पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए, जिसके नतीजे 3 दिसंबर को आया। 5 राज्यों में से 3 राज्यों में बीजेपी ने बहुमत से जीत हासिल की। 17 नवंबर को मध्य प्रदेश में मत पड़े। 3 दिसंबर को नतीजे आने के बाद मध्य प्रदेश के 230 विधानसभा सीटों में से बीजेपी के 162 विधायक जीते। बीजेपी विधायक की बैठक होने के बाद खबर ये आ रही है कि एमपी के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव होंगे। मोहन यादव उज्जैन दक्षिण से विधायक है और ये पहले शिवसेना सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री थे। मोहन यादव पहली बार 2013 में विधायक बने थे और ये RSS संघ के करीब है। जगदीश देवड़ा और राजेश शुक्ला मध्य प्रदेश के दो डिप्टी सीएम होंगे।
आपको बता दें कि सुबह से अटकलों का बाजार गरम था कि एमपी का मुख्यमंत्री कौन होगा और किसके सिर पर ताज सजेगा? आज सुबह केंद्रीय पर्यवेक्षक बनकर हरियाणा का सीएम मोहन लाल खट्टर पहुंचे थे और उनके साथ के लक्ष्मण, आशा लकड़ा गए थे। जब से ही लग रहा था कि एमपी में इस बार किसी नए चेहरे को सीएम बनाया जा सकता हैं।
हालांकि, आपको बता दें कि सीएम की रेस में सबसे आगे वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम सबसे आगे चल रहा था। नरेंद्र सिंह तोमर भारत सरकार में कृषि मंत्री थे। उनको दिमनी विधानसभा से लड़वाया गया था और राजनितिक जानकार मान कर चल रहे थे कि शिवराज की जगह नरेंद्र सिंह तोमर को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। सीएम की रेस में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के साथ ही मध्य प्रदेश के बड़े नेता और हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए केंद्रीय उड्डन मंत्री ज्योंतिरादित्य सिंधिया का भी नाम सीएम पद की दौड़ में शामिल था।
विधानसभा 2018 का चुनाव कमल के निशान पर लड़ा गया था। मोदी ने खुद प्रदेश चुनाव की कमान संभाली थी। मोदी ने चुनाव के दौरान जनसभाओं को संबोधित करते हुए एक ही बात पर जोर दिया था कि मोदी के मन में एमपी है और वो जनता से हर बार पूछते थे कि एमपी के मन में कौन है। जब से ही लगने लगा था कि इस बार शिवराज सिंह चौहान का पत्ता कट सकता हैं।
भाजपा की विधानसभा जीत में सबसे ज्यादा जिस योजना ने जीत को प्रशस्त करने में अहम भूमिका उसमें सबसे ज्यादा हाथ लक्ष्मी बहना योजना का बताया जा रहा है। राजनीति पंडितों ने मोदी की गारंटी के साथ ही शिवराज की इस योजना को जीत की गारंटी बताया था।
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