Rajasthan: कांग्रेस सरकार पर मंडराया संकट,सचिन पायलट पर फिरी छिड़ी रार

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Rajasthan: कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव से शुरु हुआ राजस्थान का सियासी ड्रामा अभी तक जारी है….कई दिनों से उठापटक के बीच अब एक और बवाल खड़ा हो गया है… लगता है की राजस्थान की कांग्रेस सरकार अब खतरे में है, और दावा ये भी किया जा रहा है की कहीं इस बार सरकार ही न गिर जाए।

Rajasthan: इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि अब बागी कांग्रेसी विधायकों का नया स्टैंड सामने आया है और इन विधायकों को पहले सचिन पायलट के अलावा 102 विधायकों में से किसी को भी मुख्यमंत्री बनाए जाने पर गहलोत गुट तैयार है।

लेकिन अब बागी विधायकों ने नेतृत्व परिवर्तन का प्रस्ताव सिरे से खारिज किया है और अनुमान तो यह है की अब विधायकों द्वारा किसी भी सूरत में अशोक गहलोत के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति स्वीकार नहीं होगा।

इस बीच बागी विधायकों के नए स्टैंड से आलाकमान और राजस्थान कांग्रेस के बीच और टकराव बढ़ सकता है। बागी विधायक को आलाकमान द्वारा उनके मन की बात पूछे जाने का इंतजार हैं। लेकिन, हाईकमान है कि उनके मन की बात जानने की कोशिश ही नहीं कर रहा है।

Rajasthan: बागी विधायक अब आलाकमान से एक ही सवाल पूछ रहे हैं ? आखिर नेतृत्व परिवर्तन की जरुरत क्या है ? राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए महज सवा साल ही बचे हैं। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी आगामी चुनाव को लेकर पूरी तैयारियों में है।

प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की रैलियां आयोजित की जा चुकी है। दूसरी ओर कांग्रेस के नेताओ में चल रही आपसी लड़ाई से ही फुर्सत नहीं मिल रही है, कांग्रेस के नेता प्रदेश में कांग्रेस सरकार को रिपीट करने का दावा कर रहे हैं।

लेकिन अंदरूनी कलह से उबर नहीं पा रहे। कांग्रेस में अभी तय यह संशय बना हुआ है कि प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व कौन करेगा?  आलाकमान भी नेतृत्व को लेकर मंथन कर रहा है। ऐसे में कांग्रेस सरकार को रिपीट कराने में कामयाब कैसे होगी, यह सोचने वाली बात है?

पिछले दो साल से दो गुटों में बंटी कांग्रेस इन दिनों फुटबॉल बनी हुई है। गहलोत और पायलट गुट के नेता रोजाना आपस में ही सिर फुटव्वल हो रहे।

Rajasthan: इस बीच पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने प्रताप सिंह खाचरियावास से मुलाकात की खबर सामने आई जिससे सुन हर कोई हैरान हो गया। देर शाम को अचानक सचिन पायलट अपनी गाड़ी से प्रताप सिंह खाचरियावास के उनके सरकारी आवास पर पहुँचते हैं । और वहां पर करीब डेढ घंटे तक पायलट और खाचरियावास में सियासी चर्चाएं हुई। रात दस बजे पायलट खाचरियावास के बंगले से वापस लौटे। यह मुलाकात अचानक हुई।

फिर दोपहर बाद प्रताप सिंह खाचरियावास ने इस मुलाकात की पुष्टि की। पायलट और खाचरियावास की मीटिंग के अगले ही दिन सचिन पायलट दिल्ली लौट गए। अब इस पर दोपहर बाद प्रताप सिंह खाचरियावास ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि पायलट उनके घर आए थे।

जब उनसे यह पूछा गया कि पायलट और आपके बीच क्या बातें हुई। इसके जवाब में खाचरियावास ने यहा कि सचिन पायलट मेरे घर आए हैं तो भजन कीर्तन करने तो नहीं आए। जाहिर तौर पर वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य पर चर्चा करने आए थे। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे बीच क्या- क्या बातें हुई, यह तो मैं बता नहीं सकता?

