shameful statement towards mahadev: DU के प्रोफेसर की ओछी टिप्पणी, ‘यदि ये शिवलिंग है तो शायद इनका खतना कर दिया था’

shameful statement towards mahadev

shameful statement towards mahadev: 17 मई को ज्ञानवापी परिसर से 12 फुट का शिवलिंग निकला जब से ही तथाकथित लिबरल, वामपंथी हो या इस्लामी कट्टरपंथी तभी से बौखलाए हुए है। और इसी क्रम में DU के प्रोफेसर रतनलाल ने ज्ञानवापी मस्जिद से निकले शिवलिंग को लेकर बेहद ओछी और शर्मनाक टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि ‘यदि ये शिवलिंग है तो शायद इनका खतना कर दिया था’।

सोशल मीडिया पर दिल्ली के हिन्दू कॉलेज में इतिहास के एसोसिएट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत रतन लाल ने फेसबुक पर एक लिंक साझा करते हुए लिखा, “यदि यह शिव लिंग है तो लगता है शायद शिव जी का भी खतना कर दिया गया था। साथ ही पोस्ट में चिढ़ाने वाला इमोजी भी लगाया है।

shameful statement towards mahadev: सोशल मीडिया पर किया गया रतनलाल का शर्मनाक बयान या ओछी टिप्पणी पर लोग काफी खरी-खोटी भी सुना रहे है। एक सोशल मीडिया यूजर ने रतनलाल को लताड़ते हुए लिखा है कि हम एक प्रोफेसर की ऐसी बकवास कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं? एक प्रोफेसर से आने से यह और अधिक हास्यास्पद हो जाता है क्योंकि वह सैकड़ों निर्दोष छात्रों को प्रभावित कर सकता है। सख्त कार्रवाई की जरूरत है जिससे इन जैसे लिबरल को सबक मिल सके।

वहीं विवेक ने सोशल मीडिया पर बीजेपी सरकार को लिखा हा कि “कब खून खौलेगा बीजेपी सरकार का, ये तो कानून के हिसाब से भी स्वीकार नहीं है, बहुसंख्यकों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना।”

आप को बता दें कि बजू का स्थान वो है जहां पर वीडियो सर्वे के दौरान गत सोमवार 16 मई को 12 फुट लंबा शिवलिंग मिला था। वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर का 16 मई को तीसरा और अंतिम दिन का सर्वे अधिवक्ता आयुक्त (advocate commissioner) अजय कुमार मिश्र की अगुवाई में पूरा हो गया था। 17 मई को वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में पेश की जानी थी। लेकिन,अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्रा ने कोर्ट से दो दिन की मौहलत मांगी थी जिसको वाराणसी कोर्ट ने मान लिया था।

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।