Mulayam Singh: दरोगा को पछाड़कर नेता जी ने लूटी शाबासी तो कारसेवकों पर गोली चलवाकर खूब झेली बदनामी

मुलायम सिंह यादव

Mulayam Singh: मुलायम सिंह यादव के नेता जी बनने तक का सफर बहुत संघर्षभरा है। आज उनको हर कोई याद कर रहा है। आज उनकी यादें हर किसी की जुबां पर हैं। कोई सकारात्मक सोच के साथ याद कर रहा है, तो कोई नकारात्मक सोच रहा है। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है, कि मुलायम सिंह जमीन से जुड़े नेता थे। राजनीतिक जीवन में बुराई और भलाई मिलना एक सामान्य सी बात है। नेता जी के जीवन से जुड़े कई दिलचस्प व संघर्ष भरे किस्से हैं। सियासत के बड़े-बड़े पहलवानों को भी नेता जी ने चित किया है।

पहलवान बनकर दरोगा को मंच पर दी थी पटखनी

बात 26 जून 1960 ई. की है। यूपी के जिला मैनपुरी की विधानसभा करहल में जैन इंटर कॉलेज के कैंपस में कवि सम्मेलन चल रहा था। उस वक्त के मशहूर कवि दामोदर स्वरूप विद्रोही मंच पर अपनी लिखी कविता ‘दिल्ली की गद्दी सावधान’ पढ़ने लगे तो वहां तैनात यूपी पुलिस का इंस्पेक्टर ने मंच पर जाकर उन्हें कविता पढ़ने से रोक दिया और उनका माइक छीन लिया। क्योंकि कविता सरकार के खिलाफ थी।

इंस्पेक्टर ने कवि को डांटते हुए कहा कि आप सरकार के खिलाफ कविता नहीं पढ़ सकते। मंच पर बहस हो ही रही थी, कि दर्शकों के बीच बैठे 21 वर्षीय पहलवान मुलायम सिंह यादव दौड़ते हुए मंच पर पहुंचे और 10 सेकेंड में इंस्पेक्टर को उठाकर मंच पर पटक दिया। यहीं पहलवान बनकर दरोगा को पछाड़ा था।

कारसेवकों पर गोली चलवाईं तो खूब झेली बदनामी

मुलायम सिंह यादव पहली बार 1989 ई. में लोकदल से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 90 का दौर शुरू होते ही राम मंदिर को लेकर लड़ाई शुरू हो गई थी। ऐसे में 1990 में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराने के लिए कारसेवा की। 30 अक्टूबर 1990 को कारसेवकों की भीड़ बेकाबू हो गई।

Mulayam Singh: कारसेवक पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ मस्जिद की ओर बढ़ रहे थे। तभी मुलायम सिंह यादव ने सख्त फैसला लेते हुए प्रशासन को गोली चलाने का आदेश दिया। पुलिस की गोलियों से 6 कारसेवकों की मौत हो गई। इसके दो दिन बाद फिर 2 नवंबर 1990 को हजारों कारसेवक हनुमान गढ़ी के करीब पहुंच गए, मुलायम के आदेश पर पुलिस को एक बार फिर गोली चलानी पड़ी, जिसमें करीब एक दर्जन कारसेवकों की मौत हो गई।

गोली वाले फैसले ने मुलायम को बना दिया था हिंदू विरोधी

अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाने के फैसले ने मुलायम को हिंदू विरोधी बना दिया। विरोधियों ने उन्हें ‘मुल्ला मुलायम’बना दिया। हालांकि, बाद में बाद में मुलायम ने कहा था कि ये फैसला कठिन था। लेकिन, मुलायम को इसका राजनीतिक लाभ भी हुआ था। कारसेवकों के विवादित ढांचे के करीब पहुंचने के बाद मुलायम ने सुरक्षाबलों को गोली चलाने का निर्देश दे दिया। सुरक्षाबलों की इस कार्रवाई में 16 कारसेवकों की मौत हो गई, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए। बाद में मुलायम ने बताया कि सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 28 लोग मारे गए थे।

बाबरी विध्वंस के आरोपी कल्याण सिंह को जब दिया था समर्थन

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने सन 2009 में भाजपा छोड़ एटा से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। कल्याण सिंह के समर्थन में मुलायम ने जनसभा कर दी। कल्याण बाबरी मस्जिद विध्वंस के वक्त मुख्यमंत्री थे और अवमानना के मामले में सजा भी काट चुके थे। मुलायम सिंह के समर्थन देने वाले फैसले पर पार्टी के भीतर ही बगावत हो गई। वरिष्ठ नेता आजम खान ने मुलायम पर सरेराह निशाना साधा। चुनाव में भी मुलायम को इसका नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि, मुलायम के समर्थन से कल्याण सिंह चुनाव जीत गए थे।

Mulayam Singh: आपको बता दें, कि 82 साल के समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में सुबह 8 बजकर 16 मिनट पर अंतिम सांस ली। वे यूरिन इन्फेक्शन के चलते 26 सितंबर से अस्पताल में भर्ती थे। सैफई में मंगलवार को दोपहर 3 बजे मुलायम का अंतिम संस्कार किया जाएगा। जिसमें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सहित तमाम बड़े नेता मौजूद रहेंगे।

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।