Madhya Pradesh: गरीबी का आलम तो देखिए साहब, आज भी सिस्टम में गरीबों के लिए कोई मदद नहीं है। इस खबर से यह तो साफ हो गया कि कुर्सी हतियाने के लिए बेसक वादे देश की गरीब जनता के लिए किए जाते हों, लेकिन बाद में सिस्टम उसी का होता है, जो धनी होता है।
घटना मध्य प्रदेश के मुरैना की है, जहाँ एक 8 वर्ष का बच्चा 2 वर्ष के मासूम भाई के शव को लेकर सड़क किनारे बैठा रहा। गरीब पिता के पास पैसे न होने के कारण एंबुलेंस नहीं मिल पाई। फिर बाद में एक पुलिस का नुमाइंदा गरीब बाप के लिए फरिश्ता बनकर आता है।
क्या गरीब होना अभिशाप है?
मध्य प्रदेश से आई इस खबर ने सिस्टम की जड़ें हिलाकर रख दी हैं। इंसानियत को भी शर्मसार किया है, पैसे को इंसानियत से ज्यादा तवज्जो दी है। ह्रदय विदारक इस घटना का सोशल मीड़िया पर वायरल वीड़ियो ने सभी को हिलाकर कर रख दिया और इंसानियत को भी शर्मसार कर दिया है।
मृत बेटे के शव को अंतिम संस्कार के लिए घर ले जाने को गरीबी की कीचड़ में सना पिता पूरे दिन एंबुलेंस के लिए के लिए दौड़ता रहा, जब किसी ने न सुनी तो लौटकर वापिस वहीं आ गया जहाँ बड़ा बेटा छोटे बेटे के शव को गोदी में लेकर बैठे शव पर भिन भिना रहीं मक्खियों को उड़ाने में लगा था।
यह भी साफ हो गया था, कि पैसे न होने पर एंबुलेंस नहीं मिलेगी पैदल जाओ, बच्चे के शव को सिर पर रखकर, 8 वर्ष के बच्चे को अपने हाथ की ऊंगली पकड़ाकर पैदल चलाओ।
8 साल का बच्चा जिसे नहीं पता कि मौत क्या होती है। अपने 2 साल के भाई की लाश को गोद में लेकर बैठा है। अस्पताल ने कह दिया, अपने से लाश ले जाओ।
कितना निर्दयी सिस्टम है न! कहने को हम विश्वगुरू बनने जा रहे। लेकिन किसी को अंतिम विदाई भी ढंग से नहीं दे सकते।
वीडियो MP के मुरैना का है। pic.twitter.com/XRihcDFrgC
— Rajesh Sahu (@askrajeshsahu) July 10, 2022
Madhya Pradesh: 2 वर्ष के मृत मासूम का नाम राजा था। अब उस राजा को क्या पता था, कि नाम ही सिर्फ राजा है, मेरे पिता गरीबी की कीचड़ के दलदल में धंसे हुए हैं। जिनके पास मेरे अंतिम संस्कार के लिए हॉस्पिटल से घर ले जाने के लिए भी कोई साधन की व्यवस्था नहीं हो पायेगी।
उसको ये भी नहीं पता जहाँ मैंने राजा बनकर जन्म लिया है, वहाँ की इंसानियत भी मर चुकी है। सिस्टम में भी राजा के लिए कोई मदद नहीं है। मरीजों से लाखों रूपये ऐंठने वाले हॉस्पिटल वालों में इंसानियत रेशा मात्र भी नहीं बची है।
क्या है पूरा मामला?
पिता पूजाराम के मुताबिक, उसके चार बच्चे हैं। राजा सबसे छोटा था और कुछ दिन से बीमार था, उनकी माँ किसी काम के चलते अपने मायके चली गई थी। बीमार राजा को लेकर पूजाराम उसके बड़े भाई के साथ अस्पताल आया था, जहाँ इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। राजा की लाश नेहरू पार्क के सामने सड़क किनारे नाले के पास उसके बड़े भाई गुलशन की गोद में घंटों तक पड़ी रही। गरीबी से तंगहाल राजा के पिता पूजाराम से कहा गया कि एंबुलेंस के लिए डेढ़ हजार रुपए लगेंगे।
Madhya Pradesh: पूजाराम अपने बड़े बेटे गुलशन के पास शव को रखकर दूसरी जगह चला गया, ताकि कम पैसों में बंदोबस्त कर बेटे के शव को घर ले जाया जा सके। थक हारकर पूजाराम ने अस्पताल से मदद मांगी तो कहा गया कि शव ले जाने के लिए अस्पताल में कोई वाहन नहीं है। बाजार में जाकर कोई और गाड़ी किराये पर ले लो।
जब किसी ने बच्चे की गोद में रखे शव को देखकर पुलिस को सूचना दी तो मौके पर कुछ पुलिसकर्मी पहुंचे। फिर स्थानीय कोतवाली के टीआई योगेंद्र सिंह ने शव उठवाया और जिला अस्पताल ले गए। जहां गुलशन, पिता पूजाराम को एक एंबुलेंस से शव के साथ बैठाकर उनके गांव भिजवा दिया।