Bihar Politics: बिहार के सीएम नीतीश कुमार आज शाम 4 बजे राज्यपाल फागु चौहान से मुलाकात की और उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सोंप दिया हैं।
Bihar Politics: बिहार की राजनीति में एक बार फिर से हलचल तेज़ हो गई है, और बिहार की राजनीती का चाणक्य कहलाते हैं सीएम नितीश कुमार, और जैसा कि पिछले 17 वर्षों से होता आया है, इस उथल–पुथल के केंद्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं।
आप को बता दें कि पिछले 17 वर्षों से सत्ता पर उनका ही कब्ज़ा है, बिहार में चल रही हलचल के बीच अब अटकलों का बाज़ार गर्म है, कोई कह रहा है की नीतीश कुमार और सोनिया गाँधी में हाल ही में लंबी बातचीत हुई है, तो कोई जदयू प्रदेश अध्यक्ष की राजद सुप्रीमो लालू यादव से मुलाकात के दावे कर रहा है।
Bihar Politics: इस बीच खबर आ रही है राजद नीतीश कुमार को समर्थन दे सकती है। विभागों के आवंटन पर कोई मतभेद नहीं होगा। तेजस्वी यादव ने कहा कि उनके पास 160 की ताकत है। अगर भाजपा अस्थिरता पैदा करने की कोशिश करती है या राष्ट्रपति शासन लागू करने की कोशिश करती है, तो हम उन्हें “करारा जवाब” देंगे…
राजद नीतीश कुमार को समर्थन दे सकती है। विभागों के आवंटन पर कोई मतभेद नहीं होगा। तेजस्वी यादव ने कहा कि उनके पास 160 की ताकत है। अगर भाजपा अस्थिरता पैदा करने की कोशिश करती है या राष्ट्रपति शासन लागू करने की कोशिश करती है, तो हम उन्हें "करारा जवाब" देंगे: राजद सूत्र
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 9, 2022
इस सियासी शोर के बीच आज भी बैठकों का सिलसिला जारी रहा, लगभग सभी दलों ने अपने नेताओं को मंथन और चर्चा के लिए बुलाया, जिसके बाद बिहार की राजनीति में बड़े उलटफेर की आशंका जताई जा रही थी।
Bihar Politics: कल तक अटकलें ये लगाई जाने लगीं थी कि नीतीश कुमार की पार्टी (जेडीयू) बीजेपी से गठबंधन तोड़कर आरजेडी के साथ जा सकती है। दोपहर तक आरजेडी की ओर से बयान आया कि नीतीश कुमार के साथ राजद का कोई गठबंधन नहीं होने जा रहा है। वहीं शाम होते–होते जेडीयू के भी सुर नरम पड़ गए।जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने आरजेडी के साथ जाने वाली खबरों का खंडन कर दिया।
नीति आयोग की बैठक से नदारद रहने के बाद ही नीतीश कुमार को लेकर कयास लगने शुरू हो गए थे कि क्या वो अब फिर से पलटी मारेंगे? एक तरफ जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा कह रहे हैं कि गठबंधन में सब ठीक है और केंद्र की हर बैठक का हिस्सा होना ज़रूरी नहीं है, तो दूसरी तरफ जदयू अध्यक्ष ललन सिंह कह रहे हैं कि कहाँ से जदयू को तोड़ने का षड्यंत्र हुआ और किसने खुलासा किया, ये सब सामने आएगा। कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही नीतीश कुमार बेचैन हैं।
Bihar Politics: उन्हें डर है कि कहीं बिहार में भी कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसी घटना न दोहरा दी जाए। हालाँकि, राजनीति के शातिर खिलाड़ी नीतीश कुमार के बारे में कहा जाता है कि वो हमेशा दो दरवाजे खोल कर रखते हैं और दबाव से बचने के लिए किसी भी तरफ झुकने का रास्ता खुला रखते हैं। शायद यही कारण है कि कभी विधायक और सांसद का चुनाव हारने के बावजूद लगभग 2 दशक से बिहार की राजनीति उनके ही इर्दगिर्द घूम रही है।
लेकिन मुश्किल है कि बीजेपी की दूरगामी रणनीतियों की बदौलत वो चारों तरफ से घिरे हुए भी हैं। हां, ये तो मानना ही पड़ेगा कि ये नीतीश कुमार ही हैं जो बीजेपी की हर चाल की काट भी जानते हैं और इसीलिए मैदान में बने हुए भी हैं।
नीतीश कुमार के राजनीतिक सफर पर नजर डालें तो उन्होंने सबसे ताज़ा पलटी तब मारी थी, जब राजद के साथ उन्होंने गठबंधन तोड़ कर भाजपा के साथ हाथ मिला लिया और मुख्यमंत्री बने रहे।
इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ उनका स्टैंड बताते हुए भले ही प्रचारित किया गया हो, लेकिन क्या उन्हें लालू यादव के परिवार के बारे में जुलाई 2017 से पहले कुछ भी नहीं पता था? 20 वर्षों में 7 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले नीतीश कुमार को तभी उनके विरोधी ‘पलटूराम’ कह कर सम्बोधित करते रहे हैं।
अभी बिहार में जो कुछ चल रहा है उसमे कई दावे किये जा रहे हैं ,जनता दल (यूनाइटेड) और भाजपा गठबंधन टूटने के बेहद करीब है। इसके पीछे एक वजह यह भी मानी जा रही है कि 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार एक बार फिर खुद को राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय करने की कोशिश कर रहे हैं।
हाल में जदयू से अलग होने वाले आरसीपी सिंह के एक बयान से भी नीतीश कुमार की महत्वकांक्षा के बारे में पता चलता है, जिसमें उन्होंने कहा, ‘नीतीश कुमार ने बिहार में 2005 से 2010 तक के अपने मुख्यमंत्रित्व काल में अच्छा काम किया था. क्योंकि तब उनका ध्यान सिर्फ राज्य की ओर था। लेकिन उसके बाद, जब मन में तरंगे उठने लगती हैं…’
साल 2017 में नीतीश कुमार ने जब जदयू, राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर बनाए गए महागठबंधन से बाहर निकलने और फिर से राजग में शामिल होने का फैसला किया था, उससे पहले वह राहुल गांधी से मिलने पहुंचे थे। लेकिन इस मुलाकात का कोई नतीजा नहीं निकला था तब तक नीतीश कुमार की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का राष्ट्रीय संयोजक बनने और 2019 में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने की उम्मीदें दम तोड़ चुकी थीं।
Bihar Politics: सरकार बनाने के लिए चाहिए 77 विधायक
अभी जदयू के पास 45 विधायक हैं। उसे सरकार बनाने के लिए 77 विधायकों की जरूरत है। पिछले दिनों राजद और जदयू के बीच नजदीकी भी बढ़ी हैं। ऐसे में अगर दोनों साथ आते हैं तो राजद के 79 विधायक मिलाकर इस गठबंधन के पास 124 सदस्य हो जाएंगे, जो बहुमत से ज्यादा हैं।
इसके अलावा खबर है कि इस गठबंधन में कांग्रेस और लेफ्ट भी शामिल हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के 19 और लेफ्ट के 16 अन्य विधायकों को मिलाकर गठबंधन के पास बहुमत से कहीं ऊपर 155 विधायक होंगे। इसके अलावा जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के चार अन्य विधायकों का भी उन्हें साथ मिल सकता है।
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