Udaypur: भले ही जांच एजेंसियां कन्हैयालाल के हत्यारे रियाज मोहम्मद व गौस मोहम्मद को आतंकी कहें या फिर पाकिस्तान के आतंकी संगठन से उनका कनेक्शन बताएं, लेकिन सच्चाई यह है कि यह एक ऐसी तालिबानी सोच है जिसकी चपेट में मुस्लिम समुदाय के युवा लगातार आ रहे हैं। बड़ी बात इसमें 5 वक्त के नमाजी भी पीछे नहीं हैं। वहीं आश्चर्य की बात यह कि तालिबानी मानसिकता के लोगों को मुस्लिम समुदाय के लोग रोकने-टोकने के बजाय उनका अपने-अपने स्तर से सहयोग करते हैं, जिनमें छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग व्यक्ति, महिलाएं तक शामिल हैं।
#UdipurMurderCase के दो और आरोपी गिरफ़्तार, मोहसिन और आसिफ़ पर हत्या की साज़िश का आरोप #KanhaiyaLalCase #JusticeForKanhaiya #KanhaiyaLal @ritikasinghs pic.twitter.com/mCncwcmnGQ
— News18 India (@News18India) July 1, 2022
पुराने उदाहरणों पर न जाकर मैं हाल ही में राजस्थान के उदयपुर में हुई कन्हैयालाल की हत्या में शामिल लोगों का उदाहरण देता हूं, जिसे आप पढ़कर अंदाजा लगा सकते हैं कि जम्मू-कश्मीर में कश्मीर पंडितों के साथ हुए नरसंहार में जिस तरह उनके पड़ोसियों ने अपनी भूमिका निभाई कन्हैयालाल की हत्या उसी दिशा में बढ़ता हुआ एक क़दम है।
1- सोशल मीडिया पर नूपुर शर्मा का समर्थन करने वाले कन्हैयालाल की पोस्ट को सबसे पहले शेयर करते हुए नाजिम ने लिखा “इसे(कन्हैया लाल) कहीं भी देखें जान से मार दें”। नाज़िम कन्हैयालाल की दुकान के सामने ही टेलर की दुकान करता है, जिसके पिता अहमद कन्हैया लाल के गहरे दोस्त थे। कोरोना काल में उनकी मौत होने पर कन्हैया लाल ने कब्रिस्तान जाकर उनकी कब्र पर मिट्टी लगाई थी। जिसमे बाद भी पारिवारिक रिश्ते इतने गहरे थे कि कन्हैया लाल हाल ही में नाजिम की बहन की शादी में शामिल हुए थे।

2- कन्हैयालाल की हत्या करने से पहले दोनों मुख्य आरोपी रियाज मोहम्मद व गौस मोहम्मद उसी गली में मौजूद आसिफ़ की दुकान पर रुके थे। बाद में जांच एजेंसियों ने खुलासा भी किया कि आसिफ़ हत्याकांड की साजिश में शामिल था और किसी भी तरह से चूक होने पर हत्यारों का सहयोग व कन्हैया लाल को मौत के घाट उतारने के लिए तैयार था जबकि आसिफ़ की दुकान ‘लेक टेलर’ के नाम से कन्हैयालाल की दुकान से दायीं ओर 10 कदम की दूरी पर है। इतना ही नहीं ज्यादा काम आने पर कन्हैया अपना काम आसिफ को दे दिया करता था।

3- हाथी पोल(स्थान का नाम) पर मीट की दुकान चलाने वाला मोहसिन दोनों मुख्य हत्यारों के बेहद करीब था। वह भी हत्या की साजिश में शामिल, हत्यारों का सहयोगी व चूक होने पर कन्हैया लाल को मौत की नींद सुलाने के लिए तैयार था। जबकि हिंदुओं के बीच मीट की दुकान चलाकर अपनी रोजी रोटी चला रहा था।

4- उदयपुर की गौसिया मस्जिद के करीब रहने वाला मुख्य आरोपी 5 वक्त का नमाजी था। वहीं घटना से 2 दिन पहले गौस की पत्नी ने मकान को खाली करके दूसरी जगह सामान शिफ्ट किया था।
5- चंद मुसलमानों को छोड़कर सामुहिक रूप से मुस्लिम समुदाय के लोगों ने न हत्यारों का विरोध किया न सज़ा की मांग की न घटना के विरोध में सड़कों पर आए और न ही कन्हैयालाल के परिवार वालों के साथ खड़े हुए। उल्टा जहां भी मौका मिला हत्यारों को सही ठहराते हुए कन्हैयालाल को गलत साबित करते रहे।
आखिर में सिर्फ एक बात सब के सब मिले हुए हैं। कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के समय पड़ोसी मुसलमान ने अपने ही पड़ोसी की हत्या कराने के लिए चावल गिराकर इशारा किया था वहीं उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या के लिए पड़ोसी व मित्र मुस्लिम युवक ने हत्यारों को खंजर दिए।
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