Waqf Board Property Survey: वक्फ बोर्ड की संपत्ति के सर्वे को NRC बताने पर केशव प्रसाद मोर्य ने AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी पर हमला करते हुए कहा कि मुस्लिमों के खिलाफ है ओवैसी हमेशा उनके हितों के खिलाफ ही काम करते है।
आप को बता दें कि आल इण्डिया मजलिस–ए–इत्तेहादुल मुस्लमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार की नजर वक्फ सम्पत्तियों पर है। वक्फ सम्पत्तियों की जांच एनआरसी सरीखी है। उन्होंने सवाल उठाया कि वक्फ सम्पत्तियों की जांच क्यों करवाई जा रही है? और साथ ही कहा कि सरकार मंदिरों का सर्वे क्यों नहीं करवा रहीं है।
उन्होंन ये भी कहा कि “अगर किसी ने अवैध रूप से सरकारी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत किया है, तो इसे कोर्ट में लड़ें, ट्रिब्यूनल में जाएं। यूपी सरकार वक्फ संपत्ति को निशाना बना रही है और उसे छीनने की कोशिश कर रही है। इस तरह का लक्षित सर्वेक्षण बिल्कुल गलत है। हम इसकी निंदा करते हैं। यह मुसलमानों को सुनियोजित तरीके से निशाना बना रहा है।”
Waqf Board Property Survey: वहीं उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा था कि वक्फ संपत्तियां बहुत महत्वपूर्ण हैं। वक्फ खुदा की संपत्ति है। इस पर कब्जा करने का अधिकार किसी को नहीं है। सरकार ने साफ मंशा से इसका सर्वे कराना प्रारंभ किया है।। वक्फ संपत्तियों की पहचान कर कार्रवाई के आदेश पहले से दिए गए हैं।
AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कहा है कि वक्फ सम्पत्ति पर जो लोग काबिज हैं, उनसे सम्पत्ति को मुक्त करवाना चाहिए। अगर भ्रष्टाचार हुआ है तो उसकी भी जांच होनी चाहिए। प्रदेश सरकार की नीयत में खोट है। नीयत साफ होनी चाहिए।
AIMIM नेता वसीम वकार ने सवाल उठाया है कि धर्मशालााओं, मंदिरों, मठ, आश्रम आदि की सम्पत्तियों की भी जांच होनी चाहिए वहां भी गड़बड़ी बड़े पैमाने पर हुई है।
उन्होंने उ.प्र.शिया सेण्ट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी पर आरोप लगाते हुए कहा कि रिजवी ने अपने लम्बे कार्यकाल में वक्फ सम्पत्तियों में कई घोटाले किए मगर वसीम रिजवी के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
इसी क्रम में प्रदेश के पूर्व अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री और भाजपा के एमएलसी मोहसिन रजा ने कहा कि वक्फ सम्पत्तियों में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी सरकारों के कार्यकाल में वक्फ सम्पत्तियों में कई घोटाले हुए।
गौरतलब है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में पहले मदरसों का सर्वे का आदेश दिया था औऱ उस पर प्रशासन ने सर्वे का काम भी शुरू कर दिया। और अब योगी आदित्यनाथ ने 33 साल पुराना आदेश रद्द करते हुए वक्फ में दर्ज सरकारी जमीन का परीक्षण करने का आदेश दिया है। अगर कोई सरकारी जमीन वक्फ संपत्ति में दर्ज कर ली गई थी, तो उसे रद्द कर दिया जाएगा और वह राजस्व विभाग में मूल स्वरूप में दर्ज की जाएगी।
बता दें कि 07 अप्रैल, 1989 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने एक आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि यदि सामान्य संपत्ति बंजर, भीटा, ऊसर आदि भूमि का इस्तेमाल वक्फ (मसलन कब्रिस्तान, मस्जिद, ईदगाह) के रूप में किया जा रहा हो तो उसे वक्फ संपत्ति के रूप में ही दर्ज कर दिया जाए। इसके बाद उसका सीमांकन किया जाए।
इस आदेश के तहत प्रदेश लाखों हेक्टेयर बंजर, भीटा, ऊसर भूमि वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर ली गईं। अब योगी सरकार का कहना है कि इन संपत्तियों के स्वरूप अथवा प्रबंधन में किया गया परिवर्तन राजस्व कानूनों के विपरीत है। बीते माह राजस्व परिषद के प्रमुख सचिव सुधीर गर्ग ने शासनादेश जारी कर कांग्रेस शासनकाल में जारी आदेश को समाप्त कर दस्तावेजों को दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे।
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