उत्तर प्रदेश: योगी के आदेश के बाद 125 स्थानों से उतारे गए लाउडस्पीकर, कट्टरपंथियों की बोलती बंद

योगी आदित्यनाथ

महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक लाउडस्पीकर को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। राजनीति इतनी कि लाउडस्पीकर से ज़्यादा शोर लाउडस्पीकर पर बात करने वालों से हो रहा है, लेकिन इस बीच यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक आदेश जारी कर सभी को चौंका दिया है। इतना ही नहीं योगी के आदेश के बाद प्रशासन हरकत में गया तो वहीं कट्टरपंथियों की बोलती बंद हो गई है। 

योगी ने निर्देश देते हुए कहा कि धार्मिक स्थलों में सामान्य मानक के अनुसार ही लाउडस्पीकर बजाए जाएं। साथ ही लाउडस्पीकर की आवाज सिर्फ परिसर के अंदर ही रहनी चाहिए। इसके बाद हरकत में आए प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए यूपी के कुल 125 धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतरवाए हैं और क़रीब 17 हज़ार लाउडस्पीकरों की आवाज़ को मानक अनुसार स्वेच्छा से कम किया गया है वहीं निर्देशों का अनुपालन कराने के लिए  लगभग 37,344 धर्मगुरुओं से बातचीत की गयी है।

एडीजी प्रशांत कुमार की मानें तो 31 हज़ार स्थानों पर अलविदा की नमाज होनी है। साथ ही करीब 75 हजार ईदगाह और 20 हजार मस्जिदों में नमाज पढ़ी जानी है। इसको ध्यान में रखते हुए संवेदनशील जिलों में 45 कंपनी पीएसी, सात कंपनी CRPF और स्थानीय पुलिस फोर्स की तैनाती की जा रही है।

इस पर अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी की ओर से शासनादेश जारी किया है। इसमें धर्मस्थलों में नियमों के पालन की साप्ताहिक समीक्षा जिला स्तर पर करने और पहली अनुपालन रिपोर्ट 30 अप्रैल तक शासन को भेजने को कहा गया है। जिलों की रिपोर्ट मंडलायुक्तों के माध्यम से और कमिश्नरेट की रिपोर्ट पुलिस आयुक्त के माध्यम से शासन को भेजी जाएगी। शासनादेश में कहा गया है कि धर्मगुरुओं से संवाद और समन्वय के आधार पर अवैध लाउडस्पीकरों को हटवाया जाए और निर्धारित डेसिबल का पालन कराया जाए।

आपको बता दें कि पहले राजस्थान के करौली में बाईक रैली पर हुए हमले, फिर मध्यप्रदेश के खरगोन में हिंदू नववर्ष पर हुई हिंसा और उसके बाद दिल्ली के जहांगीरपुरी में शोभायात्रा पर हुए हमले को ध्यान में रखते हुए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक आदेश जारी करते हुए कहा था कि प्रदेश में किसी प्रकार के धार्मिक आयोजनों और जुलूस निकालने से पहले आवश्यक रूप से अनुमति लेनी होगी और यह ध्यान रहे कि इस दौरान लगाए गए लाउडस्पीकरों से किसी को असुविधा नहीं होनी चाहिए।

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By Keshav Malan

यह कलम दिल, दिमाग से नहीं सिर्फ भाव से लिखती है, इस 'भाव' का न कोई 'तोल' है न कोई 'मोल'