Vrindavan News: कॉरिडोर से कुंज गलियों पर मढ़राया संकट, विरोध में बिहारी जी के सेवायत

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Vrindavan News: मथुरा के वृंदावन में कॉरिडोर का प्रस्ताव पास होने के बाद कॉरिडोर में 300 मंदिर और आवासीय भवन आ रहे हैं। जिनको नगर निगम द्वारा चिन्हित किया जा रहा है। अब बांके बिहारी जी के सेवायत, गोस्वामी और व्यापारियों ने कॉरिडोर का विरोध करना शुरू कर दिया है। व्यापारियों ने अपनी दुकानों पर सरकार विरोधी पोस्टर लटका रखे हैं, जिन पर अलग-अलग स्लोगन लिखे हुए हैं, लिखा है “चलवा दोगे बुलडोजर, बना लोगे कॉरिडोर..पर मत भूलो तुमसे ऊपर बांके बिहारी है..”

मंदिर के प्रस्तावित कॉरिडोर के लिए 5 एकड़ भूमि का अधिग्रहण होना है। नगर निगम मथुरा द्वारा 200 से ज्यादा आवासीय घरों का सर्वे कर चिन्हित कर दिया गया है। अब जिनके घरों को चिन्हित किया गया है, वही लोग सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कॉरिडोर का विरोध कर रहे हैं। लोगों ने सीएम योगी को खून से चिटि्ठयां भी लिखी हैं।

कॉरिडोर से बिहारी जी के सेवायतों को क्या है परेशानी?

बिहारी जी के सेवायत ज्ञानेंद्र गोस्वामी ​​​​​​कहते हैं, कि ​बिहारीजी के भक्त जो होंगे, वो कुंज गलियों का विकास नहीं चाहेंगे, वो बृजवासियों का विनाश नहीं चाहेंगे। ब्रजवासी और गोस्वामी दूर हो जाएंगे तो ठाकुरजी की सेवा कौन करेगा?

Vrindavan News: मंदिर के सेवायत ये भी कहते हैं, कि हम वृंदावन के निवासी पहले हैं, फिर ठाकुरजी के सेवायत हैं। यदि वृंदावन का विनाश होकर बांके बिहारी मंदिर का विकास होता है, तो हम इसके पक्षधर नहीं हैं, हमारे ठाकुर जी का विकास हो, ये हम तन-मन-धन से चाहते हैं। हमारे शरीर के ऊपर मंदिर बने ये चाहते हैं।

उसके लिए हमारी आत्मा ले ली जाए, हमारे खून की आखिरी बूंद ले ली जाए, उसमें मिला दी जाए, हम ये चाहते हैं। हम बस विनाश की बिसात पर विकास हो, ये उचित नहीं समझते हैं। बाकी राम और काम से कोई नहीं जीत सकता है, हम तो ढाई सौ ग्राम के आदमी हैं, हमारी सरकार के आगे क्या औकात है।

कॉरिडोर से अलग क्या विकल्प?

मंदिर के सेवायत आचार्य प्रह्लाद कहते हैं, कि बांके बिहारी मंदिर में चल सेवा होती है। मतलब ठाकुरजी महाराज को कभी भी कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसीलिए मंदिर में भी उन्हें जगह-जगह ले जाकर सेवा पूजा कराते रहते हैं। अब तक बिहारी 7 जगह विराज चुके हैं। वर्तमान में भीड़ बढ़ती जा रही है। शहर में इतनी जगह है नहीं। इसलिए कितना भी बड़ा कॉरिडोर बन जाए ये समस्या का समाधान नहीं है।

Vrindavan News: आगे कहते हैं, इससे अच्छा है कि वृंदावन में ही किसी खुले स्थान पर 10, 20, 50 एकड़ जमीन खरीदी जाए। बिहारी जी का नया मंदिर बनाया जाए, उनके भक्त हजारों करोड़ रुपए देंगे। मंदिर का 250 करोड़ रुपए बचेगा, मंदिर की संपत्ति बचेगी और बृजवासियों को नए रोजगार के अवसर मिलेंगे। नई दुकानें बसेंगी, नया क्षेत्र बसेगा। वहां जितनी चाहो, उतनी हरियाली भी कर सकते हैं, कोई बुराई नहीं है।

क्या है वृंदावन का इतिहास?

श्रीमद् भगवद गीता के दशम् स्कन्द् के अन्तर्गत, रासि पंच्ध्याय में कुंज गलियों का जिक्र है। इसे भगवद का प्राण माना जाता है। गर्ग संहिता के गोलोक खंड में भी वृंदावन की गलियों का बारे में वर्णन है। इसमें लिखा है, कि इन गलियों का न आदि है और न अंत है।

Vrindavan News: स्वामी हरिदास जी द्वारा लिखित श्री केली मालजू में 110 पदों में वृंदावन का वर्णन है। यह बृज भाषा में है।1883 में मथुरा के तत्कालीन ब्रिटिश डीएम एफएस ग्राउस ने ‘मथुरा ए डिस्ट्रिक्ट मेमोर’ में भी वृंदावन और वहां की गलियों का जिक्र किया है।

भगवान कृष्ण का जन्म 3228 ईसा पूर्व 18 जुलाई को हुआ था। यानी आज से 5255 वर्ष पहले भगवान कृष्ण ने अवतार लिया था। वह 3102 ईसा पूर्व 18 फरवरी को स्वर्ग चले गए। इस तरह भगवान कृष्ण पृथ्वी पर 125 वर्ष 8 महीने 7 दिन रहे थे। उनके प्रपौत्र स्वामी बर्जनाथ ने कृष्ण के जन्मस्थान पर इसका अंकन भी कराया है। उसी के आधार पर ये सांख्यिकी गणना आज की जाती है।

भगवान कृष्ण ने कुंज गमन(स्वर्ग लोक जाना) द्वारका किया था। उनका बाल समय वृंदावन में बीता। यहां से 11 साल की उम्र में वह कंस का वध करने मथुरा चले गए थे। फिर वापस वृंदावन नहीं आए। आज भी वृंदावनवासी उनके लौटने का इंतजार कर रहे हैं। कृष्ण भगवान के बाल काल की तमाम गलियां आज भी हैं।

Vrindavan News: इसी में से एक गली का नाम भूत गली है। यहां पर आज गोपेश्वर महादेव का मंदिर है। इसका श्रीमद् भागवद् में इसका जिक्र है कि यहां भगवान शंकर बांके बिहारीजी की रासलीला देखने आए थे। एक और गली दान गली है, इसी गली से राधाजी और गोपियां दही बेचने जाती थीं। कृष्ण भगवान उन्हें रोककर दही चुरा लेते थे। ये गली आज भी मौजूद है।

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।