रहस्यमयी कहानी 8: छोटे कद के बड़े हौसले वाले बहादुर की मौत का पढ़िए रहस्यमयी क़िस्सा

lal bahadur shastri

रहस्यमयी कहानी 8: आज रहस्यमयी कहानी 8 में आपको बतायेंगे कि भारत के एक ऐसे प्रधानमंत्री जिनकी मौत आज भी रहस्य बनी हुई है और उनकी रहस्यमयी मौत पर विशेषज्ञयों व लेखकों ने अपनेअपने हिसाब से किताबों में लिखा है। हम बात कर रहे हैं एक ऐसे प्रधानमंत्री की जिसके एक आह्वान पर पूरा देश एक वक़्त भूखा रहा था।

कौन थे वो प्रधानमंत्री?

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का सन 1966 . में तत्कालीन सोवियत संघ के उज्बेकिस्तान के ताशकंद में निधन हो गया था। शास्त्री नेजय जवान जय किसानका नारा देकर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था। उनके ही नेतृत्व में भारत ने वर्ष 1965 की जंग में पाकिस्तान के छकके छुड़ाये थे। वे देश के ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिनकी एक आवाज पर देशवासियों ने एक वक्त का खाना तक छोड़ दिया थालेकिन उनकी मौत की कहानी अब तक रहस्य बनी हुई है। पाकिस्तान को करारी हार देने के बाद शास्त्री पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध खत्म करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए ताशकंद गए थे और वहां से वह अपने देश कभी नहीं लौटे, उनका पार्थिव शरीर वापस आया था।

रूसी पीएम भी शास्त्री जी के समक्ष क्यों हुआ नतमस्तक?

सादा जीवन उच्च विचारके फलसफे में विश्वास करने वाले शास्त्री जी का जीवन काफी संयमित और सादगीपूर्ण रहा है। ताशकंद समझौते के दौरान वहाँ बहुत सर्दी पड़ रही थी, तब सोवियत संघ के प्रधानमंत्री एलेक्सी कोशिगीन ने तोहफे में उन्हें एक गर्म ओवरकोट दिया था। जिसे उन्होंने अपने एक मातहत कर्मचारी को ठंड से बचने के लिए दे दिया, इस घटना का पता चलने पर एलेक्सी कोशिगीन ने कहा हम कम्युनिस्ट हैं, लेकिन प्रधानमंत्री शास्त्री एक सुपर कम्युनिस्ट हैं।

अमेरिका ने दी थी गेहूं बंद करने की धमकी

सन 1965 ई. में भारत पाकिस्तान के बीच जंग जारी थी, तभी अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने शास्त्री जी को धमकी दी थी, कि अगर उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ जंग नहीं रोकी, तो अमेरिका जो गेहूं भेजता है, वो बंद कर देगा। उस वक्त भारत गेहूं के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था। प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को ये बात चुभ गई। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि हम लोग एक वक्त का भोजन नहीं करेंगे। उससे अमेरिका से आने वाले गेहूं की जरूरत नहीं होगी। शास्त्री की अपील पर उस वक्त लाखों भारतीयों ने एक वक्त खाना खाना छोड़ दिया था। देशवासियों से अपील करने पहले शास्त्री ने खुद अपने घर में एक वक्त का खाना नहीं खाया और न ही उनके परिवार ने खाना खाया। वे देखना चाहते थे कि उनके बच्चे भूखे रह सकते हैं या नहीं। जब उन्होंने देख लिया कि वो और उनके बच्चे एक वक्त बिना खाना खाए रह सकते हैं, तब उन्होंने देशवासियों से अपील की।

कैसे हुई उनकी रहस्यमयी मौत?

छोटे कद के बड़े हौसले वाले लाल बहादुर शास्त्री ने 1965 की जंग में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी, राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात, उज्जेबकिस्तान राजधानी ताशकंद में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मौत हो हो गई, शास्त्री जी की मौत को लेकर तमाम दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य ये रहा कि एक देश के हीरा की मौत आज भी रहस्य बनी हुई है।

रहस्यमयी मौत का क्या है सच?

शास्त्री जी की मौत की पहली जांच राजनारायण ने करवाई थी, मगर उसका कोई  रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। जनता पार्टी की सरकार ने आश्वासन दिया था कि, शास्त्री जी की मौत का सच सामने लाया जाएगा। लेकिन तत्कालीन गृह मंत्री चरण सिंह ने कहा था सरकार के पास कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं। शास्त्री जी के संयुक्त सचिव रहे सीपी श्रीवास्तव ने अपनी पुस्तकए लाइफ ऑफ ट्रुथ इन पॉलिटिक्स‘ में लिखा है, कि सरकार द्वारा शास्त्री जी की मौत पर जांच के लिए एक जांच समीति का गठन करने के बाद उसके निजी डॉक्टर आर.एन चुघ और निजी सहायक रामनाथ की अलगअलग हादसों में मौत हो गई, खास बात यह थी कि दोनों लोग शास्त्री जी के साथ ताशकंद दौरे पर गए थे।

रहस्यमयी कहानी 8: वहीं कुछ लोग दावा करते हैं कि, जिस रात शास्त्री की मौत हुई उस उस रात का खाना उनकी निजी सहायक रामनाथ ने नहीं, बल्कि सोवियत रूस में भारतीय राजदूत टी.एन कौल के कुक जान मोहम्मद ने बनाया था। खाना खाकर शास्त्री सोने चले गए थे, उनकी मौत के बाद शरीर नीला पड़ने लगा जिससे आशंका जताई गई, कि शायद उनके खाने में जहर मिला दिया गया था। उनके पार्थिव शरीर को भारत भेजा गया, जिसे देखने के बाद ललिता शास्त्री ने दावा किया था कि, उनकी मौत संदिग्ध परिस्थिति में हुई है।

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।