Rajasthan: कांग्रेस आलाकमान ने मन मारकर बीते दिनों अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की घोषणा की थी। इस घोषणा के साथ ही यह कहा गया था कि कोई भी आकर चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र है, कोई भी चुनाव के लिए नामांकन कर सकता है।

अब यह तो सभी को पता है कि जितना आसान  लग रहा है उतना आसान है नहीं। कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी जब से मैडम सोनिया गांधी के हाथ आई है उस दिन से या तो अध्यक्ष स्वयं सोनिया रही हैं या फिर पार्टी के एक मात्र चश्मोचिराग राहुल गांधी।

ऐसे में इस बीच अब कई नाम आ गए कि इनमें से ही कोई अगला अध्यक्ष हो सकता है। इस स्थिति ने यह साफ़ कर दिया कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव जो एक “फिक्सड” चुनाव है उसको भी करवाने में कांग्रेस को परेशानी हो रही है, ऐसे में ये लोग सत्ता प्राप्त करने वाले चुनाव तो कैसे ही जीतेंगे जब घर के चुनाव में इतनी सिरफुटव्वल मची हुई है।

परिवार पोषित पार्टी कांग्रेस को वर्ष 2014 से ही अपने नेतृत्व में ख़ामी और उस पर से परिवारवादी शक्तियों के चक्कर में खूब लताड़ मिली है। इस लताड़ को समझने और ग़लतियों को सुधारने में कांग्रेस को 8 साल लग गए। कई अध्यक्ष के चुनावों की बलि देने पड़ी।

Rajasthan: कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की घोषणा होते ही संभावित नामों की सूची तैयार होने लगी थी। इनमें सबसे पहला मानदंड यह था कि कौन है वो जो गांधी परिवार का सबसे विश्वासपात्र है। इस कड़ी में सबसे पहला नाम राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का आया। चूंकि चुनाव होना है यह तय था तो गांधी परिवार का इतिहास बताता है कि वो हमेशा अपने प्रॉक्सी के रूप में ऐसे ही व्यक्ति को कुर्सी देते हैं जो उनकी हां में हां मिलाए।

फिर एकदम से खबर आई की गहलोत का नाम कांग्रेस अध्यक्ष की रेस से बाहर हो गया है। फिर दिग्विजय सिंह का नाम आगे आया। फिर वाइल्ड कार्ड एंट्री के साथ मल्लिकार्जुन खड़गे नामांकन की रेस जीत गए। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह नॉमिनेशन के आखिरी दिन कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव की रेस से हट गए हैं।

अब इतने दिनों से जो ये सियासी ड्रामा चल रहा है इसमें अशोक गहलोत ने जो बातें की वो है की सीएम के लिए सचिन पायलट का नाम सामने आने के बाद विधायक जिस तरह नाराज हो गए, अगर बना दिया तो सरकार गिरने का संकट मंडरा रहा है।

Rajasthan: कांग्रेस की एक व्यक्ति-एक पद सिद्धांत के आधार पर अब गहलोत के पास केवल एक ही पद है तो फिर 102 विधायकों के समर्थन के बावजूद उन्हें क्यों हटाया जा रहा है? सूत्रों के अनुसार बागी विधायकों के इस स्टैंड से आलाकमान हैरान है !

इस बीच अगले 2-3 दिनों में खड़गे-दिग्विजय-माकन जयपुर आ रहे हैं और ये खड़गे के पक्ष में वोट डालने के लिए कांग्रेसी विधायकों से अनुरोध करेंगे। लेकिन, इन तनावपूर्ण हालातों में ये तीनों नेता एक बार फिर विधायकों के मन की बात टटोल सकते हैं।

Rajasthan: प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारी दुश्मनों की तरह खुलेआम लड़ रहे हैं और बयानबाजी कर रहे हैं। ऐसे में प्रदेश की जनता का भरोसा जीतने में कामयाब कैसे होंगे। कांग्रेस का यह घमासान फिलहाल जारी रहने की संभावना है, क्योंकि प्रदेश में मुख्यमंत्री के चेहरे पर आलाकमान मंथन कर रहा है कि मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कुर्सी पर रहे तो पायलट गुट के नेता रायता बिखेरेंगे। उधर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के रूप में घोषित कर दिया तो गहलोत गुट के विधायक रायता बिखेरने को उतावले हो रहे हैं।

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।