Ravish Kumar: मैं वो चिड़िया हूं जिसका घोसला लेकर कोई और उड़ गया, लेकिन उसके पास खुला आसमान है

Ravish Kumar:

Ravish Kumar: वैसे ऐजेंडाधारी के साथ साथ रवीश कुमार अच्चछी शायरी भी बोल लेते हैं, रवीश कुमार और एनडीटीवी को कौन नहीं जानता ये दोनो ही किसी से छुपे नहीं हैं लेकिन अब उन्होंने एनडीटीवी से इस्तीफा दे दिया है या यूं कहें कि उन्हें निकाल दिया गया

Ravish Kumar: खैर हैरान करने वाली बात तो ये है साहब कि जिसने आजतक सिर्फ ऐजेंडा ही चलाया हो और सरकार के सही कामों को भी गलत तरीके से पेश किया हो वो भी अब बाकी चैनल्स को गोदी मीडिया बोलने लगे हैं
दरअसल रवीश कुमार अपने आपको एक सच्चा और क्रांतिकारी पत्रकार समझते हैं बाकि भारत में जितने पत्रकार हैं वो रवीश कुमार के हिसाब से गोदी मीडिया और कायर पत्रकार हैं जिसमें सरकार के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं और बिके हुए हैं

Ravish Kumar: वहीं अर्नव गौस्वामी ने भी रवीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि न रेलवेस्टेशन बिका न एयरपोर्ट लेकिन जिस चैनल पर बैठ कर रवीश कुमार झूठ बोलते थे वो चैनल जरूर बिक गया इलके साथ ही सुशांत सिन्हा ने भी फिरकी लेते हुए रवीश कुमार के लिए ट्वीट करते हुए लिखा कि जल्द यूट्यूब पर सीख पाएंगे- -शाहरुख़ को मिनटों में मिश्रा कैसे बनाएं। -ऐसे दोस्त कैसे बनाएं जो बिना इंटरेस्ट के 400 करोड़ का लोन दें,सालों तक भूल जाएं राष्ट्रपति भवन को अपने प्राइवेट कार्यक्रम के लिए कैसे बुक कर झमाझम प्रोग्राम करें।(वैसे ये मुश्किल है जब तक मौजूदा सरकार है
रविश कुमार के इस्ताफे के बाद से ट्वीटर पर यूजंर्स तरह तरह के ट्वीट कर रहे हैं

Ravish Kumar: एक यूजंर ने लिखा कि दरबारी- तुम पत्रकार नही एक एजेंडा धारी जिसका कोई ईमान नही है।अगर कोई तुमको पत्रकार कहता है तौ आप ख़ुद पत्रकार नही। 2013 के बाद छोड़ो पिछले 3 साल के उसके प्राइम टाइम शो उसकी एक पक्षीय प्रोपेगेंडा को व्यां करते है जिसमे उसके 80% शो भाजपा और उसके राज्यों पर थे बाकि और नॉन भाजपा पर

दूसरे यूजंर ने लिखा दिल छोटा ना कर मित्रा, अब कर्मों का फल तो मिलना ही था ना, ये कहना गलत नहीं होगा कि अब रवीश कुमार अर्श से फर्श पर आ गऐं हैं लेकिन अब उन्होंने भावुकता से एक बार फिर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है और यूटूब चैलन बनाया है और उस यूटूब चैनल पर भी मोदी विरोधी ऐजेंडा ही चला रहें हैं खैर जिस तर से वो वामपंथी विचारधाराओं का प्रचार करते हैं और उनके टीवी डिबेट में भी इसी तरह के लोग आते थे तो अब इस यूटूब चैनल को भी वही लोग पंसद करेंगे हालांकि रविश कुमार के प्राइम टाइम डिबेट में भी इसी तरह के लोग देखने को मिलते थे जो कि भारत की संसकृति सभ्यता और सनातन के विरोध में हो खैर ये भी कहा जा सकता है कि कोई न सही लेकिन टुकड़े टुकड़े गैंग के लिए रविश कुमार उनकी उर्जा हैं

और अब रविश कुमार के चाहने वाले भारत विरोधी लोग उनके लिए तरह तरह की बयानबाजी कर रहें हैं कि देखिए मोदी जी कैसी क्ररुरता कर रहें हैं आडानी के जरिए चैनल को खरीद लिया
तमाम तरह की बाते हो रहीं हैं लेकिन इसकी सच्चाई क्या है ये हम आपको इस पूरी वीडियों में बताते हैं
दरअसल इस चैनल को खरीदने में न तो मोदी का हाथ है न ही आडानी का

रॉय दंपति ने 2009 में रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़ी एक कंपनी से 400 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त ऋण लिया था. यह कंपनी विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (वीसीपीएल) थी. इस कर्ज के बदले वीसीपीएल को वॉरंट को आरआरपीआर होल्डिंग्स के शेयर में बदलने का अधिकार मिल गया था. आरआरपीआर होल्डिंग्स के पास एनडीटीवी की 29.2 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

अडानी समूह ने अगस्त में वीसीपीएल का अधिग्रहण कर लिया था और उसने वॉरंट को शेयरों में बदलने की बात रखी थी. एनडीटीवी के प्रवर्तकों ने शुरुआत में इस कदम का विरोध करते हुए कहा था कि उनके साथ इस पर बातचीत नहीं हुई है. लेकिन इस सप्ताह की शुरुआत में उन्होंने इसकी अनुमति दे दी. इससे वीसीपीएल के पास आरआरपीआर होल्डिंग की 99.5 प्रतिशत हिस्सेदारी आ गई.

आरआरपीआर (राधिका रॉय प्रणय रॉय होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड) अभी तक प्रवर्तक इकाई है. इसकी समाचार चैनल में 29.18 प्रतिशत हिस्सेदारी है. प्रणय रॉय के पास एनडीटीवी की 15.94 प्रतिशत और राधिका रॉय के पास 16.32 प्रतिशत (कुल 32.26 प्रतिशत) हिस्सेदारी है.
वीसीपीएल के अधिग्रहण के बाद अडानी समूह द्वारा एनडीटीवी में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए खुली पेशकश लाई गई है. यह पेशकश 22 नवंबर को खुली है और पांच दिसंबर को बंद होगी.

अभी तक इस पेशकश को कुल आकार पर 53.27 लाख या एक-तिहाई शेयरों का प्रस्ताव मिला है. हालांकि, खुली पेशकश में शेयर का मूल्य एनडीटीवी के शेयर के मौजूदा भाव से काफी कम है.
बीएसई पर एनडीटीवी का शेयर पांच प्रतिशत की बढ़त के साथ 447.70 रुपये पर कारोबार कर रहा है. वहीं, खुली पेशकश 294 रुपये प्रति शेयर के मूल्य पर की गई है.

अब इससे यही साबित होता है कि 10 साल से एनडीटीवी ने इस कंपनी का कर्जा नहीं उतारा अब इसका मतलब तो यही है कि या तो अपकी मंसा नहीं थी उतारने की या फिर आपकी हैसियत ही नहीं थी कि इस कर्जे को आप उतार पाएं तो उस कंपनी ने 400 रुपए करा नुक्सान हो रहा है इसके बदले जो सौदा हुआ था कि ये जो एनडीटीवी जिस कंपनी का हिस्सा है उस कंपनी का नाम था आरआर पीआर और इस कंपनी का एक छोटा सा हिस्सा एनडीटीवी है

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By खबर इंडिया स्टाफ