Kailash mountain: कैलाश पर्वत पर चढ़ने में क्यों थम जाते पैर, कैसे सिहर जाते हैं लोग? जाने पूरा रहस्य

Kailash mountain: कैलाश के बारे में जितने मुँह उतनी बातें। कई कहते है ये पहाड़ यहाँ था ही नहीं, इसे बनाया गया है। लोग ये भी कहते हैं कि ये पहाड़ खोखला है, इसके अंदर दूसरी दुनिया में जाने का रास्ता निकलता है।

Kailash mountain: सन 1999 में रूस के वैज्ञानिकों की टीम एक महीने तक माउंट कैलाश के नीचे रही और इसके आकार के बारे में शोध करती रही। वैज्ञानिकों ने कहा कि इस पहाड़ की तिकोने आकार की चोटी प्राकृतिक नहीं, बल्कि एक पिरामिड है जो बर्फ से ढका रहता है।

Kailash mountain: माउंट कैलाश को “शिव पिरामिड” के नाम से भी जाना जाता है। जो भी इस पहाड़ को चढ़ने निकला, या तो मारा गया, या बिना चढ़े वापिस लौट आया। पूरी दुनिया ने कैलाश पर्वत को विश्व का आध्यात्मिक केंद्र माना है।

अध्यात्म के अनुसार कैलाश पर्वत

Kailash mountain: हिन्दू धर्म में कैलाश पर्वत को शिव का गढ़ माना जाता है। कहते हैं पर्वत पर शिव और पार्वती विराजते हैं। मगर इस रहस्यमयी पर्वत का नाम सिर्फ हिन्दू धर्म की किताबों में ही नहीं आता। जैन धर्म के अनुयायियों का मानना है कि सबसे पहले तीर्थांकर ऋषभनाथ को कैलाश पर्वत पर तत्व ज्ञान प्राप्त हुआ था। बौद्ध धर्म के अनुयायी भी मानते हैं कि महात्मा बुद्ध पहाड़ की चोटी पर रहते हैं।

तिब्बत के डाओ अनुयायी इस पर्वत को पूरी दुनिया का आध्यात्मिक केंद्र मानते हैं। डाओ धर्म तिब्बत में बौद्ध धर्म से काफी पहले से है।
ये कोई संयोग नहीं हो सकता कि एक ही पर्वत को चार धर्मों के केंद्र में रखा गया है। इन चारों धर्मों को मानने वाले लगभग डेढ़ अरब लोग कैलाश पर्वत की महिमा जानते हैं।

कैलाश पर्वत पर आज तक कोई नहीं चढ़ पाया

Kailash mountain: हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत का बहुत महत्व है, क्योंकि यह भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। लेकिन इसमें सोचने वाली बात ये है कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को अभी तक 7000 से ज्यादा लोग फतह कर चुके हैं, जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है, लेकिन कैलाश पर्वत पर आज तक कोई नहीं चढ़ पाया है जबकि इसकी ऊंचाई एवरेस्ट से लगभग 2000 मीटर कम यानी 6638 मीटर ही है।

यह अब तक सबके लिए रहस्य ही बना हुआ है। कैलाश पर्वत के बारे में अक्‍सर ऐसी बातें सुनने में आती हैं कई पर्वतारोहियों ने इस पर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन इस पर्वत पर रहना असंभव था क्योंकि वहां शरीर के बाल और नाखून तेजी से बढ़ने लगते हैं। इसके अलावा कैलाश पर्वत बहुत ही ज्यादा रेडियोएक्टिव भी है।

कैलाश पर्वत पर व्यक्ति दिशाहीन हो जाता है

Kailash mountain: कैलाश पर्वत पर कभी किसी के नहीं चढ़ पाने के पीछे कई कहानियां भी प्रचलित हैं। कुछ लोगों का मानना है कि कैलाश पर्वत पर भगवान शिव अपने परिवार के साथ रहते हैं और इसीलिए कोई जीवित इंसान वहां ऊपर नहीं पहुंच सकता। मरने के बाद या जिसने कभी भी कोई पाप न किया हो, केवल वही कैलाश फतह कर सकता है।

ऐसा भी माना जाता है कि कैलाश पर्वत पर थोड़ा सा ऊपर चढ़ते ही व्यक्ति दिशाहीन हो जाता है। बिना दिशा के चढ़ाई करना मतलब मौत को दावत देना है, इसलिए कोई भी इंसान आज तक कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाया है।

Written By: Swati Singh

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।