी, नेहरू, सावरकर को यादकर नमन किया।
नारी शक्ति के सम्मान और उनके गौरव की बात करते हुए भावुक भी हो गए। उन्होंने कहा, मैं एक पीड़ा जाहिर करना चाहता हूँ। मैं जानता हूँ कि शायद ये लाल किले का विषय नहीं हो सकता। मेरे भीतर का दर्द कहाँ कहूँ। वो है किसी न किसी कारण से हमारे अंदर एक ऐसी विकृति आई है, हमारी बोल चाल, हमारे शब्दों में.. हम नारी का अपमान करते हैं। क्या हम नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं।
नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में कहीं ये बड़ी बातें
नरेन्द्र मोदी ने कहा, आज हम दो बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। भ्रष्टाचार और ‘परिवारवाद’ या भाई-भतीजावाद। हमें अपनी संस्थाओं की ताकत का एहसास करने के लिए, योग्यता के आधार पर देश को आगे ले जाने के लिए ‘परिवारवाद’ के खिलाफ जागरूकता बढ़ानी होगी। भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है, हमें इससे लड़ना है। उन्होंने कहा कि जिन्होंने देश को लूटा, उन्हें लौटाना होगा। बैंक लूटनेवालों की संपत्ति जब्त हो रही है।
मोदी ने ये भी कहा, आज लाल किले की प्राचीर से नया नारा दिया। उन्होंने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने इसमें जय विज्ञान जोड़ा और अब इसमें जय अनुसंधान जोड़ने का समय आ गया है। अब जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान हो।
मोदी ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है। मदर ऑफ डेमोक्रेसी। हमारे भारत ने सिद्ध कर दिया कि हमारे पास ये अनमोल सामर्थ्य है। 75 साल की यात्रा में आशाएं, अपेक्षाएं, उतार-चढ़ाव सब के बीच हर एक के प्रयास से हम यहां तक पहुंच पाए। आजादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति था जिसे लाल किले से देशवासियों का गौरव गान करने का अवसर मिला।
Independence Day: मोदी ने कहा, हमने उन्हें याद किया, जिन्हें भुला दिया गया जब हम आजादी की चर्चा करते हैं, तो जंगलों में रहने वाले आदिवासी समाज का गौरव नहीं भूलते। बिसरा मुंडा समेत अनगिनत नाम हैं, जिन्होंने आजादी के आंदोलन की आवाज बनकर सुदूर जंगलों में आजादी के लिए मर मिटने की प्रेरणा जताई। एक दौर वो भी था, जब स्वामी विवेकानंद, स्वामी अरविंदो, रवींद्र नाथ टैगोर भारत की चेतना जगाते रहे। 2021 से शुरू हुए आजादी के अमृत महोत्सव में देशवासियों ने व्यापक कार्यक्रम किए। इतिहास में इतना बड़ा महोत्सव पहली बार हुआ। हमने उन महापुरुषों को भी याद किया, जिन्हें इतिहास में जगह नहीं मिली या उन्हें भुला दिया गया।
आजादी के सपने साकार करने के लिए पीएम ने बताये 5 प्रण
Independence Day: पहला: अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चले। बहुत बड़े संकल्प लेकर चलना होगा। बड़ा संकल्प है, विकसित भारत।
दूसरा: किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर गुलामी का एक भी अंश अगर अभी भी है तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी।
तीसरा: हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए। यही विरासत जिसने कभी भारत का स्वर्णिम काल दिया था। इस विरासत के प्रति हमें गर्व होना चाहिए।
चौथा: एकता और एकजुटता। 130 करोड़ देशवासियों मे एकता। न कोई अपना न कोई पराया।
पांचवां: नागरिकों का कर्तव्य। जिसमें PM भी बाहर नहीं होता, CM भी बाहर नहीं होता है। वो भी नागरिक हैं। आने वाली 25 साल के सपनों को पूरा करने के लिए एक बहुत बड़ी प्राणशक्ति है। जब सपने बड़े होते हैं। जब संकल्प बड़े होते हैं तो पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है।
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