Loksabha Election 2024: जातीय समीकरण ने बदला हाथरस का मिजाज, नई उम्मीदवारी पर टिकी निगाहें…

Loksabha Election 2024

Loksabha Election 2024: मोदी सरकार और भाजपा पूरे देश और खासकर यूपी में जातीय समीकरण साधने में लगी हुई है। ब्राह्मण, ठाकुरों, यादवों और जाटों को उनकी भागदारी लोकसभा चुनाव में मिल रहीं है। तो वहीं एक समाज ऐसा भी है जिसकी लगातार अनदेखी की जा रही है। भाजपा और मोदी सरकार उनकी लगातार अनदेखी कर रही है। आपको बता दें कि हाथरस लोकसभा सीट इस बार एससी सीट है और भाजपा को भी किसी एससी समाज से जुड़े हुए को ही टिकट देना होगा। अब कोरी समाज ने भी भाजपा आलाकमान और पीएम मोदी से मांग की है कि हाथरस लोकसभा सीट से साध्वी प्राची को टिकट दिया जाए। कोरी समाज ने साथ ही चेतावनी देते हुए यूपी में पोस्टर लगाए है जिसमें लिखा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में संसद का टिकट नहीं तो भाजपा को वोट नहीं…

हरिद्वार लोकसभा सीट से लगातार दावा ठोकने वाली हिंदूवादी फायर ब्रांड नेता साध्वी प्राची का अब उत्तर प्रदेश की लोकसभा हाथरस से दावा ठोकने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। समीकरण बताते हैं कि हाथरस में कोरी समाज बड़ी संख्या में निवास करता है और साध्वी प्राची कोरी समाज से ही ताल्लुक रखती हैं। सोशल मीडिया पर उठी मांग के मुताबिक कोरी समाज का कहना है कि जातीय समीकरण साधने वाली भाजपा कोरी समाज को क्यों भूल बैठी है और किसी भी कोरी प्रत्याशी को अभी तक टिकट नहीं दिया है? जबकि यह समाज भाजपा को पूर्ण रूप से समर्थन करता है। अब कोरी समाज ने सोशल मीडिया के साथ ही यूपी में पोस्टर लगाए है ‘कोरी समाज को टिकट नहीं तो भाजपा को वोट नहीं…’

हिंदूवादी फायर ब्रांड नेता साध्वी प्राची का हाथरस से हैं गहरा नाता…

हिंदूवादी फायर ब्रांड नेता साध्वी का यूपी के हाथरस से गहरा नाता है। वो वक्त-वक्त पर हाथरस आती रहतीं हैं। हाथरस की जनता के मन-मस्तिष्क और दिलों में बसती हैं साध्वी प्राची। ये हम ऐसे ही नहीं कह रहे है, हाथरस की जनता की सेवा में तन-मन-धन से जितना भी संभव होता है लगी रहती है। वैसे तो उनका आश्रम हरिद्वार में है लेकिन उन्होंने अपनी कर्मभूमि हाथरस और अलीगढ़ को बनाया है। वैसे तो हरिद्वार में भी संत समाज की सेवा के साथ ही लोगों के हित के कार्यों मे हमेशा लगी रहती है।

Sadhvi Prachi: मोदी के सपनों को साकार करना ही है उनका मकसद

लोकसभा चुनाव को लेकर जब साध्वी प्राची से सवाल पूछा था तो उनका जबाव था कि अगर भाजपा की ओर से चुनाव लड़ने का आदेश मिलता है तो वो जरूर चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि वो मोदी के हिंदू राष्ट्र बनाने के कृत संकल्प को साकार करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

यूपी सरकार में मंत्री असीम अरुण का हाथरस में है विरोध

वहीं हाथरस की सीट आरक्षित होने की वजह से यूपी सरकार में मंत्री असीम अरुण को भी टिकट मिलने की संभावना है जिससे हाथरस की जनता में खासा विरोध नजर आ रहा है अब देखना यह भी है कि अगर अरुण को टिकट मिलता है तो हाथरस की जनता और खासकर कोरी समाज स्वीकार कर पाएगा या नहीं…

हाथरस में ऐसा है जातीय समीकरण…

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों में से एक हाथरस मुस्लिम-जाट वोटरों के प्रभाव वाली सीट है। यही कारण रहा कि भाजपा को हाथरस में लगातार जीत मिलती रही। पिछले चुनावी आंकड़ों के अनुसार, यहां पर करीब 17 लाख से अधिक मतदाता हैं, इनमें से करीब 9.6 लाख पुरुष वोटर और 7.8 लाख महिला मतदाता हैं। कोरी समाज के लोगों का भी इस लोकसभा सीट पर अच्छा खासा प्रभाव। साल 1991 से ही हाथरस भाजपा का गढ़ रही है। 1991 से लेकर 2019 तक हाथरस के लोगों ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी को ही संसद भेजा है।

भाजपा का ही रहा है सांसद

1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में यहां भारतीय जनता पार्टी ने एकतरफा जीत दर्ज की। इस दौरान बीजेपी के कृष्ण लाल दिलेर 1996-2004 तक सांसद रहे। 2009 में यहां राष्ट्रीय लोकदल के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की, हालांकि तब रालोद-बीजेपी का गठबंधन था। वहीं 2014 में तो बीजेपी के राजेश कुमार दिवाकर ने यहां से प्रचंड जीत दर्ज की।

Written By- Rohit Attri.

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By Atul Sharma

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