श्रीराम वन गमन पथ यात्रा: अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तारीख नजदीक आ रही है वैसे ही पूरा देश राममयी हो गया है। क्या नेता,क्या अभिनेता और क्या लोग सब प्रभू श्रीराम की लीला लीन नजर आ रहे है। ऐसी ही एक महिला है जिनका नाम शिप्रा है उन्होंने जानकी माता के जीवन से प्रेरित होकर 4 हजार किमी लंबी श्रीराम वन गमन पथ यात्रा पर निकलने का निर्णय लिया है।
श्रीराम वन गमन पथ यात्रा: अयोध्या से रामेश्वरम तक…
श्रीराम वन गमन पथ यात्रा: आपको बता दें कि ये वो गमन पथ है जहां पर 14 साल के वनवास में मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम, माता जानकी और उनके अनुज लक्ष्मण के साथ भ्रमण किया था। माता जानकी से प्रेरित होकर वो वहां- वहां जाएगी जहां पर प्रभू श्रीराम के पावन चरण पड़े थे। उनकी यात्रा की शुरूआत यूपी के अयोध्या से होकर इसका समापन तमिलनाडू के रामेश्वरम पर जाकर होगा…
शिप्रा पाठक: कैसे भी मातृ शक्ति को माता जानकी के चरित्र से…
श्रीराम वन गमन पथ यात्रा: शिप्रा ने बताया कि “उनकी यात्रा का एक ही मकसद है कि कैसे भी मातृ शक्ति को माता जानकी के चरित्र से आत्मसात करवाया जा सके। वो अपनी यात्रा के दौरान राम जानकी वाटिका भी बना रही है।”
श्रीराम वन गमन पथ यात्रा: आपको बता दें कि शिप्रा ने अब तक 1100 किमी की कठिन यात्रा को पूर्ण कर लिया है। इस यात्रा के दौरान उनकों अथाह पीड़ा का अनुभव हुआ लेकिन जानकी माता की तरह ही न वो रूकी और न थकी.,.. उन्होंने मंडला जिले तक अपनी यात्रा करते हुए पहुंच गया है। शिप्रा के पैरों में यात्रा के दौरान छाले पड़ गए है लेकिन वो श्रीराम प्रभू की भक्ति में इतनी लीन है कि उनको छालों की भी चिंती नहीं है। उनकी एक ही मंशा है और कि वो कैसे अपनी इच्छा को भली भांती धरा पर उतारे…
श्रीराम वन गमन पथ यात्रा: वो राम वन गमन पर को रामायणकालीन युग की तरह हरा-भरा करना चाहती है। इस मंशा को ध्यान में रखते हुए लोगों को ज्यादा से ज्यादा धरा को हरा-भरा करने के लिए प्रेरित करती है। अब तक हजारों पेड़ का रोपण कर चुकी शिप्रा लोगों को ये संदेश भी देने से नहीं चुकती की ‘जल ही जीवन’ है आप जितना हो सके जल को अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए बचाएं।
शिप्रा की संस्था ने अब तक 12 लाख पौधों को रौपा
श्रीराम वन गमन पथ यात्रा: ये पहली बार नहीं है कि शिप्रा श्रीराम वन गमन पथ यात्रा पर गयी हो इससे पहले भी उन्होंने नर्मदा नदी की 3600 किमी की परिक्रमा की है उन्होंने अपनी यात्रा कि शुरूआत । गौमती नदी की 1008 किमी पदयात्रा की है। आपको बता दें कि ऐसा करने वाली पहली महिला है। उनकी पंचतत्व संस्था ने अब तक नदियों को संरक्षित करने के लिए 12 लाख पौधों को रौपने का अद्भूत कार्य किया है।
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