Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को अब करीब तीन महीने होने वाले है। इस बीच शुक्रवार को रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने मारियुपोल पर कब्जा करने का दावा किया है। अगर रूस के राष्ट्रपति के दावे को सच माना जाए तो ये रूस की अब तक की युद्ध में सबसे बड़ी कमायाबी है। तीन महीने के युद्ध में रूस ने मारियुपोल के अधिकांश हिस्से को बर्बाद कर दिया है। रूस के हमलों में अब तक 20,000 से अधिक यूक्रेनी नागरिकों के मारे जाने की आशंका है। रूस ने मारियूपोल पर कब्जे के साथ ये भी दावा किया है कि रूसी सेना के सामने करीब 1 हजार से ज्यादा सैनिकों ने सरेंडर कर दिया है। वहीं भारी नुकसान के बाद अब जेलेंसकी ने रूस के राष्ट्रपति से मुआवजे की माँग की है। और साथ ही पुतिन को चेतावनी दी है कि “रूस हर उस बम का भार महसूस करेगा जिसे उसने यूक्रेन पर गिराया है।”
Russia-Ukraine War: यूक्रेन को अब तक लगभग 8000 करोड़ रुपय का हुआ नुकसान
सूत्रों की मानी जाए तो अब तक युद्ध में यूक्रेन को लगभग 8000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। युद्ध की त्रासदी के कारण अब तक करीब 1 करोड़ 40 लाख यूक्रेनी लोगों को देश छोड़ना पड़ा है।
अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रलिया समेत जापान जैसे मजबूत देशों ने युद्धग्रस्त देश यूक्रेन को इस साल करीब 20 अरब डॉलर की सहायता देने का वादा किया है।
आप को बता दें कि रूस ने यूक्रेन के ज्यादातर बंदरगाहों पर कब्जा कर लिया है। इससे दुनियाभर में भोजन की कमी की आशंका बढ़ती जा रही है। वहीं फिनलैंड का कहना है कि रूस ने प्राकृतिक गैस की आपूर्ति को निलंबित कर दिया है।
गौरतलब है कि यूक्रेन ने दावा किया है कि रूसी सैनिकों ने यूक्रेन के एक प्रमुख शहर की नदी के किनारे पर बमबारी की, जहां कुछ अलगाववादी भी साथ दे रहे हैं। जर्मनी की राजधानी बर्लिन में रक्षा मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि जर्मनी जुलाई में यूक्रेन को पहले 15 गेपर्ड टैंक वितरित करेगा।
रूस ने दावा किया है कि कई दुश्मन देशों द्वारा रूस पर साइबर हमले लगातार हो रहे है। रूस-यूक्रेन युद्ध के लंबे चलने की उम्मीद के मद्देनजर रूस के रक्षा मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि वह 40 से अधिक उम्र के लोगों को भी सेना में भर्ती करेगा।
Russia-Ukraine War: पड़ोसी देशों ने बढ़ाया रूस का सिर दर्द
पड़ोसी देश फिनलैंड और स्वीडन अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य संगठन नाटो में शामिल होने के लिए आवेदन कर दिया है। ऐसे में रूस खुद पर दबाव महसूस करने लगा है। रूस ने फिनलैंड से लगने वाली पश्चिमी सीमा पर सैनिकों और हथियारों की तैनाती बढ़ाने का फैसला किया है।